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ये कोई कहानी नही बल्कि आँखों देखी सच्ची घटना है....!!
मेरी छोटी बुआ….!!!!
रक्षाबंधन का त्यौहार पास आते ही मुझे सबसे ज्यादा जमशेदपुर (झारखण्ड )वाली बुआ जी की राखी के कूरियर का इन्तेज़ार रहता था.
कितना बड़ा पार्सल भेजती थी बुआ जी.
तरह-तरह के विदेशी ब्रांड वाले चॉकलेट,गेम्स, मेरे लिए कलर फूल ड्रेस , मम्मी के लिए साड़ी, पापाजी के लिए कोई ब्रांडेड शर्ट.
इस बार भी बहुत सारा सामान भेजा था उन्होंने.
पटना और रामगढ़ वाली दोनों बुआ जी ने भी रंग बिरंगी राखीयों के साथ बहुत सारे गिफ्टस भेजे थे.
बस रोहतास वाली जया बुआ की राखी हर साल की तरह एक साधारण से लिफाफे में आयी थी.
पांच राखियाँ, कागज के टुकड़े में लपेटे हुए रोली चावल और पचास का एक नोट.
मम्मी ने चारों बुआ जी के पैकेट डायनिंग टेबल पर रख दिए थे ताकि पापा ऑफिस से लौटकर एक नजर अपनी बहनों की भेजी राखियां और तोहफे देख लें...
पापा रोज की तरह आते ही टी टेबल पर लंच बॉक्स का थैला और लैपटॉप की बैग रखकर सोफ़े पर पसर गए थे.
"चारो दीदी की राखियाँ आ गयी है...
मम्मी ने पापा के लिए किचन में चाय चढ़ाते हुए आवाज लगायी थी...
"जया का लिफाफा दिखाना जरा...
पापा जया बुआ की राखी का सबसे ज्यादा इन्तेज़ार करते थे और सबसे पहले उन्हीं की भेजी राखी कलाई में बांधते थे....
जया बुआ सारे भाई बहनो में सबसे छोटी थी पर एक वही थी जिसने विवाह के बाद से शायद कभी सुख नहीं देखा था.
विवाह के तुरंत बाद देवर ने सारा व्यापार हड़प कर घर से बेदखल कर दिया था.
तबसे फ़ूफा जी की मानसिक हालत बहुत अच्छी नहीं थी. मामूली सी नौकरी कर थोड़ा बहुत कमाते थे .
बेहद मुश्किल से बुआ घर चलाती थी.
इकलौते बेटे श्याम को भी मोहल्ले के साधारण से स्कूल में डाल रखा था. बस एक उम्मीद सी लेकर बुआ जी किसी तरह जिये जा रहीं थीं...
जया बुआ के भेजे लिफ़ाफ़े को देखकर पापा कुछ सोचने लगे थे...
"गायत्री इस बार रक्षाबंधन के दिन हम सब सुबह वाली पैसेंजर ट्रेन से जया के घर रोहतास (बिहार )उसे बगैर बताए जाएंगे...
"जया दीदी के घर..!!
मम्मी तो पापा की बात पर एकदम से चौंक गयी थी...
"आप को पता है न कि उनके घर मे कितनी तंगी है...
हम तीन लोगों का नास्ता-खाना भी जया दीदी के लिए कितना भारी हो जाएगा....वो कैसे सबकुछ मैनेज कर पाएगी.
पर पापा की खामोशी बता रहीं थीं उन्होंने जया बुआ के घर जाने का मन बना लिया है और घर मे ये सब को पता था कि पापा के निश्चय को बदलना बेहद मुश्किल होता है...
रक्षाबंधन के दिन सुबह वाली धनबाद टू डेहरी ऑन सोन पैसेंजर से हम सब रोहतास पहुँच गए थे.
बुआ घर के बाहर बने बरामदे में लगी नल के नीचे कपड़े धो रहीं थीं....
बुआ उम्र में सबसे छोटी थी पर तंग हाली और रोज की चिंता फिक्र ने उसे सबसे उम्रदराज बना दिया था....
एकदम पतली दुबली कमजोर सी काया. इतनी कम उम्र में चेहरे की त्वचा पर सिलवटें साफ़ दिख रहीं थीं...
बुआ की शादी का फोटो एल्बम मैंने कई बार देखा था. शादी में बुआ की खूबसूरती का कोई ज़वाब नहीं था. शादी के बाद के ग्यारह वर्षो की परेशानियों ने बुआ जी को कितना बदल दिया था.
बेहद पुरानी घिसी सी साड़ी में बुआ को दूर से ही पापा मम्मी कुछ क्षण देखे जा रहे थे...
पापा की आंखे डब डबा सी गयी थी.
हम सब पर नजर पड़ते ही बुआ जी एकदम चौंक गयी थी.
उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि वो कैसे और क्या प्रतिक्रिया दे.
अपने बिखरे बालों को सम्भाले या अस्त व्यस्त पड़े घर को दुरुस्त करे.उसके घर तो बर्षों से कोई मेहमान नहीं आया था...
वो तो जैसे जमाने पहले भूल चुकी थी कि मेहमानों को घर के अंदर आने को कैसे कहा जाता है...
बुआ जी के बारे मे सब बताते है कि बचपन से उन्हें साफ सफ़ाई और सजने सँवरने का बेहद शौक रहा था....
पर आज दिख रहा था कि अभाव और चिंता कैसे इंसान को अंदर से दीमक की तरह खा जाती है...
अक्सर बुआ जी को छोटी मोटी जरुरतों के लिए कभी किसी के सामने तो कभी किसी के सामने हाथ फैलाना होता था...
हालात ये हो गए थे कि ज्यादातर रिश्तेदार उनका फोन उठाना बंद कर चुके थे.....
एक बस पापा ही थे जो अपनी सीमित तनख्वाह के बावजूद कुछ न कुछ बुआ को दिया करते थे...
पापा ने आगे बढ़कर सहम सी गयी अपनी बहन को गले से लगा लिया था.....
"भैया भाभी मन्नू तुम सब अचानक आज ?
सब ठीक है न...?
बुआ ने कांपती सी आवाज में पूछा था...
"आज वर्षों बाद मन हुआ राखी में तुम्हारे घर आने का..
तो बस आ गए हम सब...
पापा ने बुआ को सहज करते हुए कहा था.....
"भाभी आओ न अंदर....
मैं चाय नास्ता लेकर आती हूं...
जया बुआ ने मम्मी के हाथों को अपनी ठण्डी हथेलियों में लेते हुए कहा था.
"जया तुम बस बैठो मेरे पास. चाय नास्ता गायत्री देख लेगी."
हमलोग बुआ जी के घर जाते समय रास्ते मे रूककर बहुत सारी मिठाइयाँ और नमकीन ले गए थे......
मम्मी किचन में जाकर सबके लिए प्लेट लगाने लगी थी...
अपने आत्मविश्वास को अंत तक कायम रखना
बस यही जिंदगी में कभी असफल नहीं होने देगा।
शुभ रात्रि 🌉🌃
"तुम कितना चार्ज करते हो?'
'डिपेंड करता है कि मारना किसे है! आपको ईमेल एड्रेस किसने दिया?'
'सर्च करके ढूढ लिया। मुझे अपने पति से छुटकारा चाहिए,मैं किसी और से प्यार करती हूँ। '
'अपने पति की डिटेल्स और फोटो भेजिए। मैं केस की कीमत क्लाइंट्स की औकात से तय करता हूँ। कल बताऊंगा। '
....
उसने दर्जनों हाईप्रोफ़ाइल हत्याएं की थीं और पहचान छुपाकर बचा रहा। जिन्दगी के लुत्फ में हरगिज कोई कमी न थी। एक खूबसूरत बीवी और प्यारी सी बच्ची। उसने सोचा कि इस बार आखिरी शिकार करेगा और इस गलीज जिन्दगी से तोबा करके सफेदपोश की तरह जियेगा। थोड़ी देर उसने कुर्सी की पुश्त से सर टिकाए रखा, तभी स्क्रीन पर न्यू रिप्लाई का नोटिफिकेशन दिखा।
फोटो खुद उसकी अपनी थी और डिटेल्स में उसकी प्रत्यक्ष सफेदपोश जिन्दगी के बारे में मालूमात दर्ज थी।
अब उसे एक केस बिना फीस के निबटाना था। उसने आंख बन्द करके अपनी ढाई साल की बच्ची का बतौर बिन माँ की बच्ची तसव्वुर किया और उसे रीढ़ में एक सनसनी सी महसूस हुई। उसने रिवाल्वर निकाली, अपना आखिरी पेग खत्म किया और रिवाल्वर कनपटी पर सटाकर घोड़ा खींच दिया।
उसने कभी कोई केस अधूरा नही छोड़ा।
- लास्ट केस/ अतुल शुक्ल
लघु कथा _ *अपने हिस्से का अन्न**
लेखक _श्याम कुंवर भारती
रामजनम गुप्ता जी का शहर में स्वादिद ब्यंजन नाम का एक होटल था ।जिसमे बहुत ही स्वादिष्ट शाकाहारी भोजन बनते थे।जिसके चलते ग्राहकों की भीड़ लगी रहती थी । रामजनम का पूरा परिवार होटल की दूसरी मंजिल पर रहता था।नीचे होटल था।
रात को उनका परिवार खाना खा रहा था।दोनो पति _ पत्नी और एक बड़ी बेटी तथा एक छोटा बेटा ।
खाने में डाल रोटी और चटनी साधारण भोजन सभी कर रहे थे।छोटा बेटा सोनू से रहा नही गया और आखिर में उसने अपने पिता से पूछ ही लिया _ पापा दिन भर आप अपने ग्राहकों को उनकी सभी मनपसंद चीजे खिलाते हो ।पनीर ,खीर पूड़ी,हलवा,भेज पुलाव और पता नही क्या क्या लेकिन खुद हमलोगो को दाल रोटी और चटनी खिला रहे हो क्यों ?
उसकी बड़ी बहन और मां उसका मुंह देखने लगे ।लेकिन उसके पिता ने बड़े ही शांत स्वर में जवाब दिया _ बेटा होटल में सबको खाना खिलाना मेरा ब्यसाय है।खाना खिलाने के बाद जो आमदनी होती है सब मेरी नही होती है।उसमे मकान का किराया,बिजली बिल,पानी बिल,राशन सब्जी और मसाला का खर्च इसके अलावा रसोइया और कर्मचारियों की मजदूरी और कर्जा का भी हिस्सा होता है ।
अंत में जो बचाता है वही मेरा हिस्सा होता है।
मेरा को हिस्सा बचता है उससे केवल दाल रोटी और चटनी ही हो पाती है।कुछ दिन इंतजार करो जब होटल का कर्जा चुकता हो जायेगा तो चावलभी मिलेगा।कुछ दिन और इंतजार करोगे जब अपना मकान हो जायेगा तो तुम इसके साथ पनीर , अचार,पापड़ के अलावा जो खाना चाहो खा सकते हो।
पिता का जवाब सुनकर सोनू चुप रह गया ।
वो चुपचाप खाना खाता रहा और कोई सवाल नही किया।
-: समाप्त :-
लेखक_ श्याम कुंवर भारती
बोकारो, झारखंड
मॉब.9955509286
बिल्कुल शांत कैफे में एकांशी के सुबकने के अलावा उन लड़कों की एकांशी के साथ बत्तमीज़ी करने की ही आवाज आ रही होती है,,जिससे नक्ष और अयांश घूम कर उस ओर देखते है,,,,,देखते ही दोनो एकांशी को पहचान लेते है,और उसके डर से पीले पड़ चुके चेहरे को देख नक्ष उठ कर उन लड़कों के पास गुस्से में जाता है और उनसे कहता है....लड़की को छोड़ दो वरना मैं तुम सब का थोबड़ा बिगाड़ दूंगा।।।।
नक्ष की आवाज सुन एकांशी उस ओर ही देखने लगती
है,लेकिन जल्द ही उसके कानो में एक आवाज आती है....तु हमारा थोबड़ बिगाड़ेगा,,,जनता भी है हम कौन है??.....एक लड़का खड़ा हो कर कहते हुए नक्ष के कॉलर को पकड़ लेता है।।।
नक्ष कॉलर पकड़ने पर उसके मुंह पर एक मुक्का मरता है जिससे वो नीचे गिर जाता है,,ये सब देख बाकी लड़के खड़े होकर कर नक्ष को घेर लेते है, और उनमें से एमएलए का बेटा कहता है....तुझे इतनी मिर्ची क्यों लग रही है,,आशिक है क्या इस छुईमुई सी लड़की का??
जबान संभाल के बोलो....नक्ष एकांशी की ओर देखते हुए कहता है,,जिससे एकांशी भी नक्ष की ओर देखने लगती है।।।
तभी एक लड़का नक्ष के चेहरे पर मुक्का मार देता है जिसे देख एकांशी अपने जगह से खड़ी हो जाती है,और अयांश बिना कुछ प्रतिक्रिया के वही अपने जगह पर शांति से कॉफी पी रहा होता है।।।
मुक्का पड़ने पर नक्ष के होठों के किनारे से खून आने लगता है,जिसे नक्ष अपने उंगली को होठों तक ले कर छूता है,और मुड़ कर उस लड़के के हाथ को पकड़ कर मोड़ने लगता है
लेकिन बाकी लड़के उसे पकड़ कर पीछे करते हुए उससे मारने लगते है,,जिसे देख एकांशी आगे बढ़ कर उन लड़कों का हाथ पकड़ने की कोशिश करती है लेकिन वो लड़के उसे धकेल कर नक्ष को पीटना जारी रखते है।।।
धकेलने पर एकांशी गिर जाती है जिससे उसके हाथ पर चोट लग जाती है और वो अपने हाथ को देखने लगती है।।।
मार खाते हुए नक्ष चिल्ला कर कहता है....भाई यार,बचाओ मुझे,शर्म नही आ रही आपको आपका भाई यहां पिटाई खा रहा है और आप वहा सैंडविच ठूस रहे हो।।।
पंगा तूने लिया है तो मार भी तू ही खायेगा,ना की मै.... अयांश बिना देखे कह देता है।।।
तभी वो लड़के नक्ष के पेट में घुसे मरते है जिससे नक्ष के मुंह से खून आने लगता है और वो नीचे जमीन पर गिर जाता है,, अयांश गिरने की आवाज सुन कर पीछे देखता है और अपनी जगह से उठ नक्ष के पास जाकर उसे उठाता है।।।।
नक्ष को उठाने के बाद अयांश उसे एक कुर्सी पर बैठा कर पानी देता है और अपने कोर्ट को निकाल कर वही टेबल पर रखते हुए पीछे मुड़ कर उन लड़कों की ओर गुस्से से घूरता
है।।।
अयांश को खुद की ओर घूरता देख वो लड़के हसने लगते हैं,और उनमें से एक बोल पड़ता है....एक भाई तो पिट चुका अब दूसरा भी तैयार है,,चलो इसे भी बॉडी मसाज देते है,,बेचारे को अपना सुंदर सा मुखड़ा पसंद नही आ रहा,इसकी मरम्मत हमसे करवाना चाहता है.....इतना कहते हुए वो लड़का अयांश को मारने के लिए दौड़ कर आता है,,लेकिन अयांश उसे एक मुक्का मरता है और वो वही रुक कर अपने चेहरे पर हाथ रख लेता है ,लेकिन अयांश नही रुकाता और उसके सिर के बाल को पकड़ कर उसके पेट में घुसा मारने लगता है,, अपने साथी को मार खाता देख बाकी लड़के भी वहा आ जाते है और अयांश पर वार करने लगते है,,लेकिन अयांश सब को मारता हुआ फर्श पर गिरा देता है।।।।
सभी लड़के नीचे फर्श पर गिर कर अपना हाथ पाव पकड़ कर अजीब अजीब चेहरा बना रहे होते है,जिसे देख कर कैफे में बैठे सभी लोग ताली बजाने लगते हैं,,और एकांशी अयांश के शर्ट के ऊपर से उभरते बाजुओं को देखती की देखती रह जाती है,,उसे अयांश ऊपर से नीचे तक अपने सपनो का राजकुमार जैसा लगता है जिससे वो काफी देर तक उसके चेहरे को देखती हुई मन में सोचती है.....बिल्कुल सपनो के
राजकुमार जैसा।।।।।।
क्या तुम यही बैठी रहोगी,,तुम कहो तो तुम्हे घर ड्रॉप कर सकता हूं..... नक्ष उठ कर अपने पेट पर हाथ रखते हुए कहता है।।
नक्ष का आवाज सुन एकांशी अपने ख्यालों से बाहर आ जाती है और नक्ष की ओर एक नजर देखते हुए कहती है.....आप दोनो ने मेरे लिए इन बदमाशों से झगड़ा मोल ली उसके लिए माफी चाहूंगी,,और आप दोनो का शुक्रिया भी करना चाहूंगी,लेकिन मैने अपने ड्राइवर को मैसेज कर दिया है वो आते ही होंगे,मै आप लोगो को और परेशान नही करना चाहती।।।
नक्ष ( एकांशी के करीब खड़ा हो कर ) - लेकिन हमे परेशानी नही होगी,,मिस???
