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हम तो बस कलम से दिल का हाल लिखते है, और लोग कहते है कि आप कमाल लिखते है..!!❣💞 ටɾìցìղąӀ çօղէҽղէ ղօ çօքվ քąʂէҽ❣✍️ Any Contact 👉 @Raj_07bot
शुक्र है!
ईश्वर ने!
दुःख सहने वालों के साथ रखा!
दुःख देने वालों के साथ नहीं!
~Abhi⭐️
खुदकुशी हम से हो नहीं पाई,
हम ने बस मुस्कुराना छोड़ दिया..!! ©®
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न जाने क्या खालीपन है ज़िंदगी में ,
जो दिन भर इंटरनेट पर ढूंढते रहते हैं !
RG💫
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Ꭻᴏɪɴ 🔥 ⃝➥ @Be_khyali
अच्छा हुआ घर से छाता लेकर निकला था, वरना भींग जाता 🫠
Читать полностью…
जो पुरुष प्राणों को हाथ पर रख युद्ध की कामना रखता हो ,
जिससे घाव से प्रेम हो , और पीड़ा जिसे प्रेणा देती हो
माथे से बहता रक्त उसकी वीरता का प्रमाण हो ।
हो अभिमन्यु सा सामर्थ्य जिसमें, वो कैसे जीवन से हारेगा ,
हो तलवार जिसकी प्यासी रक्त की ,उसके लिए मयान कहा। ।।।
जो जीवन को ही युद्ध मान बैठा हो ,
प्रेमिकाओं के आँचल में उसका आराम कहा ।।।
Ꭻᴏɪɴ 💫 ⃝➥ @Be_khyali
उम्र भर को ठहर गए है तुझमे,
सास ठहरने तक अब हम तेरे है।
~🤏⭐
जब इश्क़ ए वतन चढ़ता है, नूरवालों का भी नूर बढ़ता है"
जय हिंद ❤️ 🇮🇳
🇮🇳 79वें स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं!🇮🇳
🇮🇳जान से प्यारा हिंदुस्तान 🇮🇳
एक रोज़ कुछ यूँ बिछड़े , ना दुबारा फिर मिले ।
शिकवे शिकायतें बेज़ुबान रह गई , दफ़ना दिए वो सारे गिले ।
जवानी की वो उम्र खर्च की और मोहब्बत को कमाने चले ।
इश्क़ तो दो परिंदों की उड़ान थी , फिर ना जाने क्यों समाज के पैमाने चले ।
अनजान थे अंजाम से , लगा ये मौत है फिर एक दिन महबूब परायी बाहों में खिलखिलाते मिले ।
ज़माना तो आगे चल दिया हाथ एक थाम के ।,
ना जाने फिर क्यों पंखों पर टंगे वो आशिक़ मिले ।
🖋️अजय
मैं अनकहे अल्फ़ाज़ का बोझ उठाता हूँ,
तेरी ख़ामोशियों को लिखावट में सजाता हूँ।
कलम की नोक पे जमती है तेरी तन्हाई,
स्याही में घुला तेरा दर्द मैं कहा लिख पाता हूँ।
जो लफ़्ज़ तेरी आँखों से गिरकर टूट गए,
उन्हें अपनी रूह के काग़ज़ पे बचाता हूँ।
जो लफ़्ज़ मेरे होंठों पे आ ना पाये कभी,
मैं उन्हें दिल की धड़कनों में छुपाता हूँ।
तू न हो फिर भी तेरी मौजूदगी बाकी है,
तेरे बिना भी तुझमें ही सांसें भर पाता हूँ।
मेरे हर शेर में तेरी आहट बाकी है,
मैं ख़ुद को मिटाकर तेरा किस्सा कह जाता हूँ।
APURN
Behad umda likha hai aapne 👌👏✨❤️ जुएं में दांव पर जब लगी थी द्रौपदी,
किसी को क्या याद नहीं थी सप्तपदी..!
भीष्म भी तो तभी हो गये थे बस लाचार,
किसी राजसभा में न हुई थी ऐसी त्रासदी।
स्त्री सुरक्षा धर्म किन्तु कृष्णा का नहीं था,
सोचो क्या होता संभवत वो न होते यदि.!
सावन आया पधारो म्हारे देस,
बदरा बोले प्रेम रा सनेस।
धरती पे ओढ़ी हरियाली चूनर,
मनवा नाचे जैसे मोर सुन्दर।
मेंहदी रचे, पिया का नाम लहराए,
चूड़ियां छनके, श्रृंगार मुस्काए।
झूले पड़े नीम की ठंडी छांव में,
सखियाँ गाए गीत प्रेम की ठाठ में।
लहरिया घाघरा रंगीले पहरावे,
नारी सजे जैसे रानी सा ठाठ लावे।
घेवर की मिठास, भाई का तिलक प्यार,
तीज-राखी रचाए अनुपम त्यौहार।
राजस्थान में सावन बस ऋतु नहीं,
ये रूह का रंग है, परंपरा का रस।
जिन्हें चाहा था, वोही अब मुझे सताते हैं..