एकांशी राठौड़..... एकांशी अपना नाम बताती है,और कहना जारी रखती है.....नही ठीक है,मैं चली जाऊंगी,,आप दोनो परेशान मत होइए,,और फिर से आप दोनो का शुक्रिया।।।
अयांश ( अपने कोर्ट को पहनते हुए, नक्ष से ) - अपना नाटक खत्म करो और चलो,वरना मैं चला जाऊंगा।।।
नक्ष ( अयांश की ओर देख कर ) - भाई इसे कहो ना हम इसे छोड़ देंगे।।
एकांशी वही अपने पेट पर हाथ रखे बैठी होती है की उसकी नजर अपने पैर पर जाती है,जिससे उसे याद आता है की कैसे रात में अयांश ने उसे अपनी बाहों में उठा लिया था और उसके पैर से कांच के टुकड़े को निकलने की कोशिश करते हुए डर रहा था.......याद आते ही उसके चेहरे पर एक छोटी सी मुस्कान तैर जाती है,और वो वहां से उठ कर हॉल के सोफे तक आ कर उस पर सो जाती है।।
लगभग छः बजे के आस पास अयांश की नींद उसके फोन बजने से खुलती है,जिसे उठा कर अयांश अपने कान पर लगता है और नींद में ही कहता है..... अयांश स्पीकिंग।।।।
फोन के दूसरी तरफ से वही जानी पहचानी आवाज आती है......मुझे लगा था वक्त का पाबंद अयांश अधित्या छः बजे तक उठ जाता होगा,खैर मैंने ये बताने को फोन किया था की मै जल्द ही इंडिया आ रही हूं,सो अपना कॉन्ट्रैक्ट याद रखना,मुझसे शादी करो या कॉन्ट्रक्ट में लिखी शर्ते पूरी करना।।।
अयांश ( अपनी आंख पूरी तरह खोल कर ) - मैने तुमसे पहले भी कहा था और अब भी कह रहा हूं,,मुझे डिस्टर्ब मत किया करो,,मुझे अपनी सारी बाते अच्छे से...... अयांश बोल ही रहा होता है फोन कटने की आवाज आती है,जिससे वो
फोन को अपने कान से हटा कर देखता है और उसे बेड पर फेंक देता है,,,तब उसकी नजर पलंग के दूसरे पाले की ओर पड़ती है जिस पर एकांशी नही होती,जिससे वो कमरे में इधर उधर देखता है और फिर बेड से उतर अपने सीलिपर्स पहन कर बाथरूम की ओर देखता है वो भी खुला होता है,जिससे वो चलते हुए कमरे से निकल कर सीढ़ियों तक जाता है,,और ऊपर से ही पूरे हॉल में अपनी नजर दौड़ता है,,,तब उसे सोफे पर एकांशी सोई हुई दिखाई देती है।।।।
एकांशी को सोता देख आयंश मुड़ कर अपने कमरे
में जा ही रहा होता है की उसे डोर बेल की आवाज आती है,,,जिससे वो नीचे उतर कर दरवाजे को खोलता है,,,दरवाजे पर राघव एक लड़के के साथ खड़ा होता है,जिसे वो इलेक्ट्रिशियन बताता है और उसे कमरे की ओर लेकर जाने लगता है, अयांश भी उन दोनो के पीछे जाता है,और कुछ देर तक कमरे में खड़ा इलेक्ट्रीशियन को काम करता देखता रहता है....वो बताता है की बल्ब फ्यूज हो गया है जिसकी वजह से ये बूझ गया होगा,,,और स्विच मैने ठीक कर दिया है,,इतना कह कर वो अपने पैसे लेता है और मेंशन से निकल जाता है।।
इलेक्ट्रीशियन के जाते ही अयांशा राघव से कहता है.....एक काम करो,कुछ नाश्ता और दोपहर का खाना ले आओ, उस
लड़की ने कल से कुछ नही खाया है।।।
राघव ( अयांश की ओर देख मुस्कुराते हुए ) - लेकिन खाने में मै क्या ले आऊं??क्या कोई ऐसी डिश है जो मिसेज अधित्या को पसंद हो??
अयांश ( कुछ देर सोचने के बाद ) - मुझे नही पता,पास वाले रेस्टोरेंट में जाओ और जो कुछ भी वहां मिलता है सब ले आओ,,और लड़कियों वाले कुछ कपड़े भी ले आना,उसके पास कपड़े नही है।।।
अयांश की बात सुन राघव हां में सिर हिला देता है और जाते जाते सोचता है.....मुझे तो यकीन है मिसेज अधित्या ही वो लड़की हैं जो आपके अंदर की नफरत को खत्म कर प्यार भरेगी।।।
राघव के जाने पर अयांश एकंशी के पैर से निकाले गए शीशे को उठा लेता है और उसे डस्टबिन में डाल अपने कबर्ड से एक सूट निकाल कर बाथरूम में चला जाता है।।।
इधर एकांशी भी डोर बेल की आवाज से जाग चुकी होती है और उठ कर वही सोफे पर बैठी अपने बालों के जुड़े को खोल देती है जिससे उसके बाल कमर तक फैल जातें है,और
कंघा ना करने से कुछ उलझ भी गए होते हैं।।।।।
शावर लेने के बाद अयांश अपने सूट को पहनता है और अपने बालों को सेट कर ड्रॉल से एक महंगी घड़ी निकल कर अपने हाथ में बांधता हुआ कमरे से निकल जाता है....सीढ़ियों से उतरते हुए उसकी नजर एकांशी पर पड़ती है जो अपने उलझे बालों को उंगलियों से सुलझा रही होती है और खींचने पर थोड़ा सिर उधर ही झूंका लेती।।।।।
एकांशी को देखते हुए अयांश अपने स्टडी रूम में चला जाता है और वहां से लैपटॉप और कुछ फाइल्स लेकर हॉल में आ कर डाइनिंग टेबल पर बैठ अपने लैपटॉप को खोल कुछ टाइप करने लगता है।।
टाइपिंग की आवाज सुन एकांशी अपने सिर को मोड़ कर उस ओर देखती है,बिल्कुल सीधे बैठे हुए अयांश अपने लैपटॉप में जल्दी जल्दी टाइपिंग करता हुआ स्क्रीन में ही देख रहा होता है,,,, हॉल की सारी खिड़कियां बंद होती है जिससे वहां ज्यादा रौशनी नही थी लेकिन लैपटॉप के जलते स्क्रीन से आती रौशनी अयांश के चेहरे पर ही पड़ रही थी,,जिससे उसका चेहरा दिलकश लग रहा था,, एकांशी तब तक अयांश को देखती रहती है जब तक दरवाजे से घंटी की आवाज नही आ जाती।।।।।
अचानक आवाज आने से एकांशी अयांश से अपनी नजर हटा कर घबराहट के साथ उठ कर खड़ी हो जाती है,जिससे उसके हाथ से लग कर वहां टेबल पर अयांश के द्वारा रखा हुआ कप नीचे गिर कर चकनाचूर हो जाता है।।
फोन के दूसरी ओर से आवाज आती है.....मुझे खुशी हुई की तुम्हे अपना वादा याद है,और यकीन है की तुम अपने जिंदगी से एकांशी को निकालने में सक्सेसफुल होगे,,याद रखना मुझे हारने की आदत नही है.....इतना कह कर वो लड़की फोन रख देती है।।।।
अयांश भी फोन रखते हुए कहता है.....और यहां हारना कौन जानता है।।।।
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इधर एकांशी अयांश के रूम में ही सो चुकी होती है और वो रात के ग्यारह बजे तक सोती ही रहती है,,तभी उसके कानो में गाड़ी के हॉर्न की आवाज आती है और वो उठ कर बेड से उतरती है और कमरे की खिड़की से नीचे झांकती है,,कार से अयांश और इसका असिस्टेंट राघव बाहर आते है और एक दूसरे से कुछ बातें करने लगते हैं।।।।
बात करते हुए ही अयांश अपने कमरे की ओर देखता है और वापस राघव की ओर देख डांटते हुए कहता है.....मेरे कमरे की स्विच अभी तक ठीक क्यो नही हुई है???
राघव अयांश के सवाल का जवाब देता है....मैने इलेक्ट्रीशियन को फोन किया था,,शायद वो दिन में आकर स्विच ठीक कर गया हो,मिसेज अधित्या घर पर ही थी,उनसे पूछ लेते हैं।।।
राघव की बात सुन अयांश राघव से कहता है...तुम्हे इसे अपनी निगरानी ने ठीक करवाना था,,,इतना कह कर अयांश अपने रूम की खिड़की की ओर देखने लगता है,उसे खिड़की
पर एकांशी दिखाई देती है,जो उसकी नजर पड़ते ही वहां से हट जाती है और कुछ ही सेकंड के बाद एक तेज चीख के साथ कमरे की लाइट बंद हो जाती है।।।
राघव अयांश के सवाल का जवाब देता है....मैने इलेक्ट्रीशियन को फोन किया था,,शायद वो दिन में आकर स्विच ठीक कर गया हो,मिसेज अधित्या घर पर ही थी,उनसे पूछ लेते हैं।।।
राघव की बात सुन अयांश राघव से कहता है...तुम्हे इसे अपनी निगरानी ने ठीक करवाना था,,,इतना कह कर अयांश अपने रूम की खिड़की की ओर देखने लगता है,उसे खिड़की पर एकांशी दिखाई देती है,जो उसकी नजर पड़ते ही वहां से हट जाती है और कुछ ही सेकंड के बाद एक तेज चीख के साथ कमरे की लाइट बंद हो जाती है।।।
आवाज सुन कर अयांश उस कमरे की ओर एक नजर देखता है और फिर दौड़ कर घर के मेन दरवाजे तक जा कर उसे खोलता है,,घर की सारी लाइट बंद होती है जिन्हे जलाने के बजाए अयांश दौड़ते हुए कमरे में जाता है और अपने फोन को निकाल कर उसकी लाइट जला कर देखता है..... एकांशी वहां टूटे टेबल के करीब बैठी अपने पैर को पकड़े सुबक रही होती है,जिसके चेहरे पर रोशनी पड़ते ही घबराहट के साथ ऊपर अयांश की ओर देखने लगती है।।।।
अयांश उस स्विच को एक नजर देखता है और फिर बल्ब की ओर देख कर एकांशी के करीब खड़ा हो जाता है तब उसकी नजर एकांशी के पैर के तलवे में एक शीशा का टुकड़ा धंसा हुआ दिखता है,जिससे वहां से खून भी निकल रहा होता है।।
एकांशी अयांश को अपने सामने खड़ा देख अपने सिर को
नीचे झुका लेती है और घबराहट के साथ कहती है.....मै यहां बस,,वो,,कमरे को देखने के लिए..... एकांशी बोल ही रही होती है की अयांश नीचे झुंक जाता है और अपने एक हाथ को उसके कमर में और एक हाथ को गले में डाल कर फर्श से उठा कर बेड तक ले जाने लगता है,,अचानक अयांश के इस तरह उठाने से एकांशी डर जाती है और अपने आंखो को बंद किए हाथ से अयांश के शर्ट को पकड़ लेती है उसके दिमाग में पिछली रात वाली घटना याद आने लगती है जिससे उसके आंखो से आंसू की बूंद लुढ़कते हुए अयांश के हाथ पर गिरने लगते है,जिसे अयांश एकांशी के चेहरे की ओर देखता है,डर से उसका चेहरा सफेद पड़ चुका होता है,और आंखो से लगातार गिरते आंसू देख अयांश को भी कल रात की हुई घटना याद आ जाती है,जिसे वो अपने नजरों को एकांशी के चेहरे से मोड़ लेता है और बेड तक पहुंचने तक उसके चेहरे की ओर दुबारा नही देखता।।।
बेड तक पहुंच कर अयांश एकांशी को धीरे से अपनी बाहों से उतार कर नीचे बैठा देता है और खुद नीचे बैठ उसके पैर को अपने हाथ से उठा कर शीशे को देखने लगता है,,,कुछ देर देखने के बाद अयांश उसे निकालने की कोशिश करता है,लेकिन एकांशी एक आह की आवाज के साथ अपने हाथ की अयांश के कंधे पर रख देती है,,जिससे अयांश अपने हाथ
को पीछे कर लेता है और कमरे के बाहर खड़े राघव को अंदर आने को कहता है।।।।
अयांश ( राघव के अंदर आने पर,उसे एकांशी के पैर को दिखा कर ) - क्या तुम इस कांच को इसके पैर से निकाल सकते हो??
राघव ( अयांश के बगल में बैठ कर ) - येस बॉस....इतना कह कर राघव एकांशी के पैर की ओर अपना हाथ बढ़ा देता है और एक झटके में ही खीच कर उस शीशे को निकाल देता है।।
खींचने से एकांशी दर्द से थोड़ा चीखती है और अयांश के कंधे पर रखे अपने हाथ को कस लेती है,,जिससे अयांश एकांशी के चेहरे की ओर देखता है,और वहां से उठ कर जाते हुए एक फर्स्ट एड बॉक्स बेड पर फेंकते हुए कहता है.....इससे पट्टी कर लो,,और राघव तुम मेरे साथ नीचे आओ।।।
तक अयांश ने अपना सिर उठा कर कार की खिड़की से बाहर देखा तब तक वो लड़की वहां से जा चुकी थी,अयंश ने बस उसके हाथ में एक बार्सलेट देखी जो सूरज की रौशनी से चकमकाते हुए उसके आंखो पर ही पड़ रहा था,,,और नक्ष अपने फूटे सिर पर हाथ रख मुस्कुराते हुए उसी लड़की की ओर देख रहा था।।।।।।
तू पीछे बैठ,मै कार ड्राइव करता हूं.... कहते हुए अयांश कार का दरवाजा खोल बाहर निकलता है तभी उसकी नजर अपने ड्राइवर से बात करती एकांशी पर पड़ती है,जिससे वो एक नजर देख कार के ड्राइविंग सीट का दरवाजा खोल नक्ष को पीछे वाले सीट पर शिफ्ट करता है और खुद ड्राइविंग सीट पर बैठ कार को ड्राइव करते हुए वहा से निकल जाता है।।।।।
अगली सुबह गिलास गिरने की आवाज के साथ एकांशी की नींद खुलती है,आंख खुलते ही वो झट से खड़ी हो जाती है,,जिससे उसके पैर में तेज दर्द होती है और वो बैठ कर अपने पैर को देखती है,,उसमे एक छोटा कांच का टुकड़ा फंस गया होता है जिसे एकांशी अपने हाथ से पकड़ कर निकालती है,जिसकी वजह से उसे अपने पैर में तेज दर्द
महसूस होता है,,तभी उसे फिर से कुछ गिरने की आवाज आती है।।।
वो उठ कर खड़ी हो जाती है और अपने हाथ से अपने साड़ी को पकड़ कर धीरे धीरे उस आवाज की ओर बढ़ती चली जाती है,, दबे कदमों के साथ चलते हुए एकांशी रसोई के दरवाजे तक जाती है और सामने अयांश को देख डर कर अपने थूक को गटक लेती है,वो देखती है अयांश कॉफी बनाने की कोशिश कर रहा होता है,लेकिन उसके हाथ से बार बार कुछ चीज़े नीचे गिर जा रही होती है,।।।
तभी एकांशी की नजर अयांश के हाथ पर पड़ती है,जिनमे से अभी भी थोड़ा खून रिस रहा होता है,,जिससे अयांश किसी भी समान को ठीक से पकड़ने में कामयाब नही हो पा रहा था।।।
अयांश के हाथ से खून निकलता देख एकांशी डरते हुए अयांश की ओर बढ़ जाती है,और दबी हुई आवाज में धीरे से कहती है.....क्या मैं बना दूं???
एकांशी की आवाज सुन अयांश पीछे मुड़ कर देखता है,, एकांशी के चेहरे पर इस वक्त डर के भाव साफ नजर आ रहे होते है जिससे अयांश बिना कुछ बोले वापस मुड़ कर अपना
काम करने लगता है,,तभी उसके हाथ से कॉफी का डब्बा नीचे गिर जाता है और सारा कॉफी नीचे बिखर जाता है,,कॉफी ना बना पाने की वजह से अयांश गुस्से में अपने हाथ को स्लेव पर मरने ही वाला होता है की उसके कानो में एकांशी की आवाज आती है.....नही!!!
एकांशी की आवाज सुन अयांश अपने हाथ को वही रोक लेता है और गुस्से में ही मुड़ कर एकांशी के एक बाजू को पकड़ कर चिल्लाता है....मुझसे दूर रहना,,और मेरी पत्नी बनने की कोशिश कभी मत करना,,मै तुमसे सिर्फ और सिर्फ नफरत करता हूं....इतना कह कर अयांश एकांशी के बाजुओं को छोड़ कर रसोई से बाहर निकल जाता है।।।।।
अयांश के बाजू छोड़ते ही एकांशी अपने बाजू को पकड़ कर वही फर्श पर बैठ जाती है और रोते हुए सोचती है....मैने ऐसा क्या किया था भगवान जी, जो आपने मुझे ऐसी सजा दी,,क्यो मेरी शादी एक ऐसे इंसान से करा दी जिसके दिल में मेरे लिए सिर्फ नफरत भरा है।।....रोते हुए एकांशी अपने बाजू को देखती है, उस पर अयांश की उंगलियों के निशान उग आए थे,और उसमे तेज दर्द होने की वजह से वो और भी ज्यादा सुबकने लगती है।।।।
इधर अयांश गुस्से में ही शावर लेकर तैयार होता है और
अपने स्टडी रूम में जा कर अपने लैपटॉप को उठा कर बाहर निकलने लगता है,तभी उसके आंखो पर कुछ चमकने की रौशनी आती है,जिससे वो लैपटॉप को वहीं टेबल पर रख कर उस चमकती चीज की ओर ही बढ़ जाता है,,,वो एक ब्रेसलेट होता है,जो जाहिर तौर पर एकांशी के हाथ से टूट कर नीचे गिर चुका होता है।।।
अयांश उस ब्रेसलेट को उठा लेता है,और ध्यान से देखने लगता है,, देखने पर उसे याद आता है की उसने कल रात को एकांशी के साथ दुर्व्यवहार किया था,,जिससे उसका गुस्सा कुछ हद तक शांत हो जाता है और वो उस ब्रेसलेट को अपने कोट के पॉकेट में रख कर स्टडी रूम से निकल कर रसोई की ओर बढ़ जाता है,,वहा उसकी नजर एकांशी पर पड़ती है,वो अभी भी नीचे बैठ कर रो ही रही होती है,जिससे वो बिना कुछ बोले वहा से चलते हुए घर के बाहर चला जाता है।।।।
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काफी देर तक रोते रहने के बाद एकांशी वहां से उठ कर एक गिलास में पानी भरती है और उसे पी कर अपने चेहरे को वही किचन में लगे सिंक में धो लेती है और अपने साड़ी के पल्लू से अपने चेहरे को साफ कर लेती है,,उसके बाद
एकांशी किचन से निकल कर वही हॉल के सोफे पर बैठ जाती है और अयांश के कमरे की ओर देखने लगती है,,उसे नही पता होता की अयांश चला गया है जिसकी वजह से वो काफी देर सोफे पर बैठी रहती है,तभी उसके कानो में डोर बेल की आवाज आती है और वो अपने घायल पैर के साथ लंगड़ाते हुए दरवाजे तक चली जाती है,दरवाजा खोलने पर उसे सामने राघव दिखाई देता है,, जो तुरंत कहता है....