देकर कुछ हसीन लम्हें फिर भूल जाते हैं.
ख़बर ना थी ईश्क में होती है यह बेरहमी,
है कुछ लोग जो जलें को फिर जलाते हैं..
वैसे तो किताब नहीं ईश्क के उसूलों की,
मगर हम वोही हिज़्र का उसूल निभाते हैं..
एक पल सोचता हूँ कि वो सोच रही होगी मुझे
दूसरे पल सोचता हूँ की ये क्या सोच रहा हूँ मैं ©®
Hugs are a powerful way to express love, comfort, and support. They can convey emotions that words sometimes fail to capture, offering a sense of warmth and connection.
~Good morning ☀️☕️
~Abhiwrites ❤️🫂
तेरी आवाज़ में जो शौक-ए-साज़ था,अब कहाँ है,
वो धुन जो दिल का नाज़-ए-अंदाज़ था,अब कहाँ है।
कभी तेरी ख़ामोशी भी इक गीत लगती थी मुझे,
तेरा मुझमें होने का अंदाज़ था, अब कहाँ है।
पुरानी गलियों से गुज़रती हूँ जब भी मैं तन्हा,
फिज़ाओं में महकता वो मिज़ाज था,अब कहाँ है।
बहुत से लम्हे तुझे याद कर रो चुके हैं ये दिन,
अश्कों में भी तू मेरा हमराज़ था, अब कहाँ है।
तू तराना-ए-ग़ज़ल सा उतर गया था दिल में,
हर मिसरे में बस अल्फ़ाज़ था,नज़्म अब कहाँ है।
APURN
किस मज़हब का बना है ये चांद तू!
ईद भी तेरी,करवाचैथ भी तेरा!
~⭐️
लहरों को मिलकर साहिल फिर से हुआं है
तन्हा तन्हा
अब मिलन बना है इंतजार कब आयेगा वो
लम्हा लम्हा
सोचते बहुत हैं टूटे लोग,
ज़ख़्म लिखते रहे हैं झूठे लोग।
ख़्वाब दिल में थे मगर बिखर गए,
सिर्फ़ उम्मीद में ही जीते लोग।
हौसले रक़्स करें भी कैसे अब,
हर तरफ़ वक़्त से हैं रूठे लोग।
मुस्कुराते हैं मगर है दर्द में,
आइने से नजरें चुराते लोग।
जाने किस मोड़ पर गिरा जीवन,
टूट अरमानों पे भी चलते लोग
‘राjN’ ये फ़ितरत-ए-दुनिया देख ले,
रिश्तें भी सोच कर निभाते लोग
Ꭻᴏɪɴ 💫 ⃝➥ @Be_khyali
एक रात एक बात लिखूंगा,
खुद को दाग़ ,तुझको साफ लिखूंगा!
हक़ीक़त में तू कभी कभी मिलेगा नहीं,
एक किताब में अपनी मुलाकात लिखूंगा!
~🩷💙
किसी को जानना हो कहां रहता हूं मैं,
उसे देखे उसकी आंखों में दिखता हूं मैं,
माना के वक़्त का पाबंद नहीं हूं
पर जब भी तुमसे मिलने आऊं
वक़्त से पहले पहुंचता हूं मैं,
मैं तुझ से रूठ भी जाऊं तो रूठ कर कहां जाऊंगा,
एक तू ही तो वो शख्स है जिसे घर समझता हूं मैं,
बात अगर तुम्हारी हो तो ज़मीं पे तिनके सा हूं,
अपनी अनां में वैसे तो पर्वत से ऊंचा दिखता हूं मैं,
सोचता हूं अब उसे भुला दूंगा
यह सोच सोच कर हमेशा उसे याद करता रहता हूं मैं,
ज़िक्र जब उसका होता है तो मेरी आंखों में चमक आ जाती है,
सब मेरे चेहरे से जान जाते हैं उसका क्या लगता हूं मैं।
~⭐🌼🩷
मेरे प्यारे वतन में खेतों की हरियाली मुस्काए,Читать полностью…
जहाँ हर हाथ में मेहनत का गुल खिले जाए।
जहाँ न कोई भूखा हो, न कोई बे-घर,
हर दिल में मोहब्बत हो, नफ़रत से बेख़बर।
जहाँ नदियाँ अपनी गोद में अमन बहाएँ,
पर्वत, बादल, जंगल किस्से आज़ादी के सुनाएँ।
जहाँ इल्म का दीया हर कोने को रोशन करे,
हर माथे पर इज़्ज़त का ताज सज जाए।
जहाँ शिक्षा का दीपक हर कोने में जलता रहे,
बेटे और बेटियाँ अपने ख़्वाबों की उड़ान भरे।
निसर्ग की सुंदरता और पवित्रता हरदम हम बचाएँ,
पशु-पक्षी चैन से जीएँ, क्रूरता को मिटाएँ।