एक मिनट मेरे पास चाभी है.....कहते हुए मायरा अपने बैग से एक चाभी निकालती है और दरवाजा खोल देती है,
एकांशी पूरे घर को नजरे उठा कर देखती है...सारा समान अपनी जगह पर सलीके से रखा होता है,और हॉल के दीवाल
पर बीचो बीच एक बड़े से फ्रेम में एक कपल फोटो लगी होती है जिसे देखते ही एकांशी समझ जाती है की ये फोटो अयांश के मां बाप की है,तभी मायरा की आवाज से एकांशी का ध्यान उस फोटो से हट कर मायरा की बातों में लग जाता है।।
भाभी आप अंदर मत आना मै कुछ लेकर आती हूं....मायरा कहते हुए अंदर की ओर भागती हुई जाती है और अपने एक हाथ में पूजा की थाली और दूसरे हाथ में चावल से भरे कलश को ले आती है और कलश को चौखट के सामने रख पूजा की थाली को एकांशी के सामने घूमते हुए कहती है.....भाभी पहली बार इस घर ने आ रही है,तो गृहप्रवेश तो बनता है,,है ना डैड।।।
अयांश ( ये सब देखते हुए शराब के नशे और गुस्से में दरवाजे तक आता है और एकांशी को अपनी बाहों में उठा कर,वहा खड़े अपने बड़े पापा और मायरा से कहता है) - इसे इतनी ऊंचे खानदान की बहु बनाया मैने, और रस्में अकेले अकेले,नही ऐसे थोड़े होता है,जो होगा मेरे साथ होगा,(एकांशी की ओर देखते हुए) मिसेज एकांशी अयांश अधित्या....इतना कह कर अयांश आगे बढ़ जाता है।।
दिनेश अधित्या ( अयांश के बड़े पापा ) - कहा ले जा रहा है
इसे,
अयांश (नशे में लड़खड़ाते हुए ) - पत्नी है ना,,,,नई - नई शादी हुई है हमारी,तो सुहागरात तो बनती है ना।।
सुहागरात की बात सुन, और अयांश को फिर से नशे में देख एकांशी के दिल में जो बची हुई हिम्मत होती है,वो भी खत्म हो जाती है और आंखो से लगातार आंसू बहने लगते है,डर से उसके हाथ पांव बिल्कुल ठंडे पड़ जाते है,उसके दिमाग में इस वक्त एक ही ख्याल घूम रहा होता की अगर इस बार वो अयांश से छूट गई तो वो अपने आप को खत्म कर देगी।।।एकांशी के दिल में जो बची हुई हिम्मत होती है,वो भी खत्म हो जाती है और आंखो से लगातार आंसू बहने लगते है,डर से उसके हाथ पांव बिल्कुल ठंडे पड़ जाते है,उसके दिमाग में इस वक्त एक ही ख्याल घूम रहा होता की अगर इस बार वो अयांश से छूट गई तो वो अपने आप को खत्म कर देगी।।।
अयांश (एकांशी को अपनी बाहों में उठाए सीढ़ियों तक पहुंच कर मायरा और अपने बड़े पापा के और घूम कर ) - आप दोनो को मैने रुकने के लिए नही कहा,आप दोनो अधित्या मेंशन वापस जाइए,,और मैं अपनी वाइफ के साथ कमरे में जाता हूं.,.....इतना कह कर अयांश सीढ़ियों से ऊपर चला जाता है।।।
भाई ने पी रखी थी डैड,,, हमें भाभी की हेल्प करनी चाहिए.....मायरा अयांश को जाता देख कहती है।।।
उन दोनो की शादी हो चुकी है,,और हम अयांश के सामने कुछ नही बोल सकते,तुम्हे पता तो है वो कैसा है,,, एकांशी को अपनी लड़ाई खुद लड़नी होगी.....कहते दिनेश अधित्या मायरा का हाथ पकड़ घर से निकलने से पहले दरवाजा बंद कर देते है और वहा से अपने घर के लिए निकल जाते है।।।।
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अयांश एकांशी को कमरे में ले जा कर उसे बेड पर झटके के साथ छोड़ देता है,जिससे एकांशी बेड पर सीधे गिर जाती है,,,डर की वजह से वो अपने हाथो से चादर को पकड़ लेती है, और अपनी आंखे बंद किया, थूक निगलने लगती है।।।
अयांश नशे में धुत एकांशी की ओर झुकने लगता है और एकांशी के गले पर किस्स करता है,,जिससे एकांशी की की धड़कने तेज हो जाती हैं और वो खुद को मजबूत करते हुए गिड़गिड़ाती है....." प्लीज "
एकांशी के बात पर ध्यान ना देते हुए अयांश एकांशी के करीब आते हुए अपने शर्ट के बटन को खोलने लगता है,जिसे देख एकांशी की आंखे आंसुओ से भर जाती है,और उसके आंखो से छलकने लगती है।।।
एकांशी को रोता महसूस कर अयांश अपना सिर उठा कर एकांशी के चेहरे की ओर देखता है, डर से पीला पड़ चुका चेहरा,और आंखो से बेतरतीब ढंग से गिरते आंसू को देख अयांश गुस्से में कहता है...... उस रात जब कोई प्रॉब्लम नहीं थी तो आज क्यो???क्या तुमने ये लाल साड़ी मेरा ध्यान अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए नही पहनी है,,तो फिर मुझसे बचना क्यो चाहती हो????इतना कह कर अयांश
वापस एकांशी के गले पर किस्स करने लगता है।।।
एकांशी बिना कुछ बोले सुबकने लगती है जिससे अयांश वापस अपने सिर को उठा का एकांशी को देखता है,,और गुस्से में अपने हाथ की मुट्ठी बनाते हुए बेड पर ही जोर से मरता है,,बेड पर मारने की आवाज से एकांशी डर कर कांप सी जाती है और उसके कानो में अयांश की तेज चीख सुनाई देती है......." गेट लॉस्ट "
अयांश के चीखते ही एकांशी अपनी आंखे खोल कर अयांश की ओर देखती है,,,जो बेड से उठ कर अपने शर्ट के बटन लगा रहा होता है।।।।
एकांशी को अपने और देखता महसूस पर अयांश उसके ओर देखता है और गुस्से में ही चिल्लाता है....गेट आउट फ्रॉम माय रूम ( मेरे कमरे से बाहर निकलो )।।।।
इतना कह कर मायरा वहां से चली जाती है और एकांशी चलते हुए शीशे के सामने खड़ी हो कर ऐनक में खुद को देखते हुए अपने हाथ को अपने गेल तक ले जाती है और अपने मगलसूत्र को पकड़ कर मन में सोचती है....आठ सालों का सबसे हसीन ख्वाब आज मात्र एक उदासी और नफरत का जरिया बन गया,
उधर अयांश भी बालकनी के झूले पर अपने कटे हुए हथेली पर बिना कोई पट्टी किए सो रहा था,,उसके हाथ से एक एक कर खून की कई बूंदे नीचे फर्श पर गिर कर फैल चुके थे,और काफी देर तक ऐसे ही हाथ लटकाए रहने से अब खून गिरना बंद भी हो चुका था,तभी उसके कानो में अपने फोन की रिंग सुनाई देती है और वो अपने हाथ को संभालते हुए झूले से उठ कर कमरे की तरफ बढ़ जाता है।।।
फोन मायरा का होता है जिसकी वजह से अयांश बिना रिसीव किए फोन को बिस्तर पर बेतरतीब ढंग से फेंक कर शावर लेने चला जाता है।।
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राघव सुबह सुबह ही एकांशी को जुहू गार्डेन के मेंशन ले जाने के लिय अधित्या मेंशन पहुंच जाता है,जिसे देख कर दिनेश
अधित्या( अयांश के बड़े पापा) कहते है..... अयांश आज ऑफिस नही जाएगा,आज शाम को उसका रिसेप्शन है,एक बार शादी की सारी रस्में खत्म हो जाए फिर अपने बॉस को ले जाना,ऑफिस।।।
राघव - मै बॉस को ऑफिस ले जाने नही आया हूं,वो तो कल रात को ही अधित्या मेंशन से चले गए थे, मै मिसेज अधित्या को उनके जुहू गार्डेन के मेंशन ले जाने के लिए आया हूं,बॉस वहीं है,और उनका ऑर्डर है ये।।
दिनेश - ऐसे कैसे चला गया वो,बहु को यही छोड़ कर,और बहु यहां से कहीं नहीं जाएगी,उसे फोन कर के बोलो की यहां वापस आए, रिसेपशन है आज शाम को, मिडिया वाले आयेंगे,,क्या कहेंगे हम सब उनसे???
ओके सर.....कह कर राघव अयांश को फोन मिलता है।।।
अयांश अभी शावर ले कर निकाला ही होता है की उसका फोन दुबारा बजने लगता है, राघव की कॉल देख अयांश एक दो रिंग में ही फोन रिसीव कर लेता है,और एक हम्मम की आवाज के साथ राघव को अपनी बात कहने का मौका देता है।।
राघव फोन पर - सर वो दिनेश सर कह रहे है की मिसेज अधित्या अभी नही जाएंगी,शाम को रिसेप्शन के बाद ही वो आने देंगे मिसेज अधित्या को,और आपको भी यहीं अधित्या मेंशन में आने के लिए कह रहें है।
अयांश राघव की बात सुन गुस्से में अपने हाथ की मुट्ठी बनाते हुए - रिशेप्सन किसकी इजाजत से अरेंज की गई है, मै आ रहा हूं,.....इतना कह कर अयांश फोन को वापस बिस्तर पर फेंक देता है और गुस्से में ही अपने कबर्ड से कपड़ों का एक सेट निकाला कर तैयार हो जाता है,बालों को सेट कर हाथ में मांगने ब्रांड का घड़ी,और चेहरे पर बेहिसाब गुस्से को लिए हुए अपने कार की चाभी और फोन को उठा कर घर से निकल जाता है।
कार को चलाते हुए अयांश के दिमाग में उसी रात की घटना याद आती रहती है,जिससे वो अपने हाथ को स्टेरिंग व्हील पर कसते चला जाता है,,,हाथ काटने और उस पर पट्टी ना होने की वजह से उससे वापस खून बहने लगता है लेकिन अयांश को उस दर्द का एहसास तक नही होता,और वो सामने देखते हुए कार को फुल स्पीड में सड़क पर दौड़ता रहता है।।।
अधित्या मेंशन......।।।।।
भाभी आप तैयार हो गए क्या.....कहते हुए मायरा वापस अयांश के कमरे में आती है और एकांशी को तैयार देख अपने मुंह पर हाथ रख लेती है।।
भाभी कितनी सुंदर लग रही हो,,आप पर ये लाल साड़ी कितनी खूबसूरत लग रही है,,लेकिन बालों को क्यों जुड़ा बना दिया है,इन्हे खोलो ना,मुझे पता है भाई को खुले बालों में आप ज्यादा पसंद आएंगी....मायरा एकांशी को देख कहती है और उसके बालों तक अपना हाथ ले जाती है।।।
नही,,,नही ये ऐसे ही ठीक हैं......कहते हुए एकांशी थोड़ा पीछे हो जाती है,जिससे मायरा कहती है.....अच्छा ठीक है,चलों हम नीचे चलते है, सब आपका नाश्ते पर वेट कर रहें है,,और अयांश भाई भी आते ही होंगे।।
अयांश शब्द सुन कर एकांशी के पैर वही रुक जाते है और उसके दिल को घबराहट घेरती चली जाती है,उसे कल रात की आयंश की सारी बातें याद आ जाती है,जिससे उसके चेहरे पर डर और उदासी उभर आती है।।।
मायरा ( एकांशी की और मुड़ कर) -भाभी आप रुक क्यों गए,,और आपके माथे पर इतना पसीना क्यों आ रहा
है,आपकी तबियत खराब लग रही है मुझे,मै अभी मॉम को बुलाती हूं।।।।
एकांशी ( मायरा का हाथ पकड़ कर )- नही मै ठीक हूं,बस थोड़ी घबराहट हो रही है,वो मै यहां नई हूं ना,इसलिए।।।
मायरा ( एकांशी का हाथ पकड़ कर ) - मुझे पता है आप भाई की वजह से घबरा रहीं है,लेकिन आपको भाई से डरने की जरूरत नही है, मै जानती हूं जिस हालात में आपकी और भाई की शादी हुई है आप दोनो ही एक दूसरे को समझ नही पाए हो,लेकिन देखना आप जल्द ही भाई के प्यार में पड़ जाओगी,और अगर मेरे भाई ने आपको परेशान किया तो मुझे बताना,हम दोनों गुंडे बुला कर उन्हे पिटवाएंगे,,( एकांशी के उदास चेहरे को देखते हुए ) क्या भाभी आप ने तो एक स्माइल नही दी मेरे जोक पर।।।
एक मिडिल क्लास फैमिली की जिम्मेदार लड़की,जिसने छोटी सी उम्र में ही अपनी पूरे परिवार की जिम्मेदारी उठा ली थी,,इसी दौरान उसे किसी से प्यार भी हो गया था,लेकिन अपने प्यार को अपने दिल की बात बताने से पहले ही उसे पता चला की वो किसी और से शादी के लिए पूछने वाला है,जिससे उसने वहां रिजाइन कर दिया और यहां मुंबई आ गई अपने प्यार और अतीत को भुलाने।
नई दुल्हन के स्वागत में रौशनी और फूलों से सजी अधितया मेंशन भी आज किसी दुल्हन से कम नहीं लग रहा था,,चारो ओर चहल पहल और लोगों की भीड़ साफ जाहिर कर रही थी की ये शादी काफी धूम धाम और दिल से की गई है,,
तभी मेंशन के बाहर एक के बाद एक कई गाड़ियां आ कर खड़ी हो जाती है और खूबसूरत लाल गुलाबों से सजी एक गाड़ी से एक हट्टा कट्टा सेरवानी पहने नौजवान लड़का बाहर आता है,
उसके चेहरे को देख मेंशन में मौजूद सभी लोग ये अंदाजा लगा लेते है की वो इस शादी से खुश नही है,,फिर भी वो कार के दुसरे तरफ का दरवाजा खोलता है,
उसमें से एक दुल्हन के लिबास में एक गोरी सी बेहद खुबसूरत लड़की बाहर आती है,उसके चेहरे पर उदासी और नए घर में आने की घबराहट साफ नजर आ रही होती है,
दोनो चलते हुए घर के अंदर आने लगते है,तभी मायरा। (अयांश की छोटी बहन)
उन दोनो को रोक देती है और दूल्हे( अयांश ) से कहती है..... टैक्स भरो,,,
मेरी स्पोर्ट्स कार तेरी,अब मुझे अंदर जाना है,वैसे भी मैं इस ड्रामे से थक चुका हूं.....कहते हुए अयांश मायरा की ओर कार की चाभी उछाल देता है,और अपने कदम चौखट से अंदर लाने ही वाला होता है की मायरा कार की चाभी पकड़ कर दुल्हन( एकांशी) के पास जाती है और कहती है....भाभी आप भारी तो नही हो ना??
एकांशी को मायरा का सवाल समझ नही आता और वो अपनी नजरें झुंका कर बिना कोई आवाज किए शांत खड़ी रहती है,
परफेक्ट,,भाई भाभी को गोद में उठा लो,ऐसे ही ले जाओगे क्या,आप बिल्कुल अनरोमांटिक पर्सन है....मायरा अयांश को छेड़ते हुए कहती है,
पैर हैं इसके..... कहते हुए अयांश चौखट के अंदर आ जाता है,,
मायरा अयांश का हाथ पकड़ उसके कानों में कहती है, "ये क्या बात हुई भाई,आप बिना भाभी को उठाए नही जा सकते,वैसे भी सब लोगों की नजर यहीं है,,साइड में देखो,,.....
अयांश घर में खड़े लोगो की तरफ देख कर.....जो करना है जल्दी करो,,मै थक गया हूं।।।
मां जल्दी से सारी रस्में कर दीजिए...मायरा अपनी मां( सुनीता) से कहती है,,
कुछ ही देर में गृह परवेश की सारी रस्में खत्म हो जाती है और अयांश एकांशी को अपनी बाहों में उठाए अपने कमरे की ओर बढ़ जाता है,,
कमरे का दरवाजा लॉक करने के बाद.....
" अयांश अपनी दुल्हन को बेतरतीब ढग से बिस्तर पर गिराते हुए कहता है,....."एक बार मैं तुम्हारे साथ नशे की हालत में सो गया इसका मतलब ये नही की तुम मेरी जिंदगी का हिस्सा बन गई,,ये मत भूलो की तुम्हारी औकात कहां है और मेरी औकात कहां है,,तुम मेरी जूते की धूल की बराबर भी नहीं हो"मैने तुमसे शादी सिर्फ अपने परिवार और अपनी रिपिटेसन के लिए की है,नही तो मैं तुम्हारी जैसी लड़की को कभी मुंह तक ना लगता,,वो रात मेरी जिंदगी की सबसे मनहूस रात थी,
एकांशी बिस्तर पर पड़े अपनी आंसू भरी आंखों से अयांश की और देखने लगती है, अयांश का हर एक शब्द उसके मन को झंकझोर के रख देता है,
अयांश अपने एक पैर को उठा कर बिस्तर पर रखते हुए एकांशी के गालों को अपने हाथ से पकड़ धमकाने वाले लहजे में कहता है... "हमारे कमरे के बाहर हमारी एक बात नही जानी चाहिए,,नही तो तुम्हारा हाल उस रात से भी बत्तर कर दूंगा,,,,इतना कह कर अयांश फ्रेश होने के लिए बाथरूम में चाल जाता है,और एकंशी उठ कर बैठ अपने घुटनों में अपना चेहरा छुपा कर रोने लगती है।।रोते हुए ही एकांशी को नींद आ जाती है और वो दुलहन के भरी भरकम लहंगे और गहने पहने ही वही बेड पर अपने घुटनो को अपने सीने तक ला कर अपने शरीर को सिकोड़ कर सो जाती है,,,
अयांश फ्रेश हो कर वापस कमरे में आता है तब तक एकांश सो चुकी होती है,जिसे एक नजर देख अयांश के दिल में बेहिसाब नफरत भर जाती है और वो अपने असिस्टेंट राघव को कॉल कर कार के साथ बाहर इंतजार करने को कहता है,और खुद नाइट सूट में ही बाहर निकल जाता है,कुछ देर इंतजार करने के बाद अधित्या मेंशन के बाहर एक कार रुकती है और अयांश कार ने बैठ जाता है।।।
सर कहा चलना है,क्या आप आज रात मिसेज अधित्या के साथ नही रुकेंगे???....राघव अपने सिर को घुमा कर अयांश से पूछता है।।।
राघव का सवाल सुन अयांश सिर उठा कर राघव की ओर
घूरता है और हल्के गुस्से भरी आवाज के साथ कहता है.....जुहू गार्डेन के मेंशन चलो,
लेकिन सर,,मिसेज अधित्या....राघव अभी इतना ही बोला होता है की अयांश कहता है......अपने काम से काम रखो।।।।
जी सर....कहते हुए राघव कार स्टार्ट कर देता है,और बिना कोई सवाल किया गाड़ी चलाने लगता है।।।
कहानी _ भविष्य दर्शन
भाग _ 36
लेखक_ श्याम कुंवर भारती
जब मुख्य मंत्री दीनबंधु ठाकुर ने प्रधान मंत्री जी को पदमिनी की भविष्यवाणी के बारे में फोन पर बताया तो वे बड़े चकित हुए ।बोले मेरी सभा में ऐसे कैसे हो सकता है।मेरी सभा से पूर्व कई दिन पहले हर चीज की जांच होती है।बम तो क्या एक ढेला भी कोई बिना अनुमति के नही रख सकता ।
फिर भी आपको पदमिनी पर इतना विश्वास है तो मैं अपनी एजेंसी को अलर्ट कर देता हूं।
प्रधानी मंत्री जी ने अपने सचिव से अपनी अगली सभा के बारे में पूछा ।
उसने बताया सर आपकी अगली सभा मणिपुर में एक अस्पताल के उद्धघाटन के समय में होने वाली है।
प्रधानमंत्री जी ने कहा _ ठीक है अपनी गुप्तचर एजेंसी के निदेशक को बुलाओ ।
थोड़ी देर में निदेशक के आने के बाद प्रधान मंत्री जी ने उसे सारी बात बताकर कहा इस मामले की गंभीरता से जांच कर बताओ इसमें किन लोगो की साजिश हो सकती है।ध्यान रहे कोई बचना नही चाहिए।
करीब पंद्रह दिनों बाद मुख्य मंत्री जी ने पदमिनी और आनंद को राजधानी अपने कार्यालय में दो दिनों बाद बुलाया।
दो दिनों बाद जब दोनो मुख्य मंत्री जी के कार्यालय में पहुंचे तो वहां गृह मंत्री जी ,गृह सचिव,डीजीपी और मुख्य सचिव मौयूद थे ।मुख्य मंत्री जी ने कहा _ हमारी सरकार ने यह निर्णय लिया है कि पदमिनी को राज्य सुरक्षा सलाहकार और आनंद को उप राज्य सलाहकार नियुक्त किया।ताकि राज्य के अंदर होने वाली किसी भी सुरक्षा संबंधी षड्यंत्रों का समय पर पता लगाकर उसका उचित समाधान किया जा सके । राज्य में सुरक्षा व्यवस्था हमेसा चाक चौबंद रहे।इसमें इन दोनो की सलाह के अनुसार रणनीति बनाई जा सकेगी ।
पदमिनी ने कहा_ हम दोनो को इतना सम्मान देने के लिए आपका आभार अंकल लेकिन आपको पता है अभी हम दोनो अपनी पढ़ाई पूरा करना चाहते हैं।आनंद आईपीएस और मैं आईएएस ऑफिसर बनना चाहती हूं।
ऐसे में हम दोनों इतनी बड़ी जिम्मेवारी कैसे निभा सकते हैं।
मुझे मालूम है लेकिन चिंता मत करो तुम दोनो की पढ़ाई पर कोई असर नहीं पड़ेगा। जो काम तुम मुझे बिना कोई सरकारी
आदेश के करके मेरी मदद करती थी ।वही काम अब तुम सरकार के लिए करोगी ।इसके लिए सरकार तुम्हे मासिक पांच लाख रुपए,बंगला ,गाड़ी ,ऑफिस और स्टाफ देगी ।अब तुम सीधे डीजीपी,गृह मंत्री,गृह सचिव,निदेशक सीआईडी और अन्य संबंधित लोगो से संपर्क कर कार्य कर सकती हो।
मेरी तो तुम बेटी जैसी हो जब चाहो बात कर सकती हो या मिल सकती हो।
पदमिनी ने कहा _ ठीक है अंकल जैसा आप उचित समझे ।
तभी आनंद के मोबाइल पर इसके मित्र नरेंद्र का फोन आया।
सुनकर आनंद के होश उड़ गए ।वो बैचेन हो उठा ।
पदमिनी ने उसकी हालत देखकर पूछा क्या हुआ आनंद सब ठीक तो है।
आनंद ने बताया_ थोड़ी देर पहले मेरे और तुम्हारे घर को बम से उड़ा दिया गया है।हम दोनो के माता पिता बुरी तरह घायल हो गए है उन सबको सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया है।।मेरी बहन कोलेज गई थी इसलिए बच गई। इतना कहते हुए वो रोने लगा।
उसकी बात सुनते ही पद्मिनी भी घबड़ा गई उसकी आंखो में आंसू आ गए ।
मुख्य मंत्री जी ने डीजीपी से कहा _ आप तुरंत उस जिला के एसपी को बोले इन दोनो के घर और अस्पताल की सुरक्षा बढ़ा दे और जिन लोगो का इस बम ब्लास्ट में हाथ है उन्हे अविलंब जिंदा या मुर्दा गिरफतार करे।
अपने सचिव से कहा" तुरंत सिविल सर्जन को फोन कर उनको इनके माता पिता के बारे में बताकर कहो उनको है हर हाल में बचाना है इनके इलाज में कोई कमी नहीं होनी चाहिए में भी अस्पताल पहुंच रहा हूं।
ईतना कहकर मुख्य मंत्री जी उठ खड़े हुए और बोले आओ दोनो चलो मेरी गाड़ी में ।हेलीकॉप्टर से तुरंत अस्पताल पहुंचते है।
पदमिनी और आनंद रोते हुए उनके पीछे चल दिए।
शेष अगले भाग _ 37 में
लेखक _ श्याम कुंवर भारती
बोकारो, झारखंड
मोब.9955509286
* प्रेस विज्ञप्ति*
दिनांक _ 28/06/2024
आयोजक _ महिला कल्याण समिति धोरी बोकारो
टेलीकॉम उपभोक्ता जागरूकता कार्यक्रम ( cap)
महात्मा गांधी उच्च विद्यालय देवरिया पतरातु, रामगढ़ झारखंड
*
भारतीय दूरसंचार बिनियामक प्राधिकरण, भारत सरकार (ट्राई)
सूचना और प्रसारण मंत्रालय
आज दिनांक 28/06/2024 को सुबह 10.30 बजे ट्राई भारत सरकार के सौजन्य से महिला कल्याण समिति धोरी बोकारो द्वारा महात्मा गांधी उच्च विद्यालय देवरिया ,पतरातु ,रामगढ़ झारखंड झारखंड में टेलीकॉम उपभोक्ता जागरूकता कार्यक्रम(CAP )का आयोजन किया गया।मुख्य अतिथि के रूप में मुख्य अतिथि श्री मनोज राम पूर्व उपाध्यक्ष जिला पंचायत परिषद रामगढ़ के प्रतिनिधि के रूप में श्री अशोक कुमार मिश्र प्राचार्य ने अपने करकमलों द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर उद्धघाटन किया। इस अवसर पर विद्यालय संस्थापक श्री कैलाश राम आचार्य श्रीमती निक्की कुमारी, श्रीमती उषा कुमारी,वीना कुमारी मकस संस्था के महासचिव सह सदस्य, CAG, झारखंड रीजन, श्याम कुंवर भारती और रविंद्र कुमार सिंह एनजीओ प्रतिनिधि,भी उपस्थित रहे।अपने संबोधन में मुख्य अतिथि ने कहा कि आज डिजिटल इंडिया का जमाना है।इस क्षेत्र में देश ने काफी प्रगति किया है।उपभोक्ताओं को काफी सहूलियत और किफायती हुआ है। लेकिन इसके उपयोग में बड़ी सावधानी की ज़रूरत है। जरा सी लापरवाही होने पर लाखो रुपए की क्षति हो सकती है ।आपके खून पसीने की कमाई लूट ली जा जायेगी और आपको पता भी नही चलेगा। खासकर छात्र छात्राओं को सोसल मीडिया और इंटरनेट का उपयोग करते समय ,किसी भी तरह का फार्म भरते समय या रुपए का लेनदेन करते समय काफी सावधानी बरतने की जरूरत है।आजकल झारखंड क्या जामताड़ा और हरियाणा का नूह साइबर क्राइम का है बना हुआ है।
प्रतिनिधि जियो ने जियो की उपलब्धियों के बारे में बताया। उन्होंने जियो फाइबर के लाभ बताते हुए कहा इससे कॉलेज प्रबंधन और सभी छात्र लाभ उठा सकते हैं।उन्होंने कहा कि उपभोक्ताओं को किसी भी तरह की समस्या होने पर अपने नजदीकी जियो सर्विस सेंटर से सम्पर्क कर सकते हैं।
सिएजी सदस्य ट्राई भारत सरकार डॉक्टर श्याम कुंवर भारती ने विस्तार से टाई द्वारा टेलीकॉम उपभोक्ताओ के लिए चलाए जा रहे योजनाओं और कार्यकर्मो के बारे में बताया ।भारती ने कहा कोई भी टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर उपभोक्ताओं के साथ धोखा नही कर सकती ।ट्राई द्वारा बनाए गए नियमों के तहत उपभोक्ता को सारी सुविधाएं देनी है।टावर फ्रॉड से भी सबको बचना है।ऑनलाइन किसी को भी टॉवर लगाने के नाम पर जरूरी कागजात और पैसे नही देने है।
किसी भी अपरिचित को अपना पासवर्ड या पिन नंबर नही देना है।किसी भी तरह की शिकायत होने पर पहले संबधित टीएसपी को शिकायत दर्ज करानी है।सुनवाई नही होने पर cag मेंबर के रूप में मुझे और ट्राई को मेल द्वारा सूचित करना है। सरकार द्धारा चलाए जा रहे डिजिटल इंडिया का पुरा लाभ उठाए।
सभा अध्यक्ष, कैलाश राम ने कहा कि टेलिकॉम उपभोक्ता जागरूकता कार्यक्रम इस तरह के ग्रामीण क्षेत्रों में किए जाने की अत्यंत आवश्यकता है ताकि अधिक से अधिक लोगो तक ट्राई को योजनाओं को पहुंचाया जा सके।इस अयोजन से निश्चित ही छात्रों को काफी लाभ मिलेगा।
स्वगताध्यक्ष निक्की कुमारी ने कहा ट्राई द्वारा चलाए जा रहे उपभोक्ता जागरूकता कार्यक्रम की मैं सराहना करता हूं।ऐसे आयोजन लगातार चलाए जानें की जरूरत है ताकी लोगो को कंपनियों और साइबर अपराधियों से बचाया जा सके। विद्यालय के शिक्षिका श्रीमती उषा कुमारी ने सभी अतिथियों और प्रतिभागीयों का धन्यवाद ज्ञापन किया ।
कार्यक्रम में सैकड़ों छात्र छात्राओं ने भाग लिया और अयोजन का लाभ उठाया।साथ ही विद्यालय के सभी शिक्षकों ने भी भाग लिया और प्रशंसा किया। समाजसेवी और पत्रकार मुकेश कुमार ने साइबर क्राइम से बचने के उपायों के बारे में बताया।विद्यालय के सभी शिक्षकों ने अयोजन को सफल बनाने में सराहनीय सहयोग दिया।
इससे पूर्व छात्राओं ने स्वागत गीत गाकर अतिथियोका स्वागत किया।
भवदीय
श्याम कुंवर भारती
महासचिव सह सदस्य सीएजी ट्राई झारखंड रीजन, भारत सरकार
महिला कल्याण समिति धोरी बोकारो
ठीक है चलो मंत्री जी ने कहा।
तीनो पैदल ही योग भवन की ओर चल दिए।उनके पीछे पीछे मंत्री जी के सुरक्षा गार्ड और उनके दर्जनों कार्यकर्ता पैदल ही चलने लगे।
रास्ता में आनंद ने कहा _ यार मुझे फिट रहने का उपाय बताओ ।लिखित परीक्षा के बाद मेरा फिटनेश टेस्ट भी होगा तभी तो पुलिस का बड़ा ऑफिसर बनूंगा।
पदमिनी ने पूछा रोज सुबह दौड़ते हो या नही वरना पेट बाहर निकल जायेगा।
योगाभ्यास नियमित करते रहो।थोड़ा फुटबॉल या बोलीबोल भी खेलो तुम्हारे लिए अच्छा रहेगा।साथ में अपने खाने पीने पर ध्यान दो ।
वैसे आज मैं तुम्हे अमृतासन सिखाऊंगी जिससे तुम सदा जवान स्वस्थ और फिट रहोगे।
क्या बात है यार तब तो बहुत अच्छा रहेगा ।तुम भी जवान रहोगी और मैं भी जवान हमारी जोड़ी तो एकदम हिट रहेगी ।आनंद ने मजाकिया लहजे में कहा ।उसकी बात सुनकर मंत्री जी और आनंद सभी हसने लगे।
योग भवन में काफी लोग पहुंच चुके थे। पदमिनी के साथ मंत्री जी को आया देखकर सब लोग बड़े खुश और उत्साहित हुए।
पदमिनी योग भवन के योगाभ्यास कक्ष में सबको लेकर गई और सबको अपने अपने आसन पर बैठने के लिए बोली ।
उसने माइक से बोलना शुरू किया _ जैसा कि आप सभी जानते हैं योग हमारे ऋषि मुनि और संत महात्मा करते थे।लेकिन उन्होंने हम आम लोगो के लिए भी स्वस्थ और प्रसन्न रहने के लिए योग अपनाने का सुझाव दिया था।
उन्होंने योग को जीव _जंतुओं ,पेड़ पौधे ,सर्प ,बिल्ली कुत्ता से भी लिया था।इसके अलावा श्री कृष्ण की मुद्रा से लिया था।सभी आसन हमारे लिए लाभदायक और स्वस्थ वर्धक है।
योग खड़े होकर, बैठकर,चित लेटकर और पट लेटकर भी करते है।उसी तरह उल्टा खड़ा होकर यानी शीर्षासन भी करते है ।
उसी तरह आज मैं आप लोगो को दो नए आसन सिखाऊंगी।पहले आप लोग ध्यान से इसकी विधि सुन ले फिर मुझे करते हुए देखे तब आप सब भी अभ्यास करे।मंत्री जी और आनंद भी उसके अगल बगल में बैठे हुए ध्यान से उसकी बात सुन रहे थे।
पदमिनी ने कहा _ पहले आप निंद्रासन सीखेंगे।जिनको किसी कारण से नींद नहीं आती है या कम आती है उनको इस आसन का जरूर अभ्यास करना चाहिए वरना चिड़चिड़ापन, अनिंद्रा,गुस्सा,भूलने की बिमारी,कमजोरी यहां तक पागलपन भी हो सकता है।क्योंकि हम दिन भर काम करते है जिससे हमारा शरीर ही नहीं मन ,हड्डियां ,मांसपेशीयां,और विचार सभी थक जाते हैं।इन सबको आराम देने के लिए ईश्वर ने रात और नींद बनाई ।
भरपूर और गहरी नींद आने से सभी अंगों को आराम मिलता है।इसी अवस्था में हमारा पाचन तंत्र भी बेहतर काम करता है।जिससे हम सुबह तरो ताजा महसूस करते हैं और फिर से हम अपनी दिनचर्या में लग जाते है।
वो थोड़ी देर रुक कर सब पर एक निगाह डाली और बोली सबसे पहले हम आराम की मुद्रा में लेट जायेंगे ।अपने दोनों हाथो को पैरो की तरफ सीधा कर लेंगे।
सभी अंगों ,विचारो हाथ और पैर को ढीला छोड़ देंगे ।इसके बाद मन में यह भाव करेंगे की हम खुले आसमान के नीचे सोए हुए है।चारो तरफ शांति फैली हुई है।मंद मंद और ठंडी हवा बह रही है ।मेरे हाथ पैर तन और मन भी शांत होकर आराम की मुद्रा में है ।मुझे धीरे धीरे गहरी नींद आ रही है और मैं गहरी नींद में खोता चला जा रहा हूं या खोती चली जा रही हूं ।अपनी आंखे बंद रखे और गहरी नींद में चले जाएं।
इति कहकर पद्मिनी ने उस आसान को करके दिखाया और कहा अब अप लोग भी अभ्यास करे।मैं बोलती जाती हूं आप लोग भी अपने मन में वही भाव करे । आप सब देखेंगे कुछ ही देर में सब लोग गहरी नींद में चले जायेंगे।यह कोई जादू मंत्र नही है बल्कि योग का चमत्कार है।
थोड़ी ही देर मे वहा उपस्थित सारे लोग गहरी नींद में चले गए।मंत्री जी तो खर्राटे लेने लगे जैसे कई महीनो से सोए नही हो।
थोरी देर बाद पद्मिनी ने सबको नींद से जागते हुए कहा _ आइए अब हम लोग दूसरे आसान का अभ्यास करते हैं।
मंत्री जी ने कहा _ कमाल है बेटी तुम तो सच में जागुगर हो।मुझे तो कई दिनों से नींद नहीं आ रही थी लेकिन तुमने तो कुछ पल में ही मुझे सुला दिया।
बस रोज रात को सोते समय इस आसन को करते रहे पद्मिनी ने मुस्कुराते हुए कहा।
अब सब लोग पद्मासन यानी पलथी मारकर अपने दोनो हाथो को अपने घुटने पर रखे। अंगूठा और प्रथम अंगुली को आपस में मिलाकर बाकी अंगुलियों को सीधा रखे।
अब अपनी जीभ को उलट कर अपने तालु से सटा ले और मन में भाव करे की आपके तालु रूपी ब्रम्हांड से अमृत टपककर जिह्वा द्वारा होते हुए आपके अमाशय में जा रहा है और वहा से रक्त वाहिनियों द्वारा होता हुआ शरीर के सभी अंगों में प्रवाहित हो रहा है जिससे आप स्वस्थ,सुंदर ,अजर अमर , बलवान और शक्तिमान होते जा रहे हैं।
यह भाव आपके मन में अभ्यास के क्रम में निरंतर चलते रहना चाहिए।इससे आप सदा स्वस्थ और जवान बने रहेंगे शर्त ये है की आपका खान पान और रहन सहन भी सही हो।
अगले महीने चुनाव आ गया ।पद्मिनी ने जैसी भविष्यवाणी की थी ठीक वैसा ही हो रहा था।लेकिन विधायक ने सब षड्यंत्रों को नाकाम करते हुए बड़ी सावधानी से चुनाव लडा ।