क़ुर्बानियों की ख़ुशबू से हो घर-आँगन रोशन मातृभूमि का,
शहीदों का लहू सींचे सपना स्वतंत्र भारत की उन्नति का।
ये वही ख्वाहिश है, जो हर दिल ने सजाई है,
तिरंगे को देखकर आज जो आँखें भर आई हैं।
हम सबके नेक इरादों का, मेहनत का नूर है,
भाईचारा हमारा रास्ता, मोहब्बत ही दस्तूर है।
ये स्वतंत्र भारत हमारी शान,हमारा ईमान -ऐ-दस्तूर है
ये हिंदुस्तान हमारी जान,हमारा आदर्श ,मान सम्मान है
APURN
मैं एक घायल दिल के ज़रिए बोलता हूँ,
हर सदा जिंदगी तेरे नाम पे रोता हूँ और बोलता हूँ।
लब सिले हैं मगर अंदर दर्द चिल्ला रहा है,
मैं ख़मोशी के साज़ में डोलता हूँ और बोलता हूँ।
कहीं वक़्त ने जला दिए हैं सारे अल्फ़ाज़,
कहीं तन्हा उम्मीदों को तोलता हूँ और बोलता हूँ।
तू समझा नहीं जिस पाक मोहब्बत को मेरी,
उसी को हर सांस में खोलता हूँ,और बोलता हूँ।
मेरे सीने में जो दहकती राख बची है अब तक,
उसी से मन को हर रात को झोंकता हूँ और बोलता हूँ।
ज़माना समझे या न समझे कुछ भी गम नहीं
मैं तो जिंदगी तुझे ही हर पल तोलता हूँ और बोलता हूँ
जिसे सबने कफ़न ओढकर दफ़्न समझ लिया था,
मैं वही जख़्म हूं रिस् ता,नासुर,जिसे सेहता हू फिर बोलता हूँ।
उसके पंखों की,मैं ताकत हूँ!
हर सुबह ,उसकी बाहों की आदत हूँ!!
~अभिराइट्स🩵
थक जाना दुनियां की महफ़िलों से तो!
आवाज देना मैं अकसर अकेला ही रहता हूँ!
~अभिराइट्स
अगर समझाने से दिल बदलते,
तो कृष्ण युद्ध का दृश्य क्यों रचते?
हरसिंगार से भी मीठी थी उसकी बात,
फिर भी न पिघले धृतराष्ट्र के सौ सौ जात।
बाँसुरी में प्रेम था, शांति की पुकार,
पर लोभ के आगे वो भी रही बेकार।
जब अंधे हो जाएँ स्वार्थ की आँखें,
तो ज्ञान भी पड़ जाए सूनी पंक्तियाँ।
कभी शब्द नहीं काफी होते, ये सत्य है,
क्योंकि कुछ लोग सिर्फ़ विनाश से ही सीखते हैं।
Rashmi Meena ✍🏻
मैं लिखूँगी
जब तक दिल की धड़कनें
काग़ज़ पर उतरती रहें,
जब तक सांसों में कहानियाँ
धीरे-धीरे बहती रहें।
मैं लिखूँगी
जब तक रूह में
अधूरी दुआएं जलती रहें,
जब तक आंखों में
बिखरे सपने पलते रहें।
मैं लिख दूँगी
रात की खामोशी में,
सुबह की पहली किरण में,
तूफ़ानों की चीख में,
बारिश की फुहार में।
मेरे लिए लिखना इबादत है,
और इस इबादत में ही मेरा सजदा है,
इस सजदे में… मेरी पूरी जान है।
एक मोड़ तक आना और बिछड़ जाना
यही किस्मत तुम्हारी भी थी और मेरी भी..
╭─❀⊰ Join➳➸ @Be_khyali
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अपने सिवा किसी की तरफ़ मैं नहीं गया,
घबरा के खुदकुशी की तरफ़ मैं नहीं गया,
यूँ है कि ज़िंदगी नहीं आई मेरी तरफ,
यूँ है कि ज़िंदगी की तरफ़ मैं नहीं गया,
जिसमें न तेरे नाम से मुझको पुकारा जाय,
ऐसी किसी गली की तरफ़ मैं नहीं गया,
वो यार है और उस की ये ख़ूबी ही ख़ूब है,
उसकी किसी कमी की तरफ़ मैं नहीं गया,
इक साँस की तरह है इबादत मिरे लिए,
पाबंद बंदगी की तरफ़ मैं नहीं गया,
अरसा हुआ है आईना देखे हुए मुझे,
कबसे उस अजनबी की तरफ़ मैं नहीं गया,
वो प्यास थी कि सात समुंदर भी कम पड़ें,
फिर भी किसी नदी की तरफ़ मैं नहीं गया।
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