उसने बिरिधियो के हर चाल को नाकाम कर दिया।
चुनाव के दिन राज्य सरकार और केंद्र सरकार ने सुरक्षा की कड़ी ब्यवस्था किया था।चुनाव आयोग पूरी तरह सतर्क था।फिर भी संवेदन शील बूथों पर काफी हों हंगामा हुआ ।दोनो पक्षों में काफी झडप,मार पीट ,गोली ,बंदूक और बम खूब चले लेकिन सब बेकार।मतदाता झुंड के झुंड बूथों पर गए और मतदान किया।
उनको गुंडों ने घरों से निकलने नही देने का भरपूर प्रयास किया लेकिन सेन्ट्रल गवर्नमेंट की फोर्स ने सबको दौड़ा दौड़ा कर पीटा।गुंडे लाचार नजर आए।
अंत में वोटिंग के बाद जब सारी प्रक्रिया पूरी करने के बाद ईवीएम मशीन को पूरी सुरक्षा के बीच जिला प्रशासन की निगरानी में लोक रूम में भेजा जा रहा था।कई बूथों की ईवीएम मशीन को हथियार बंद गुंडों ने लूट लिया।
राज्य स्तर तक हलचल मच गई ।उन बूथों के चुनाव दुबारा कराने की योजना बनने लगी ।लेकिन पद्मिनी ने विधायक से कहा _ अंकल आप चिंता मत करे।पुलिस को उन ईवीएम मशीनों को जैसे पता लगाना है लगाए।मैं उनका पता लगा लूंगी ।आप उन बूथों का चुनाव रद्द होने मत दे।
आप हर हाल में जीतेंगे।
विधायक ने उसकी बात मान लिया।
करीब पन्द्रह दिनों बाद मतगणना का दिन तय हुआ था।लूटी गई ईवीएम मशीनों के बिना मतगणना संभव नही थी ।
विधायक ने पदमिनी से पूछा अब क्या करे।
पदमिनी ने अपने ध्यान योग के बल उन मशीनों का पता बता दिया था।और कहा _ इसकी खबर बिरोधियो को नही लगनी चाहिए ।बड़ी संख्या में सेंट्रल गवर्नमेंट की फोर्स को लेकर डीसी और एसपी ने छापा मारकर उनको अपने कब्जे में ले लिया गया और उनको स्ट्रॉन्ग रूम में लाकर सुरक्षित रख दिया गया ।वहा रात दिन कड़ा पहरा लगा दिया।
मतगणना के दिन विधायक मात्र एक भोट से हारने लगे लेकिन जैसे ही लूटी गई ईवीएम मशीनों को खोला गया तो विधायक बारह हजार वोटों से जीत गए।
उनके सारे समर्थक खुशी से झूम उठे।सर्टिफिकेट लेकर विधायक ढोल बाजा के साथ जुलूस निकालते हुए सबका अभिवादन स्वीकार करते हुए अपने आवास पर आ गए।
उनकी पार्टी ने पूरे राज्य में अच्छा प्रदर्शन किया और विपक्ष को करारी हार देते हुए बहुमत के आंकड़े को पार करते हुए रिकार्ड सीटो से जीत गई ।सरकार बनते ही विधायक जी को शिक्षा मंत्री का पद दिया गया।
पदमिनी और आनंद ने स्टेट टॉप किया।उनके बाकी साथी भी अच्छे अंकों से उत्तीर्ण हो गए।
उनका कॉलेज पूरे राज्य में सबसे अधिक परिणाम देने वाला कॉलेज बना।शिक्षा मंत्री ने उस कॉलेज को सम्मानित करने की घोषणा कर दिया।
पदमिनी की भविष्यवाणी सत्य साबित हुई।
कॉलेज के प्रिंसिपल और सभी प्रोफेसर और लेक्चरर काफी खुश हुए ।सबने पदमिनी को भविष्यवाणी के लिए आभार प्रकट किया।
आनंद को आईपीएस और पद्मिनी को आईएसएस ऑफिसर बनने की इक्षा थी ।शिक्षा मंत्री ने दोनो की पढ़ाई का खर्चा राज्य सरकार द्वारा दिए जाने की घोषणा कर दिया।
ओमप्रकाश एक होटल के कमरे मे कुछ गुंडों के साथ बातचीत कर रहा था वो काफी गुस्से में था।इस पद्मिनी ने मेरी हर योजना पर पानी फेर दिया।इसको तो मैं छोडूंगा नही ।उसका साथ देने वाला आनंद भी खरतबाक है ।दोनो का खेल खत्म करना होगा।
एक गुंडे ने कहा _ लेकिन बॉस आप भी तो आश्रम गए थे।आप ध्यान साधना नही सीख पाए जबकि पद्मिनी बहुत आगे निकल गई।
तभी सबका बॉस दिखने वाला वहा कमरे में दाखिल हुआ।कैसे सीखता ये तो प्रेम लीला में फस गया था।
ध्यान से सुनो हमे कई इंटरनेशनल गैंग की तरफ से भारत के विरोध में कई बड़ी घटनाओ को अंजाम देने के लिए बहुत बड़ी ऑफर मिल रही है ।अगर इस बार तुम फेल हुए तो तुम्हारा खेल मां खत्म कर दूंगा।
इस बार कोई चूक नहीं होंगी बॉस आप इत्मीनान रखे ।ओम ने दृढ़ स्वर में कहा ।
ठीक है यह तुम्हारा अंतिम मौका होगा।और हमारी किसी भी योजना के बारे में किसी को कानो कान खबर न होने पाए।उनके बॉस ने कहा।
जी बिल्कुल नही मैं आपको शिकायत का मौका नही दूंगा।
ठीक हो लो इस बैग में दो करोड़ रुपए है रख लो । मैं डील फाइनल करके तुम्हे काम के बारे में बता दूंगा।उसके बॉस ने उसे एक बैग देते हुए कहा।
एक बात और सबसे पहले तुम अपना हुलिया बदल लो ।ताकि कोई तुन्हे पहचान न सके।
लेकिन उन्हें पता नही था यह सब पदमिनी देख और सुन रही थी। वो ध्यान साधना में लीन थी।
शेष अगले भाग _ 30 में
लेखक _ श्याम कुंवर भारती
बोकारो, झारखंड
मोब.9955509286
दुनिया सुंदर है क्योंकि कुछ लड़के हैं
जो माँ की साड़ी की प्लेट्स झुक कर फ़िक्स कर देते हैं,
उन्हें ख़्याल आता है कि माँ को झुकने में तकलीफ़ होती है,
कुछ लड़के होते हैं
जो घर का काम कर देते हैं
ताकि वाइफ़ को भी टाइम मिल सके,
कुछ लड़के होते हैं
जो अपनी दोस्तों के लिए
खड़े रहते हैं उनके है सुख दुख में,
कोशिश करते हैं उनकी हर
समस्या दूर करने में
ऐसा करते हुए वो कुछ ख़ास नहीं कर रहे होते
न ही एहसान ज़ाहिर करते हैं
क्योंकि उनको पता है
इक्वॉलिटी क्या होती है,
एक इंसान को दूसरे इंसान के साथ कैसा होना चाहिए
दुनिया ऐसे लड़कों के होने की वजह से सुंदर है. ❤️🌸
#मेरे_जैसे_लड़के
2 मिनट टाइम मिले तो पुरा जरुर पढ़ना मित्र🙏🏻😔
समाज का ठुकराया ,गांव-परिवार से कोशो दूर चला गया, फिर भी खुद से हार गया......😒😪😥
🏃🏃🏃🏃🚶🚶🚶
ये सच्चाई हैं आज के युवाओ, नौजवानो ,लड़को की जिंदगी की सच्चाई की
जब तक 12वी कक्षा तक पढ़ता हैं उनकी भी जिंदगी में खुशिया होती हैं,🤗
उन्हें बचपन से ही यही सिखाया जाता हैं,
तुमको बड़े होकर डॉक्टर, इंजीनियर, टीचर बनना हैं
ये सब बनोगे तभी समाज में इज्जत मिलेगी ,
सादी हो जाएगी😳
ये उनके मन में एक प्रेशर (दबाव) बचपन से ही दे दिया जाता हैं 😢
वो खुद के लिए जीना छोड़ देता हैं वो समाज न कुछ कह पाए उसके हिसाब से जीने लगता हैं 😒
अब उसकी 12वी कक्षा की पढ़ाई पूरी हुई तो आगे कौन सा कोर्स करे ,जिससे अच्छी नौकरी मिल जाये ,
सबसे सलाह लेता हैं किसी ने कहा B.Tech किसी ने BCA किसी ने BA, Bsc किसी ने कुछ,
फिर वो इंजीनियरिंग कर लेता हैं
सबको यही लगता इसमें नौकरी अच्छी मिल जाती हैं बहुत स्कोप हैं ,
ऐसा नहीं हैं स्कोप हैं भी ,एक जमाना था जब स्कोप हुआ करता था,
पर उस लड़के को नहीं पता था की उसका आने वाले भविष्य उसे कहा लेकर जा रहा हैं,
10 लाख लगाकर इंजीनियरिंग घरवालों ने करा दी, इंजीनियरिंग के चार साल बड़े मजे में बीते ,
जब इंजीनियरिंग पूरी तो कैंपस प्लेसमेंट नहीं हुआ
😤😢😥😣😞
अब शुरू होती हैं असली कहानी 😒👇
घर वालो के ताने शुरू हो गए ,
अब ढूंढो नौकरी, कमाओ पैसा ,
बहुत पढ़ा दिया जाओ अब कमाओ ,
लड़का सूरत (गुजरात) चला गया ,
वहा एक कंपनी में 10,000 रूपए में जॉब मिली
ड्यूटी- 12 घंटे की,
लगातार काम करता हैं अपने भविष्य के लिए ,,
जीरो से शुरू करके 10-12 हजार की नौकरी तक पहुँचता हैं ,
देश में इतनी बेरोजगारी हैं कि जीवन चलाना मुश्किल सा हो गया हैं 😒
अब लड़के की उम्र सादी की होने लगी ,,
तो कोई सादी को नहीं आ रहा ,
अब किसी लड़की को प्राइवेट नौकरी वाला लड़का नहीं चाहिए,
अगर लड़का बेरोजगार हैं, तो वो सादी का सपना देखना ही बंद कर दे 😏
आजकल हर लड़की को सरकारी नौकरी वाला लड़का चाहिए, अगर नौकरी वाला हैं, तो उसे पैसे देने को भी तैयार हैं ये दहेज़ नहीं हैं क्या? बिलकुल हैं 😏
ये हर उन लड़को के साथ शोषण और अत्याचार हैं जो किसी मज़बूरी बस सफल नहीं हो पाए, बेरोजगार रह गये , 😢😤
या छोटी मोटी नौकरी करके गुजारा कर रहे हैं 😢
आज के समय गाँवो में ये हाल हो गया हैं कि लडको की सादी हो जाये इसलिए नौकरी कर रहे हैं ,
लड़के वाले खुद कहते हैं हमारे लड़के की सादी करादो, बड़े-बड़े खेती वालो के लड़के भी कुंवारे बैठे हैं ,
सादी नहीं हो रही,
ये कैसा समाज बनता जा रहा हैं😡
एक तरफ लड़की की बात होगी तो दहेज़ का मुद्दा आ जाता हैं, तो ये क्या दहेज़ का मुद्दा नहीं हैं?
ये भी पैसे दहेज़ से ही जुड़ा मुद्दा ( सवाल )हैं ?
समाज का बैलेंस बिगड़ रहा हैं?
लड़कियों को भी समझना चाहिए ,,
अगर आप नौकरी कर रही हो तो एक लड़के का सपोर्ट कर सकती हो!
अगर लड़के नौकरी में होते हैं बेरोजगार लड़की से सादी कर सकते हैं !
तो लड़कियों को भी यही करना चाहिए!
लड़को को सपोर्ट करना चाहिए !
सावन सोमवार की हार्दिक शुभकामनाएं to my Politics Family 🔱🔥
❝𝐄𝐯𝐞𝐫𝐲 𝐜𝐡𝐚𝐩𝐭𝐞𝐫 𝐨𝐟 𝐥𝐢𝐟𝐞 𝐡𝐚𝐬 𝐢𝐭𝐬 𝐨𝐰𝐧 𝐛𝐞𝐚𝐮𝐭𝐲❞
अयांश ( एकांशी की ओर बिना देखे ) - उसकी जरूरत नही है,,वैसे भी उसकी कार आ गई होगी,,तुम्हे उसकी चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है,अगर मेरे साथ कार में चलना हो तो तीस सेकंड में मुझे कार में मिलो,वरना मैं चला जाऊंगा और तुम्हे पैदल आना पड़ेगा.....इतना कह कर अयांश अपनी आंखो पर चश्मा लगाता है और कैफे के बाहर निकल जाता है।।।
भाई भी ना,,खैर क्या हम आगे भी मिल सकते है....नक्ष एक मुस्कान के साथ एकांशी से पूछता है।।।।
आपको तीस मिनट नही,,बस तीस सेकंड मिला है....कहते हुए एकांशी थोड़ा मुस्कुराती है और चलते हुए कैफे से निकल जाती है,उसकी कार भी आ चुकी थी जिससे वो कार में बैठ कर खिड़की से अपना सिर निकाल कर अपने कार के पास खड़े अयांश को देखती है और एक मुस्कान के साथ ड्राइवर से कहती है.... चलीए काका घर ले चलिए।।।।
नक्ष भी कैफे से बाहर आकर अयांश को घूरता है और उससे
कहता है....आप बैल है क्या???
अयांश ( हैरानी से ) - क्या??तुमने मुझे अभी अभी बैल कहा है???
नक्ष ( गुस्से में ) - हां क्योंकि आप हो??आपको दिखाई नहीं दे रहा था,वो लड़की कितनी खूबसूरत थी,,,वो मुझसे इंप्रेस भी हो गई थी,लेकिन आपने सब कुछ खराब कर दिया।।।
अयांश ( कार का दरवाजा खोल उसमे बैठते हुए ) - मैने तो नोटिस ही नही किया की तुम क्या करने की कोशिश कर रहे थे।।।
नक्ष ( कार के पैसनेजर सीट पर बैठ कर ) - आप नही समझ सकते भाई,,आपके पास दिल ही नही है,,जब मैने उसे पहली बार देखा था,तभी मेरे दिल ने कहा था की यही है वो जिसे मैं ढूंढ रहा था,,भाई वो मेरी सच्ची मुहब्बत है,और मैं उसी से शादी करूंगा,,इनफैक्ट मैंने सोच लिया है डैड के बर्थडे पार्टी के बाद मैं उनसे मेरा रिश्ता एकांशी के घर भेजने को कहूंगा।।।।
अयांश ( हंसते हुए ) - अच्छी फ्यूचर प्लैनिंग है,लेकिन जैसा हम सोचे वैसा ही हो ये जरूरी तो नहीं।।।।
टूटने की आवाज सुन के अयांश एकांशी की और देखता है,और बिना किसी प्रतिक्रिया के उठ कर चलते हुए दरवाजे तक चला जाता है,,दरवाजा खोलने पर उसे अपने हाथों में कई सारे झोले लिए हुए राघव नजर आता है जो ऐसे हांफ रहा होता है जैसे दौड़ कर आया हो।।।।
अयांश ( एकांशी की ओर एक नजर देख राघव की ओर
देखते हुए ) - जो इस वक्त के लिए लाए हो उसे टेबल पर लगा दो और जो दोपहर के लिए है उसे फ्रिज में डाल दो,,,और हां जो कपड़े लाए हो वो उसे दे कर कहो की शावर लेकर पहन ले....कहते हुए अयांश अपने लैपटॉप तक जाता है और उसे उठा कर बाहर गार्डेन की ओर बढ़ जाता है।।।।
राघव अयांश को देखते हुए नाश्ते को टेबल पर लगाने से पहले एकांशी के पास जाता है और उसे एक बैग देते हुए शावर लेने और इसे पहनने को कहता है, एकांशी के बैग लेते ही राघव नाश्ता लगाने चला जाता है,और एकांशी उस टूटे कप को उठाने के लिए झूंकी ही होती है की उसके कानों में अयांश की आवाज आती है,जिससे वो अपने सिर को उठा कर अयांश की और देखती है,जो उसी के और देखते हुए कह रहा होता है....उसे छूने की जरूरत नही है,,शावर लो और नाश्ता करो,,,(राघव की ओर देख कर ) अगर तुम्हारा काम यहां खत्म हो गया हो तो मुझे ऑफिस ले चलो।।।।
राघव ( अयांश की ओर देख कर ) - ओके सर....इतना कह कर राघव एकांशी से खाना एंजॉय करने को कहता है और अयांश के साथ बाहर चला जाता है।।।।
अयांश और राघव को बाहर जाता देख एकांशी उस बैग को उठा लेती है और दरवाजे तक जा कर उसे लॉक करने के
बाद ऊपर अयांश के कमरे में चली जाती है।।।
एकांशी फ्रेश हो कर राघव के लाए हुए कपड़े को पहन लेती है और वापस हॉल में आ कर ब्रेकफास्ट करती है,,,ब्रेकफास्ट करते हुए उसे अपने इंदौर के घर में बिताए लम्हे याद आ जाती है,जिससे उसके आंखो में आंसू आ जाते है और वो सोचने लगती है की आज वो इन हालतों में कैसे फसी,जहां उससे हर कोई नफरत करता है......रोज की तरह ही आज भी एकांशी सुबह उठ कर अपने मां पापा के लिए नाश्ता बना कर कॉलेज के लिए निकल ही रही होती है की उसे अपने दरवाजे पर वही गाड़ी वाला ( नक्ष) दिखाई देता है, जो उस दिन की तरह ही उसे देख कर मुस्कुरा रहा था,,, एकांशी का उसका इस तरह देखना अच्छा नही लगता और वो अपने सिर को दूसरी तरफ मोड़ कर अपने कार के पिछले सीट पर जा कर बैठते हुए अपने ड्राइवर से चलने को कहती है।।।
कॉलेज पहुंच कर एकांशी अपने कार से उतर कर कॉलेज में जा ही रही होती है की उससे पीछे से आवाज आती है....हेलो,,मिस,,,,क्या आपने मुझे पहचाना नहीं??
एकांशी आवाज सुन कर बिना मुड़े ही कहती है....मुझे ये सब नही पसंद,,दुबार मेरे पीछे मत आना....इतना कह कर एकांशी कॉलेज में चली जाती है और नक्ष वही खड़ा उसे
जाते तब तक देखता रहता है जब तक की वो उसकी आंखो से ओझल नहीं हो जाती,,, एकांशी की बातें उसके दिल को चोट पहुंचती है और वो दुबार उसके पीछे नहीं जाता।।।
लेकिन एक दिन जब एकांशी एक कैफे में बैठी अपनी दोस्त का इंतजार कर रही थी,तब उसके टेबल पर कुछ लड़के आ कर बैठ जाते है और उससे कुछ उटपटांग बातें करने लगते है जिससे एकांशी वहां से उठ कर जाने लगी तभी उसमे से एक लड़के ने एकांशी का हाथ पकड़ कर अपने साथ बैठा लिया,और उसके गालों को छूते हुए उससे बातामीजी करने लगा,,बाकी लड़के उस लड़के की हरकत पर हस रहे थे,,,ये सब खुद के साथ होता देख एकांशी बिल्कुल डर गई,और उसने उस लड़के से उसे छोड़ने का आग्रह किया लेकिन उन लड़कों पर कोई फर्क नही पड़ा और वो एकांशी के बाजू पर अपने हाथ से सहलाने लगे,, एकांशी के आंखो से लगातार आंसू की बूंदे नीचे गिर रही थी,,,,और कैफे में बैठे सभी लोग खुद में ही बाते किए जा रहे थे.....ये सब तो इनका रोज का धंधा हो गया है,,,किसी मासूम लड़की को देखते ही इनकी बदमाशी चालू हो जाती है,लेकिन हम कर भी क्या सकते है,,जिसने लड़की को पकड़ रखा है वो एमएलए का बेटा है,, निहायत घटिया लड़का है।।।।
कैफे में भुनभुनाहट सुन उन लड़कों मे से एक ने कैफे में बैठे
सभी लोगो पर नजर डाली जिससे कैफे बिल्कुल शांत हो गया,,,डर और घबराहट से एकांशी के हाथ पाव ठंडे होने लगे जिससे उसके माथे पर पसीने की बुंद उभार आई,जिसे देख लड़के हसने लगे,,,,तभी कैफे का दरवाजा खुलने की आवाज आई और वो लड़के दरवाजे की ओर ही देखने लगे....दरवाजे पर दो लड़के ( अयांश और नक्ष) अच्छे सूट बूट में आंखो पर चश्मा लगाए खड़े थे जो एक साथ ही चश्मे को अपनी आंखो से उतार कर कैफे को देख रहे थे।।।
इतना शांत कैफे देख उसमें से एक लड़का (नक्ष) दूसरे लड़के ( अयांश ) से उन बदमाश लडको की ओर देखते हुए कुछ कहता है और दोनो एक टेबल पर बैठ जाते है।।।
अयांश का हुक्म सुन राघव वहां से उठ कर अयांश के पीछे चला जाता है,और एकांशी उस फर्स्ट एड बॉक्स को उठा कर अपने पैर के घाव पर एंटीसेप्टिक क्रीम लगा कर पट्टी कर
लेती है,उसके बाद आपने सिर को घुमा कर दरवाजे की ओर देखते हुए सोच रही होती है की.....क्या मैं उनके कमरे में हूं तो वो मुझे फिर से डांटेंगे,और यहां रौशनी क्यो नही है???
इधर अयांश नीचे पहुंच कर हॉल की लाइट जलाता है और राघव से गुस्से में कहता है....तुम्हे अपनी जॉब प्यारी नही लगती क्यों???
राघव ( अयांश के पीछे चलते हुए ) - मैने कसम से फोन किया था,,लेकिन वो नही आते तो इसमें मेरी गलती नही है।।।
अयांश ( मुड़ कर राघव की ओर गुस्से से लाल आंखो से देखते हुए ) - तुमने देखा उसे,,, दर्द हो रहा था उसे।।।
राघव ( दो कदम पीछे जाते हुए ) - लेकिन स्विच और पैर में कांच लगने में ताल्लुक क्या है??
अयांश ( गुस्से में चिल्लाते हुए ) - तुमने देखा नही उस कमरे में रौशनी नही है,,मुझे कल सुबह आठ बजे तक उस कमरे की सारी बिगड़ी हुई चीज़े सही मिलनी चाहिए।।।।।
राघव ( अयांश के गुस्से से डर कर ) - ओके सर,,, मै कल
सुबह ही सब कुछ ठीक करवा दूंगा,,आप कहे तो मिसेज अधित्या को उस कमरे से दूसरे रूम में शिफ्ट कर दूं???
अयांश ( आंखे बंद कर गुस्से को पीते हुए ) - गेट आउट,और सुबह अपनी सकल दिखाने से पहले सब कुछ ठीक करवा देना,वरना आठ बज के एक मिनट पर खुद ब खुद इस नौकरी को छोड़ के चले जाना।।।।
अयांश के गुस्से को देख राघव हां में सिर हिला देता है और लंबे लंबे कदमों के साथ मेंशन से निकल जाता है।।।
राघव को जाता देख अयांश वही सोफे पर बैठ जाता है और टीवी ऑन कर कभी टीवी की ओर तो कभी अपने कमरे की ओर देख रहा होता है,,काफी देर वैसे ही देखते रहने के बाद अयांश उठ कर किचन में जाता है और खाने के लिए फ्रिज में कुछ देखने लगता है,लेकिन कभी भी घर पर ना खाने की वजह से फ्रिज बिल्कुल खाली होता है,,जिससे आयांश सिर्फ कॉफी बना कर वापस सोफे तक आ जाता है,और टीवी देखने लगता है,, कॉफ़ी पीते हुए ही उसे ख्याल आता है की.... किचन में तो कुछ भी नही है खाने को फिर उस लड़की ने क्या खाया होगा,,क्या वो सुबह से भूखी है??.....इतना सोच अयांश अपने फोन में वक्त देखता है,ये रात के एक बज रहे होते है, जिससे अयांश टीवी को बंद कर
कॉफी को वही टेबल पर रख कर अपने कमरे की ओर बढ़ जाता है।।।।।।
एकांशी भी अयांश के काफी देर तक ना लौटने पर दरवाजे की तरफ देखते हुए ही सो चुकी होती है,,जिसे देख कर अयांश बिना कोई आवाज किए अपने कबर्ड से नाइट सूट निकालता है और बाथरूम में चला जाता है,,कुछ ही देर में फ्रेश हो कर जब अयांश कमरे में वापस आता है तो अपने फोन के रौशनी में देखता है की एकांशी खुद को सीमेटे सो रही थी,,,जिससे अयांश ए सी के तापमान को बढ़ाता है,और खुद पलंग के दूसरे पाले की और लेट जाता है,,लेट कर वो एकांशी के चेहरे को खिड़की से आती चांद की मद्धम रोशनी में देखता है,और सोचता है......क्या हुआ था उस रात,,,मैने एक गिलास जूस पिया और फिर मैं एक कमरे में गया,,लेकिन तुम कैसे आई वहां,,,क्या चाल खेल रही थी तुम मेरे साथ,मै पता कर के रहूंगा इस मासूम से चेहरे के पीछे छुपी चालक लड़की का मकसद,,लेकिन तुम्हे देख के ऐसा क्यों लगता है की तुम भी कुछ सजीशों से अनजान थी,और जबरदस्ती इन सब में घसीट ली गई हो,.....इतना सोच आयंश अपन फोन उठाता है और राघव के पास मैसेज करता है.....जिस हॉल में मिस्टर दिनेश ( बड़े पापा) की बर्थडे पार्टी थी,क्या वहां सीसीटीवी कैमरा लगा है??? उस हॉल के बारे में पता करो,,मुझे सारी छोटी बड़ी जानकारी
चाहिए,और हां कल सुबह आते हुए कुछ खाने के समान को लेते आना।।।
काफी रात होने की वजह से राघव मैसेज को नही देखता जिससे अयांश भी फोन नीचे रख देता है और एकांशी की ओर पीठ कर के सो जाता है।।।
सुबह के चार बजे जब एकांशी की आंख खुलती है तो अपने बगल में अयांश को सोता देख कर वो सहम जाती है, और कुछ देर अयांश को देखते रहने के बाद धीरे धीरे बेड से उतर कर अपने जख्मी पैर से लंगड़ाते हुए कमरे से निकल कर नीचे किचन में चली जाती है।।।
तभी उसकी नजर फर्श पर बिखरी कॉफी पर पड़ती है,जिसे देख एकांशी अपने लंगड़ाते हुए पैर के साथ उसे साफ करती है और साफ करने के बाद कुछ खाने लायक ढूंढती हुई फ्रिज को खोलती है,,लेकिन वहां कुछ भी ना होने की वजह से वो एक गिलास पानी पीती है और वही दीवार से लग कर नीचे बैठ जाती है,बैठने के साथ ही उसे तेज भूख का एहसास होता है,,जिससे वो अपने पेट पर हाथ रख लेती है और मन में सोचती है.... इतनी तेज भूख का एहसास क्यो हो रहा है मुझे,?मैने अभी अभी पानी पिया है फिर भी।।।
सर का लैपटॉप यही छूट गया है,क्या आप मुझे वो दे देंगी??बाहर बॉस मेरा इंतजार कर रहे है तो थोड़ा जल्दी लाइएगा।।
राघव की बात सुन एकांशी समझ जाती है की अयांश बहुत समय पहले ही घर से जा चुका है,जिससे वो राहत की सांस भरती है और राघव की ओर देख कर कहती है....आप खुद ही ले लें,,मुझे अभी नही पता की उनकी चीज़े कहा कहा रखी हुई है।।।
राघव सिर हां मे हिलाते हुए घर के स्टडी रूम की ओर बढ़ जाता है,और कुछ ही मिनट के बाद हाथो में एक लैपटॉप लिए हुए आता है और घर से बाहर चला जाता है,, राघव के जाते ही एकांशी दरवाजे को बंद कर देती है और घर के हर के चीज को बड़े ध्यान से देखने लगती है,वो घर के हर एक कोने को देखने के बाद अखरी में अयांश के कमरे में जाती है,कमरे में हर तरफ कांच के टुकड़े बिखरे होते है जिनसे
अपने पैरों को बचाते हुए एकांशी अपने सिलिपर्स को पहन लेती है और कांच के टुकड़ों को इकट्ठा कर डस्टबिन में डाल देती है,,कमरे में बिखरी सारी चीजों को उनकी जगह पर रखने के बाद एकांशी की नजर एक फोन पर पड़ती है जिसे वो उठा कर एक नंबर डायल करती है,,दो तीन रिंग में ही फोन के दूसरी ओर से आवाज आती है....हेलो,,,कौन???
आवाज सुन कर एकांशी की आंखो में आंसू आ जाते है और उसके हाथ फोन पर कसते चले जाते है,, एकांशी बिना कोई आवाज किए रोती रहती है,तभी फोन पर फिर आवाज आती है.... किससे बात करनी है???कौन है??
एकांशी रोते हुए भारी आवाज के साथ फोन पर कहता है.....पापा!!!
इससे पहले की एकांशी आगे कुछ और भी बोल पाती की फोन कटने की आवाज आती है,जिससे एकांशी बेचैनी के साथ फोन को मजबूती से पकड़ कर एक दो बार पापा,,पापा कहता है,और फोन को अपने कान से हटा कर अपने दिल के करीब रख बिलकते हुए कहती है....एक बार तो मुझसे बात कर लीजिए,,मैने कोई गलती नही की,,मुझे नही पता की उस रात क्या हुआ था,मै कैसे अयांश के रूम में गई,मुझे कुछ भी याद नहीं,,,कोई तो मेरी बात का यकीन करो,,मुझे आपकी
जरूरत है पापा,,प्लीज मुझसे एक बार तो बात कर लो....कहते हुए एकांशी बेड पर बैठ जाती है और फोन को अपने सीने से लगाए रोती हुई वही सो जाती है।।
उधर अयांश ऑफिस पहुंच कर सबको अपने प्रोजेक्ट के बारे में समझा रहा होता है की उसे एक कॉल आती है जिससे वो सब से एक्सक्यूज मी कहते हुए मीटिंग रूम से निकल कर बाहर आ जाता है और फोन को रिसीव कर कहता है....मैने तुमसे पहले भी कहा है की मुझे ऑफिस टाइम में फोन मत किया करो,,मुझे अपने काम में खलल पसंद नही है।।।
फोन के दूसरी ओर से किसी लड़की की आवाज आती है....रिलैक्स डियर,,मुझे पता है ये तुम्हारे काम करने का वक्त है,,लेकिन मुझे लगा तुम्हे तुम्हारे वादे को याद दिलाने की जरूरत है,,वरना इतनी बड़ी कंपनी की सीईओ हो कर मैं खुद भी बीजी रहती हूं।।।।।
अयांश उस लड़की की बात सुन गुस्से में फोन को काट देता है और मीटिंग रूम में जा कर सब से कहता है....मीटिंग इज ओवर।।।
मीटिंग में उपस्थित सभी लोग ये जानते हुए की प्रोजेक्ट की सारी बात अभी डिस्कस नही हुई है,चुप चाप मीटिंग रूम से
निकल जाते है,,और दो लड़कियां आपस में ही बात करने लगते है....पता नही आज किस वजह से गुस्से में हैं,मिस्टर अधित्या,,इनकी तो अभी अभी शादी हुई है,,पूरी इंडिया की लड़किया सोचती है,की ये कितना हॉट लड़का है,और सब इनसे शादी भी करना चाहती है,,लेकिन जिस लड़की से इनकी शादी हुई होगी वही जानती होगी ये क्या हैं,।।
मीटिंग रूम से सब के बाहर जाते ही राघव अपने हाथ में फर्स्ट एड बॉक्स लिए हुए अंदर दाखिल होता है और कहता है... अगर हाथ पर दवा और पट्टी नही की तो,ये और भी ज्यादा भयानक हो जाएगा,,अब मै बिल्कुल भी आपकी बात नही सुनुगा ( अयांश को एक चेयर पर बैठाते हुए ) - मैने आपसे कहा है की आप अपने गुस्से पर कंट्रोल किया कीजिए,,आप हर बार खुद को ही नुकसान पहुंचा लेते है,,मैंने देखा था सुबह मीसेज अधित्या के पैर में भी चोट लगी थी,पैर से खून आ रहा था उनके,क्या आप दोनो....
राघव आगे कहना जारी ही रखता है की अयांश उसकी बात की काटते हुए कहता है.....क्या वो लड़की रो रही थी???
राघव ( अयांश के चेहरे की ओर देखते हुए ) - नही!!! रो तो नही रहीं थी,लेकिन उदास जरूर दिख रही थी,क्या आपने
उन्हें डांटा था??
अयांश राघव की बात का कोई जवाब नही देता और अपने कोट के पॉकेट से एकांशी के ब्रेसलेट को निकाल कर कुछ देर तक देखते रहने के बाद उसे वापस अपने पॉकेट में रख लेता है और राघव से जाने को कहता है, राघव हाथ पर पट्टी बंद कर मीटिंग रूम से निकल जाता है,
अयांश भी मीटिंग रूम से निकल कर अपने केबिन में चला जाता है और अपने चेयर पर बैठ कर उसी लड़की को फोन करता है जिसकी कॉल मीटिंग के दौरान आई होती है,फोन रिसीव होने पर अयांश कहता है..... अयांश अधित्या अपना वादा कभी नही भूलता,,मुझे बार बार कॉल कर के परेशान करने की जरूरत नही है।।
अयांश के चिल्लाने से एकांशी बेड से उठ कर कमरे के दरवाजे की ओर तेजी से भागती है,जिससे उसके पैर में अयांश के द्वारा बीते रात को तोड़े गए कांच के कुछ टुकड़े चुभ जाते है,,लेकिन एकांशी इस वक्त अयांश से इतनी डरी हुई होती है की उसे कांच चुभने का एहसास नहीं होता और वो दौड़ते हुए कमरे से निकल जाती है।।।
एकांशी के जाते ही अयांश अपने पहले से घायल हाथ को उठा कर देखता है,बेड पर मारने की वजह से उसमे से फिर ताजा खून रिस रहा होता है,लेकिन अयांश वापस अपने हाथ को मुट्ठी बनाते हुए खुद को ही तकलीफ देते हुए वापस शराब पीने बैठ जाता है।।।
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कमरे से निकलने के बाद एकांशी दौड़ते हुए सीढ़ियों से उतर कर एक ऐसे कमरे में रुकती है जहा सिर्फ किताबे और फाइलें रखी होती है,,वहां एक साइड मे एक छोटा सा टेबल और उस टेबल पर लैपटॉप,,सिगरेट के पैकेट, शराब की एक बोतल,और कुछ फाइल्स बिखरी होती हैं।।
एकांशी वही एक छोटे से किताबों से भरी अलमारी से लग कर बैठ जाती है और अपने घुटनो पर अपने टूडी को टिका कर अपने दोनो हाथो से अपने पैरों पर घेरा बना लेती है।।।
उसके दिल में इस वक्त खुद को इस तरह की जिंदगी से आजाद करने का ख्याल आ रहा होता है जिससे वो रोते हुए अपनी इस जबरदस्ती की शादी से पहले के खुशियां और सपनो से भरी जिंदगी के बारे में सोचने लगती है.......।।
इंदौर के सबसे रईस में से एक ' अनुराज राठौड़ ' की इकलौती बेटी होने के बावजूद भी एकांशी बिल्कुल साधारण सी वेशभूषा में ही रहना पसंद करती थी,,उसने बचपन से ही अपने शादी को लेकर कई सपने सजा रखे थे, हर रोज सुबह उठ कर उसे अपने मां पापा के लिए नाश्ता बनाना और उसके बाद मंदिर में जा कर भगवान से एक ही प्रार्थना करना की...उसकी जिंदगी में कोई ऐसा आए जो उसे इस दुनिया में सबसे ज्यादा प्यार करे,,, आदत बन गया था।।
मंदिर से लौटने के बाद एकांशी अपने कॉलेज के लिए निकल जाती,,और कॉलेज से दोपहर के बाद ही लौटती,,उसके बाद अपनी घर के छत पर देर तक अकेले बैठे रहना,उसे सुकून देता था,, उसी अकेलेपन में एकांशी अपने दादाजी की दी हुई डायरी में अपने सपने के बारे में लिखती,,सपने को लिखते हुए उससे ऐसा एहसास होता की वो अपने शादी के लम्हे को जी रही है,जिससे उसके दिल ने ना बयान की जाने वाली खुशी उमड़ने लगती।।।।
इतनी सुकून और प्यारी सी जिंदगी को जीने वाली एकांशी एक दिन जब कॉलेज से लौट रही थी तब उसके कार के ड्राइवर ने एक दूसरे कार को जोरदार टक्कर मारी,जिससे उस कार वाले के कार का आगे का शीशा पूरी तरह टूट कर
बिखर गया और कार में बैठे सख्स का माथा स्टेयरिंग व्हील पर लग कर उसमें से हल्का खून बहने लगा।।
एकांशी अपने कार से निकल कर उस कार वाले के पास जाती है और अपने मीठी आवाज में कहती है......क्या आप ठीक हैं???
इतनी मीठी आवाज सुन कार में बैठा सख्स अपने सिर को घुमा कर कार की खिड़की से बाहर देखता है,,तेज हवा से एकांशी के बाल उड़ कर उसके चेहरे पर आ रही होती है जिसे वो बार बार अपने उंगलियों से सहारे कानो के पीछे कर रही होती है।।
आई एम फाइन.... कार में बैठा सख्स एकांशी की खुबसूरती में खोए हुए कहता है,और एकांशी के परेशान आंखो मे देख थोड़ा मुस्कुराता है।।।।
एकांशी उस सख्श को मुस्कुराता देख असहज हो जाती है और अपने सिर को हिलाते हुए अपने कार की ओर बढ़ जाती है।।।।
एकांशी ( उस शख्स को कार की खिड़की से अपने सिर को निकाल कर अपने ओर देखते हुए देख अपने ड्राइवर से
कहती है ) - अंकल चलिए,,मुझे घर जाना है,अभी।।।
ड्राइवर (एकांशी के सामने हाथ जोड़ते हुए ) -ठीक है बेटा,,मुझे माफ कर दो,मै उस कार से जान कर नही टकराया था,,बिटिया अपने बाबा को मत बताना वरना बड़े साहब मुझे नौकरी से निकाल देंगे।।।।
एकांशी ( ड्राइवर का हाथ पकड़ते हुए ) - अंकल,आप चिंता मत करो,ये मेरा और आपका सिक्रेट है,मै बाबा को नहीं बताउंगी,पक्का।।
अपने अतीत के बारे में सोचते हुए ही एकांशी को नींद आ जाती है और वो अपने सिर को अपने घुटनो पर ही रखे हुए सो जाती है।।।
इधर अयांश भी नशे के सागर में डुबकी लगाते हुए वही सोफे पर अपने सिर को टिकाए अपने रूम के टीवी की ऑन कर देता है,,,टीवी में एक कार एक्सीडेंट के बारे में न्यूज चल रही होती है जिससे उसे एकांशी की पहली झलक याद आ जाती है....॥॥
उस दिन अयांश ' नक्ष ' ( अयांश का छोटा भाई,,और उसके बड़े पापा का बेटा ) के कहने पर पहली बार इंदौर गया था
और एयरपोर्ट से अपने होटल जाने के रास्ते में दोनो का एक्सीडेंट हो गया था....नक्ष आगे के ड्राइविंग सीट पर बैठा कार चला रहा था जिससे उसके माथे पर चोट भी लगी,और अयांश कार में पीछे के पैसेंजर सीट पर बैठा कानो में हेडफोन डाले अपने टैब पर कुछ काम कर रहा था,जब कारें टकराई तो अयांश को झटका लगा और उसका टैब नीचे गिर गया जिसे वो उठाने के लिए नीचे झुका तब तक उसके कानो में एक लड़की की मीठी सी आवाज आई,,लेकिन जब
तभी उनके कानों में नीचे हॉल से अयांश के चिल्लाने की आवाज आती है,,जिससे मायरा एकांशी को लेकर नीचे की ओर बढ़ जाती है।।।
अयांश दिनेश के सामने नाश्ते के टेबल पर हाथ मरते हुए - किसने कहा है आपको मेरा रिसेपशन अरेंज करने का,अगली बार मुझसे बिना पूछे मेरे लिए कोई फैसला मत लीजिएगा,
( राघव की ओर मुड़ कर ) सारे प्रोग्राम को कैंसिल करो और मिडिया वालों को आने से मना करो,मुझे कोई नाटक नही करना है अब।।।
सुनीता ( अपनी चेयर से खड़ी हो कर )- अयांश ये क्या तरीका है बात करने का, माफी मांगो अपने बड़े पापा से,
सुनीता की बात सुन अयांश एक नजर सुनीता की ओर देखता है और बिना कुछ बोले मुड़ कर अपने कमरे की तरफ जाते रास्ते पर बढ़ने ही वाला होता है की उसकी नजर एकांशी पर पड़ती है,जो सहमी हुई सी मायरा का हाथ पकड़े खड़ी होती है।।।
अयांश अपने कमरे की तरफ जाते रास्ते को छोड़ कर एकांशी की ओर बढ़ जाता है और उसका हाथ पकड़ कर खींचते हुए चलने लगता है, अयांश के द्वारा इस तरह खींचने पर एकांशी और भी ज्यादा सहम जाती है,और उसके दिल की धड़कने डर की वजह से तेज हो जाती है।।।
अयांश इतनी तेज से चल रहा होता है की एकांशी लगभग दौड़ रही होती है,जिससे उसका पैर थोड़ा मुड़ जाता है और उसके मुंह से अनायास ही निकल जाता है...." अयांश "
एकांशी की आवाज सुनकर अयांश के कदम वहीं रुक जाते है,और वो मुड़ कर एकांशी के चेहरे की ओर देखने लगता है,,,ये पहली बार ही था जब उसने एकांशी के मीठे आवाज में अपने नाम को सुना था,,हालांकि उस रात जब दोनो नशे के हालत में एक साथ थे तो दोनो ने काफी बातें की थी,लेकिन वो बातें और दोनो किस तरह करीब आए ये किसी को याद नही था।।।
अपना नाम सुन अयांश एकांशी के चेहरे की ओर देखने लगता है,उसके चेहरे को पहली बार ही उसने इतने गौर से देखा था.... मासूम सा गोरा चेहरा,हल्की भूरी आंसुओ से भरी आंखे,,गुलाब की पंखुड़ी सी पतले होठ,जिन्हे ना जाने वो बार बार अंदर की ओर क्यो भींच जा रही थी।।।
अयाँश को खुद की ओर निहारता देख एकांशी के दिल में डर और भी बढ़ जाता है और उसे अयांश की ओर देखने की हिम्मत नही होती जिससे वो अपने सिर को नीचे झुका कर फर्श की ओर देखने लगती है।।
अयांश को एकांशी की ओर काफी देर तक निहारता देख राघव उसके पास जाता है और कहता है.....सर क्या हम चलें??
राघव की आवाज सुन अयांश एकांशी के चेहरे से अपनी नजर हटा कर एक नजर राघव की ओर देखता है और फिर एकांशी के आंखो से गिर रहे आंसुओ की ओर देखते हुए उसका हाथ छोड़ देता है।।।
भाई प्लीज भाभी की शाम तक मेरे साथ रहने दो ना,मै खुद इन्हे शाम को जुहू गार्डेन पहुंचा दूंगी,प्रोमिस.......मायरा अयांश की ओर बढ़ते हुए कहती है।।।
अयांश एकांशी के चेहरे की ओर दो सेकंड देखते रहने के बाद बिना कुछ बोले अधित्या मेंशन से निकल जाता है,उसके पीछे पीछे राघव भी निकल जाता है,और दोनो कार में बैठ जाते है,
सर घर ले चलूं,या ऑफिस जाएंगे???.....राघव ड्राइविंग सीट पर बैठ कर कहता है।।
ऑफिस..... अयांश एक शब्द बोल कर बिल्कुल खामोश हो जाता है।।।
ओके सर....कहते हुए राघव कार को ऑफिस की ओर मोड़ लेता है।।।
इधर अयांश के चेले जाने के बाद एकांशी दौड़ कर अपने कमरे की ओर चली जाती है,और कमरे का दरवाजा बंद कर वही बैठ रोने लगती है।।।
मायरा जल्दी से एकांशी के पीछे भागते हुए आती और और दरवाजा बंद होने पर खटखटाते हुए कहती है....भाभी,प्लीज दरवाजा खोलिए,
दो तीन बार आवाज देने पर एकांशी उठ कर आंसू पोंछ कर दरवाजा खोलती है,और एक नकली मुस्कान के साथ कहती है..... अयांश ने मुझे खींचा था तो मेरी साड़ी थोड़ी खुल गई थी।।।
ओह अच्छा,,मुझे लगा की आप,,,हटाइए ये सब,आपको पता है भाई का सबसे अच्छा दोस्त कौन है???
एकांशी ना में सिर हिलाते हुए.....नही ",
मायरा (हसते हुए) -" गुस्सा " हमेशा भाई के साथ ही रहता है, लेकिन आपको पता है भाई भले ही गुस्सा करते है,लेकिन दिल के बहुत अच्छे है।।
मायरा की बात सुन एकांशी थोड़ा मुस्कुरा देती है,और उसे
अंदर आने को कहती है,,
आपको भूख लगी होगी ना,एक मिनट......कहते हुए मायरा सीढ़ियों तक जाती है और चिल्ला कर कहती है.....साजिया दीदी मेरे और भाभी के लिए नाश्ता ऊपर कमरे में ले आइए.....इतना कह मायरा एकांशी के साथ कमरे में आ जाती है,और दोनो बिस्तर पर बैठ बाते करने लगते है।।।
इधर अयांश ऑफिस पहुंच कर सारा दिन अपने केबिन में बिना कोई काम किए बैठा रहता है और आखिरकार उठ कर जुहू गार्डेन के मेंशन चला जाता है,,और वहा बैठ कर अपने इस जबरदस्ती के शादी के बारे सोचते हुए वाइन के कई गिलास खत्म कर देता है,नशे में ही उसे अपने घर के बाहर एक कार रुकने की आवाज आती है,जिससे वो उठ कर खिड़की से नीचे देखता है....कार से एकांशी,मायरा,और दिनेश अधित्या बाहर निकलते है और घर के दरवाजे की ओर बढ़ जाते है।।
जल्द ही कार जुहू गार्डेन के सामने रुकती है, और अयांश कार से उतर कर एक आलीशान से बंगले के सामने खड़ा हो जाता है,बगले के एक कमरे में खिड़की से रौशनी बाहर आ रही होती है और बाकी के सारे कमरे में सिर्फ अंधेरा दिखाई दे रहा था,, अयांश कमरे की रौशनी देख कहता है....जाने से पहले लाइट क्यो नही ऑफ किया,
राघव कार से निकलते हुए..., सर वो उस रूम के स्विच में कुछ प्रॉब्लम है,चुने पर करेंट लग रहा है,मैने बंद करने की कोशिश की थी लेकिन करेंट की वजह से मैंने उसे दुबारा नही छुआ,आप भी मत छूना,कल मै इलेक्ट्रीशियन को बुला कर ठीक करा दूंगा।।
अयांश (राघव की ओर गुस्से से घूरते हुए) - अब तक ठीक हो जाना चाहिए था,, ख़ैर कल सुबह उस लड़की को यहां शिफ्ट करने में हेल्प कर देना,मै दुबार वहा नही जाऊंगा,,और हां सोशल मीडिया पर मेरे और उस लड़की की शादी की जितनी तस्वीरे पोस्ट हुई है सब कल तक हट जाने चाहिए.....कहते हुए अयांश उस बड़े से बंगले की ओर बढ़ जाता है और बंगले का दरवाजा खोल उसके अंदर चला जाता है।।।
उस लड़की, उस लड़की क्या लग रखा है,मेरी बीवी भी तो कह सकते थे ना,या मिसेज अधित्या ही कह लेते.....कहते हुए राघव कार में बैठ जाता है और पार्किंग एरिया की ओर बढ़ कर कार पार्क कर पास में ही एक घर में चला जाता है।।।
इधर एकांशी की आंख कुछ ही देर की नींद के बाद खुल जाती है और वो उठ कर बैठ कमरे में चारो ओर देखती है,उसे अयांश नही दिखता तब वो धीरे धीरे बिना कोई आवाज किए बिस्तर से उतरती है,और दबे पांव चलते हुए वॉशरूम की तरफ बढ़ कर दरवाजा खोलती है,,वहा भी अयांश को ना पाकर एकांशी एक गहरी सांस भरती है और अपने लहंगे को अपने हाथो से उठा कर चलते हुए खिड़की के करीब खड़ी हो जाती है,,खिड़की के करीब कुछ देर खड़े रहने के बाद एकांशी वही खिड़की से लग कर बैठ जाती
है,और कमरे के सजावट को बहुत ध्यान के साथ देखने लगती है,,,,फूलों से सजी बिस्तर, हर तरफ जलते कैंडल,और कमरे के दीवारों पर फूलों से बनी दिल और दिल के बीच एकांशी और अयांश लिखा हुआ,.....देखते हुए एकांशी सोचने लगती है....मेरे ख्वाब का सारा हिस्सा यहां मौजूद है,बस एक को छोड़ कर, (एकांशी रोते हुए) बारह साल की उम्र से ही जिस शादी की मैने ख्वाब देखा,वो टूट गया,,,टूट के बिखर गया....सोचते हुए ही एकांशी के आंखो से बेतरतीब तरीके से आंसू बहने लगते है और वो वही फर्श पर बैठे दीवाल से सिर टिकाए रोती रहती है।।
उधर अयांश अपने बंगले के अंदर जा कर सारे लाइट्स को ऑन करता है,और,हॉल से चलते हुए सीढ़ियों से होते हुए अयांश अपने कमरे में जाकर अपने बेड पर बैठ अपनी कुछ घंटों में पूरी तरह बदल चुकी जिंदगी के बारे में सोचने लगता है,,,उसे दो दिन पहले की वही रात याद आने लगती है,जब नशे की हालत में एकांशी और वो एक साथ एक ही कमरे में थे....याद करते ही अयांश अपनी भवो को तान देता है और हथेलियों की मुट्ठी बना लेता है,उसके आंखो मे गुस्सा और नफरत उभर आती है जिससे वो उठ कर टहलने लगता है,लेकिन फिर भी अपने गुस्से पर नियंत्रण नही रख पता और अपने मुट्ठी से पास में पड़े टेबल पर जोर से मार देता है,जिससे टेबल पर लगा शीशा टूट कर नीचे बिखर जाता है और अयांश के मुट्ठी से खून आने लगता है।।,
सुबह एकांशी की आंख मायरा की आवाज से खुलता है," भाभी,आप यहां नीचे क्यो सो रहे हो?और भाई कहां है??क्यो वो आपके साथ नही थे रात में???
मायरा के सवाल सुन एकांशी एक नजर बिस्तर की ओर देखती है,और उसके आंखो के आगे अयांश का बेरुखापन तैर जाता है,जिससे उसके आंखो में आंसू की बूंदे जमा हो जाते है,जिसे एकांशी मायरा से छुपाते हुए पोंछ लेती है और मायरा से दबी आवाज में कहती है.....मुझे नही पता की वो कहां हैं,,मै कल रात सो...........
एकांशी की बात का कटाक्ष करते हुए मायरा एक तेज आवाज के साथ कहती है.....आपको नही पता की आपका पति कहां है?? पहली रात को ही वो आपके साथ नही थे??
मायरा को खुद पर चिल्लाते देख एकांशी के आंखों में आंसू आ जाते है और एक एक कर आंखो से उसके गालों पर लुढ़कने लगते हैं,जिसे देख मायरा जल्दी से एकांशी को पकड़ती है और चुप कराते हुए कहती है.....भाभी,मै आप पर चिल्ला नही रही थी,मै तो बस आपको बता रही थी की अगर आपकी सास होती और उनको पता चलता तो वो ऐसे रिएक्ट करतीं,मै तो मजाक कर रही थी,आप तो रोने लगी,
ओह मैं यहां आपको कुछ देने आई थी....कहते हुए मायरा एकांशी से दूर बिस्तर तक जाती है ओर वहां से एक बैग को उठा कर एकांशी की ओर बढ़ाते हुए कहती है.....जल्दी से शावर लेकर इसे पहन लीजिए,और प्लीज दस मिनट में नीचे आ जाइएगा,मेरी मॉम थोड़ी टाइम की पंगचुवल हैं,उन्हे देरी से आने वालें लोग पसंद नहीं है,,अच्छा मै चलती हूं,आप जल्दी आ जाना,और हां,,भाई के बारे परेशान मत होना मुझे पता है वो जुहू गार्डेन के मेंशन चलें गए होंगे,भाई वही रहते है।।
उपन्यास " बेदर्दी से इश्क लेखिका सहनीला
भाग १
⚠️{कहानी के लीगल राइट्स मैने ले रखी है,तो अगर कहीं भी मुझे इसकी कॉपी दिखाती है,या कोई दूसरा इसे अपने नाम से लिख कर किसी दूसरे प्लेटफार्म पर अपलोड करता है तो... उस पर लीगल करवाही हो
सकती है,,इसलिए संभाल कर॥}⚠️
" बेदर्दी से इश्क "
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कहते है शादी का बंधन सबसे पवित्र बंधन होता है, यह बंधन जन्मो जन्मों का होता है, हर लड़की के दिल में अपनी शादी को लेकर हजारों तमन्ना है होती हैं,चाहे वो लड़की राजकुमारी हो या एक साधारण किसान की बेटी,उनकी सिर्फ यही ख्वाइश होती है की कोई ऐसा सख्स मिले जो उनका आदर करे,उनसे प्यार से बातें करे,उन्हे छोटी छोटी बातों पर जलील ना करे,उनकी बातों को समझे,और उन्हे इस दुनिया की सबसे खुशकिस्मत लड़की महसूस कराए....ऐसे ही ख्वाबों
के साथ एकांशी के भी बड़ी हुई थी,,उसने भी अपनी शादी को लेकर काफी कुछ सोच रखा था,लेकिन हर दफा जैसा हम सोचते हैं वैसा नही होता,हम अपनी जिंदगी को लेकर काफी सपने सजा लेते है,,और इस सपने का 2 % भी पूरा नहीं होता है,,
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" एकांशी राठौड़ "
इंदौर के जाने माने उद्योगपति की इकलौती बेटी एकांशी रूप गुण में अद्वितीय थी,इक्कीस साल की बेहद खूबसूरत और सुलझी हुई लड़की,शायद ही किसी ने उसकी मीठी आवाज कभी सुनी हो,,बचपन से कम बोलती थी एकांशी,उसकी बस इतनी ही ख्वाहिश थी की उसका पति उससे बेइंतहा मुहब्बत करे,उसका आदर करे,उसकी खामोशी को भी समझ ले,पूरी दुनिया के सामने उसके लिए खड़ा हो जाए,,,लेकिन हर ख्वाब पूरे नही होते, वो इतनी बुरी तरह टूटते है,की उनका
जुड़ना मुमकिन ही नहीं लगता,, एकांशी की ख्वाहिशें भी एक रात में ही टूट कर चकनाचूर हो गई,और उसकी जिंदगी पूरी तरह बदल गई....
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" अयांश अधित्या "
अपनी मां के गुजर जाने के बाद अयांश की जिंदगी बिल्कुल सफेद हो गई,उसने अपने अंदर गुस्सा और नफरत भर लिया,उसके लिय किसी की भावना माइने नही रखता,उसकी जिंदगी सिर्फ अपने बिजनस के आस पास ही घूमती रहती है,,,
सबसे कम उम्र में बिजनसमैन ऑफ द ईयर सम्मान जीतने वाला अयांश अधित्या की जिंदगी में प्यार, मुहब्बत के लिए कोई जगह ही नहीं थी,, जहां एकांशी बिल्कुल शांत और
सुलझी हुई लड़की थी,वही अयांश के आंखो मे हर वक्त गुस्सा और चेहरे पर अकड़ साफ दिखाई देती थी,उसे एकांशी मे कोई दिलचस्पी नहीं थी,लेकिन हमे जिस चीज में दिलचस्पी ना हो किस्मत हमे उससे जरूर मिलाती है,, उस एक रात में अयांश के द्वारा की गई एक गलती ने उसकी किस्मत ही बदल दी...
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। " नैनिका सिंह "
अपनी कड़ी मेहनत से बिजनस की दुनिया में ऊंचा मुकाम हासिल करना चुनौती की बात है लेकिन नैनिका सिंह की बचपना से ही जीतने की आदत ने उसे आज नाम और रुतबा दिया था, हर साल बिजनसमैन ऑफ द इयर का सम्मान जीतने वाली नैनिका सिंह पिछले दो सालों से अयांश अधित्या से हारती आ रही थी,,उसके दिल में ये हार इस कदर चुभने लगी थी की वो अयांश के साथ एक छोटी सी मीटिंग पर मिली,और दोनो ने सोच समझ कर अपने कंपनी के प्रॉफिट के लिए एक दूसरे से शादी का डील कर लेते है और एक कॉन्ट्रैक्ट पर साइन करते है,,दोनो ही अच्छे से
जानते थे की उन दोनो की शादी उनके कंपनियों को इंडिया की सबसे टॉप कंपनी बना देगी,,दोनो की सोच एक जैसी थी,प्यार मुहब्बत उनके जिंदगी में मायने ही नही रखता था।।।।
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मानवीर खुराना।
मानवीर खुराना विंग्स एंड हैमर कंपनी का डायरेक्टर और अयांश अधित्या का सबसे अच्छा दोस्त,,बीते एक साल पहले अपने प्यार से धोखा खाने के बाद मानवीर ने इंडिया छोड़ने का फैसला किया,और अमेरिका शिफ्ट हो गया,प्यार उसके लिए वो एहसास बन चुका था जिसे सोच कर उसे सिर्फ तकलीफ होती थी,इसी धोखे की वजह से सबके प्रति उसका बर्ताव काफी ठंडा और निरश हो गया था।।
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" नक्ष अधित्या "
बचपन से ही शांत और सबसे प्यार से पेश आने वाला नक्ष अधित्या अपने घर का सबसे लाड़ला था,अयांश और नक्ष का भले ही खून का रिश्ता ना हो लेकिन दोनो एक दूसरे पर अपनी जान छिड़कते थे,,दोनो के सोच एक जैसी नहीं थी,नक्ष अपनी जिंदगी में मुहब्बत हासिल करना चाहता था,लेकिन अयांश की जिंदगी शादी और मुहब्बत एक डील
थी,जो उसके बिजनस को टॉप तक लेजा सकती थी।
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आरोही शर्मा
* प्रेस विज्ञप्ति*
दिनांक _ 28/06/2024
आयोजक _ महिला कल्याण समिति धोरी बोकारो
टेलीकॉम उपभोक्ता जागरूकता कार्यक्रम ( cap)
महात्मा गांधी उच्च विद्यालय देवरिया पतरातु, रामगढ़ झारखंड
*
भारतीय दूरसंचार बिनियामक प्राधिकरण, भारत सरकार (ट्राई)
सूचना और प्रसारण मंत्रालय
आज दिनांक 28/06/2024 को सुबह 10.30 बजे ट्राई भारत सरकार के सौजन्य से महिला कल्याण समिति धोरी बोकारो द्वारा महात्मा गांधी उच्च विद्यालय देवरिया ,पतरातु ,रामगढ़ झारखंड झारखंड में टेलीकॉम उपभोक्ता जागरूकता कार्यक्रम(CAP )का आयोजन किया गया।मुख्य अतिथि के रूप में मुख्य अतिथि श्री मनोज राम पूर्व उपाध्यक्ष जिला पंचायत परिषद रामगढ़ के प्रतिनिधि के रूप में श्री अशोक कुमार मिश्र प्राचार्य ने अपने करकमलों द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर उद्धघाटन किया। इस अवसर पर विद्यालय संस्थापक श्री कैलाश राम आचार्य श्रीमती निक्की कुमारी, श्रीमती उषा कुमारी,वीना कुमारी मकस संस्था के महासचिव सह सदस्य, CAG, झारखंड रीजन, श्याम कुंवर भारती और रविंद्र कुमार सिंह एनजीओ प्रतिनिधि,भी उपस्थित रहे।अपने संबोधन में मुख्य अतिथि ने कहा कि आज डिजिटल इंडिया का जमाना है।इस क्षेत्र में देश ने काफी प्रगति किया है।उपभोक्ताओं को काफी सहूलियत और किफायती हुआ है। लेकिन इसके उपयोग में बड़ी सावधानी की ज़रूरत है। जरा सी लापरवाही होने पर लाखो रुपए की क्षति हो सकती है ।आपके खून पसीने की कमाई लूट ली जा जायेगी और आपको पता भी नही चलेगा। खासकर छात्र छात्राओं को सोसल मीडिया और इंटरनेट का उपयोग करते समय ,किसी भी तरह का फार्म भरते समय या रुपए का लेनदेन करते समय काफी सावधानी बरतने की जरूरत है।आजकल झारखंड क्या जामताड़ा और हरियाणा का नूह साइबर क्राइम का है बना हुआ है।
प्रतिनिधि जियो ने जियो की उपलब्धियों के बारे में बताया। उन्होंने जियो फाइबर के लाभ बताते हुए कहा इससे कॉलेज प्रबंधन और सभी छात्र लाभ उठा सकते हैं।उन्होंने कहा कि उपभोक्ताओं को किसी भी तरह की समस्या होने पर अपने नजदीकी जियो सर्विस सेंटर से सम्पर्क कर सकते हैं।
सिएजी सदस्य ट्राई भारत सरकार डॉक्टर श्याम कुंवर भारती ने विस्तार से टाई द्वारा टेलीकॉम उपभोक्ताओ के लिए चलाए जा रहे योजनाओं और कार्यकर्मो के बारे में बताया ।भारती ने कहा कोई भी टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर उपभोक्ताओं के साथ धोखा नही कर सकती ।ट्राई द्वारा बनाए गए नियमों के तहत उपभोक्ता को सारी सुविधाएं देनी है।टावर फ्रॉड से भी सबको बचना है।ऑनलाइन किसी को भी टॉवर लगाने के नाम पर जरूरी कागजात और पैसे नही देने है।
किसी भी अपरिचित को अपना पासवर्ड या पिन नंबर नही देना है।किसी भी तरह की शिकायत होने पर पहले संबधित टीएसपी को शिकायत दर्ज करानी है।सुनवाई नही होने पर cag मेंबर के रूप में मुझे और ट्राई को मेल द्वारा सूचित करना है। सरकार द्धारा चलाए जा रहे डिजिटल इंडिया का पुरा लाभ उठाए।
सभा अध्यक्ष, कैलाश राम ने कहा कि टेलिकॉम उपभोक्ता जागरूकता कार्यक्रम इस तरह के ग्रामीण क्षेत्रों में किए जाने की अत्यंत आवश्यकता है ताकि अधिक से अधिक लोगो तक ट्राई को योजनाओं को पहुंचाया जा सके।इस अयोजन से निश्चित ही छात्रों को काफी लाभ मिलेगा।
स्वगताध्यक्ष निक्की कुमारी ने कहा ट्राई द्वारा चलाए जा रहे उपभोक्ता जागरूकता कार्यक्रम की मैं सराहना करता हूं।ऐसे आयोजन लगातार चलाए जानें की जरूरत है ताकी लोगो को कंपनियों और साइबर अपराधियों से बचाया जा सके। विद्यालय के शिक्षिका श्रीमती उषा कुमारी ने सभी अतिथियों और प्रतिभागीयों का धन्यवाद ज्ञापन किया ।
कार्यक्रम में सैकड़ों छात्र छात्राओं ने भाग लिया और अयोजन का लाभ उठाया।साथ ही विद्यालय के सभी शिक्षकों ने भी भाग लिया और प्रशंसा किया। समाजसेवी और पत्रकार मुकेश कुमार ने साइबर क्राइम से बचने के उपायों के बारे में बताया।विद्यालय के सभी शिक्षकों ने अयोजन को सफल बनाने में सराहनीय सहयोग दिया।
इससे पूर्व छात्राओं ने स्वागत गीत गाकर अतिथियोका स्वागत किया।
भवदीय
श्याम कुंवर भारती
महासचिव सह सदस्य सीएजी ट्राई झारखंड रीजन, भारत सरकार
महिला कल्याण समिति धोरी बोकारो
मंत्री जी ने कहा वाह बेटी तुमने तो बहुत ही अद्भुत योग साधना सिखाया।ऐसे आसान तो मैंने कही नही देखा और सुना।
अंकल हमारे ऋषि मुनि इन्ही आसनों को कर के सैकड़ों हजारों साल जिंदा रहते और सदा जवान बने रहते थे।पदमिनी ने कहा।
वहा भवन में उपस्थित सभी लोगो ने पद्मिनी की बहुत तारीफ किया ।
योग भवन से निकलते हुए पद्मिनी ने आनंद से कहा _ घर से तैयार होकर दस बजे मेरे पास आना आज तुम्हारे साथ कही जाने का मन है।
वाह क्या बात है दस बजे क्यों बोलो अभी चलता हूं।अभी भी पूरी तरह तैयार हूं ।आनंद ने खुद होते हुए कहा।
इतने बेसब्र मत हो बाबा मुझे भी तो तैयार होना है ।अब चलो मुझे घर छोड़ दो फिर जाना ।
लेखक_ श्याम कुंवर भारती
शेष अगले भाग _ 31 में
लेखक _ श्याम कुंवर भारती
बोकारो, झारखंड
मोब.9955509286
कहानी _ भविष्य दर्शन
भाग _ 30
समय पंख लगाकर तीव्र गति से बीतता चला गया।
पदमिनी अपनी आध्यात्मिक शक्तियों की वजह से राज्य ही नही पूरे देश में काफी चर्चित हो चुकी थी । उसने हजारों ऐसी भविष्यवाणियां की जिससे आम जनता ,प्रशासन और सरकार को काफी लाभ मिला।समय रहते सब भविष्य में होने वाली अप्रिय और विंध्यंस कारी घटनाओं को रोक पाए।
पद्मिनी को सभी काफी सम्मान देने लगे थे।उसे सभी ईश्वरीय वरदान प्राप्त लड़की समझते थे।लेकिन वो किसी से भी अपने कार्यों और सलाह के बदले एक रुपया नही लेती थी।लोग खुद ही उसे खुशी खुशी उपहार दे देते थे।
रुपए पैसे गहने कपड़े और कई जरूरी सामान उसके घर में भर चुके थे।लोगो को सलाह देने के लिए उसने अपने घर में उसने एक अलग से बैठक खाना बना दिया था ।लोगो के बैठने और सवाल पूछने के लिए दर्री और टेबल लोगो ने खुद ही उसे दे दिए थे।उसे पांच कार्यकर्त्ता रखने पड़े थे जो आने जाने वालों का ख्याल रखते थे।उसने एक दान पेटी रखवा दिया था।जिसमे सब अपनी इक्षा से समाज और लोक कल्याण हेतु दान दे देते थे।
उड़के गांव के लोग उसकी वजह से काफी खुश थे।क्योंकि उसके कारण उनके गांव का नाम काफी प्रसिद्ध हो चुका था।दूर दूर से आम आदमी से लेकर व्यापारी,नेता ,पदाधिकारी ,बच्चे और महिलाएं आते थे।
पदमिनी के घर के पास कई दुकानें खुल गई थी ।शिक्षा मंत्री ने उसके गांव तक आने जाने के लिए कई सरकारी बस चलवा दिया था। कई
गांव वालो ने ऑटो रिक्शा खरीद लिया था और दिनभर बाहर से आने वाले लोगो को ढोते रहते थे।
उनको भी एक रोजगार मिल गया था।जिला प्रशासन ने उस गांव तक जाने के लिए पक्की सड़क बनवा दिया था।बिजली और पानी की भी दिन रात व्यवस्था कर दी गई थी।
पद्मिनी से मलने वालो का तांता लगा रहता था।उसे सांस लेने की भी फुर्सत नही मिलती थी।लेकिन उसे अपनी पढ़ाई लिखाई के लिए भी समय निकालना पड़ता था।उसे भारतीय प्रशासनिक सेवा आयोग से आईएएस अफसर बनने की इक्षा थी।
स्वस्थ विभाग ने लोगो को योग साधना का अभ्यास करने के लिए पदमिनी की देख रेख में अभ्यास कराने हेतु एक योग भवन का भी निर्माण करवा दिया था।जहा वो नित्य सुबह छः बजे हजारों लोगों को योग अभ्यास करवाती थी ।दूर दराज के कई गावों से महिला ,पुरुष और बच्चे आते थे उस योग भवन में ।इसके लिए सरकार उसे पचास हजार रूपये प्रतिमाह की दर से प्रशिक्षण शुल्क देती थी।।इस योग भवन से उसने अपनी योग साधना के माध्यम से अनेक मरीजों के असाध्य रोग ठीक किए थे।जिसे डॉक्टरों ने लाइलाज घोषित कर दिया था उसे पद्मिनी ने साध्य कर दिया।
एक दिन सुबह छः बजे शिक्षा मंत्री जी आनंद को लेकर उसके पास आए और उसका हाल चाल लेने के बाद बोले _ बेटी आजकल मुझे नींद नहीं आती है कोई उपाय करो।
पदमिनी ने मुस्कुराते हुए कहा,_ कैसे नींद आएगी अंकल आप तो अब मुख्य मंत्री बनना चाहते हैं।
उसकी बात सुनकर मंत्री जी और आनंद हसने लगे ।
मंत्री जी ने कहा _ भला तुमसे कोई बात छुप सकती है बेटी।दरअसल हमारे सीएम साहब अब काफी बुजुर्ग हो चुके है।इसलिए उनकी और बाकी पार्टी के नेताओ कि इक्षा है अगर अगली बार हमारी पार्टी की सरकार बनती है तो मैं मुख्य मंत्री की जिम्मेवारी लूं।
तभी पदमिनी ने अपनी आंखे बंद कर ली और बोली _अंकल मुझे आप मुख्य मंत्री की कुर्सी पर बैठे हुए दिख तो रहे हैं लेकिन आपकी ही पार्टी के कुछ नेता आपके विरुद्ध भी है ।वे आपको नेता बनने में बाधा उत्पन्न करने की योजना बना रहे है।
चाहे जिसको भी मेरा विरोध करना है करने दो।मेरे पास मेरी पद्मिनी बेटी है सबका मन बदल देगी।।मंत्री जी ने हंसते हुए कहा।
आप ठीक कह रहे हैं मंत्री जी।पदमिनी है तक क्या गम है ।आप में जैसा ईमानदार और कर्मठ नेता अगर मुख्य मंत्री बनता है तो यह हमारे राज्य के लिए बड़े सी सौभाग्य की बात होगी।ए आनंद ने गंभीर होकर कहा।
उसने पद्मिनी से कहा _ यार तुम समस्या मत सुनाओ सीधे समाधान बताओ।
जितना बड़ा काम उतनी बड़ी बाधा भी होती है ।यह प्रकृति का नियम है आनंद वर्ना हर कोई बड़ी उपलब्धि हासिल कर लेता।पद्मिनी ने कहा।फिर भी मैं कोशिश करूंगी इनके विरोधियों को इनके पक्ष में करने की लेकिन अंकल को भी उनसे मिलकर अपना पक्ष रख कर उन्हे विश्वाश में लेना होगा।
पदमिनी ने कहा।
तभी उसकी मां उन सबके लिए फल का जूस लेकर आई।पदमिनी ने कहा_ आइए जूस पीकर योग चलते है फिर आपकी अनिंद्र का इलाज करते है।
मंत्री जी ने कहा ठीक है मैं अपनी पार्टी के नाराज नेताओ से खुद भी बात करूंगा । आओ चलते है बाहर मेरी गाड़ी खड़ी है उससे चलते है।
नही अंकल मात्र दस मिनट का रास्ता है यहां से योग भवन चलिए पैदल चलते है।पदमिनी ने कहा । सुबह सुबह खाली पैर पैदल चलना वैसे भी बहुत फायदेमंद होता है।
कहानी _ भविष्य दर्शन
भाग _ 29
लेखक_ श्याम कुंवर भारती
विधायक जी ने चारपाई पर बैठते हुए कहा _जैसा कि तुम सब जानते हो अगले महीने विधान सभा का चुनाव आने वाला है।लेकिन मेरे विरोधी मुझे हराने के लिए तरह तरह के हथकंडे अपना रहे हैं।गिरी से गिरी हरकते कर रहे हैं।
मेरे खिलाफ जो नेता चुनाव लड़ाने वाला है वो बहुत बड़ा अपराधी है ।उसपर हत्या, बलात्कार ,डकैती,अपहरण और भ्रस्टाचार के कई आरोप लगे है ।कोर्ट में उसके खिलाफ केस चल रहे हैं।वो जमानत पर रिहा है ।
अगर वो चुनाव जीत गया तो इस क्षेत्र का भगवान ही मालिक है ।तुम सब तो जानते हो मैं राजनीत में पैसे कमाने के लिए नही आया हूं बल्कि जन सेवा और राष्ट्र सेवा के उद्देश्य से आया हूं।इसलिए दिन रात गरीबों के उत्थान,क्षेत्र के विकाश और हर वर्ग के लोगो के लिए जी जान से चौबीस घंटे लगा रहता हूं।अगर मैं फ़िर से चुनाव जीत जाता हूं तो पहले की अपेक्षा क्षेत्र का विकाश कर पाऊंगा।
आपकी बात बहुत सही है विधायक जी ।लेकिन आप चिंता मत करे।हम सभी कॉलेज के स्टूडेंट्स मिलकर आपके चुनाव में प्रचार प्रसार करेंगे और आपको जिताने की पूरी कोशिश करेंगे।आनंद ने पूरे जोश खरोश के साथ कहा।
तुम जो कह रहे रहे हो वो उतना आसान नहीं है ।इनके विरोधी इनको हराने के लिए हर स्तर पर पहले से षडयंत्र रच रहे हैं।पदमिनी ने कहा ।
मैंने उनकी योजना को ध्यान के समय सुना है ।कई दृश्य देखे है ।जिससे पता चलता है वे लोग कोई कोर कसर नहीं छोड़ना नही चाहते ।
तुमने क्या सुना और क्या देखा है पद्मिनी बेटी ताकि हमलोग उसका उपाय ढूंढ सके।विधायक ने कहा।
पद्मिनी ने कहा _ उनकी योजना है की वे लोग अपने लोगो को आपकी पार्टी में शामिल करेंगे ताकि आपकी रणनीतियो से उनको सचेत कर सके।
आपकी बूथ कमिटीयो में अपने लोगो को शामिल करेंगे जो चुनाव के दिन मतदाताओं को अपनी पार्टी के उम्मीदवार को वोट दिला सके।जंगली क्षेत्रों में बूथ कैप्चरिंग और धांधली की योजना और नक्सलियों से मिलकर चुनाव का बहिस्कर करेंगे ताकि उस दिन मनमाने तरीके से भोटिंग कर सके।इतना ही नहीं वे लोग चुनाव से पहले पानी की तरह रूपया बहाने की योजना बना रहे है ।जातीय नेताओ को खरीद लेंगे। उनको ढेर सारे पैसे देंगे।
ग्रामीण क्षेत्रों में शराब ,मुर्गा ,साड़ी और गहने बाटेंगे ताकि महिला और पुरुष दोनों मतदाताओ को अपने पक्ष में कर सके।इतना ही नहीं वे लोग आपके पार्टी और आपको जाती के नेता को पैसे देकर किसी दूसरी पार्टी से चुनाव लड़ाने वाले हैं ताकि वो अधिक से अधिक आपका वोट काट सके।
पदमिनी की बात सुनकर सब लोग दंग रह गए।
नरेंद्र ने कहा _ इन लोगो ने तो बहुत बड़ा षडयंत्र रच रखा है विधायक जी को हराने के लिए।लेकिन अब हमलोग सचेत होकर चुनाव लडेंगे ।उनकी सारी योजनाओं पर पानी फेर देंगे।
तुम सही कह रहे हो नरेंद्र ।अब हमलोगो को भी उन्ही की चाल से उनको मात देंगे।आनंद ने गुस्से में कहा।
पदमिनी ने कहा _ अंकल आप अपनी पार्टी से बात कर ले वे लोग आपके विरोधी पार्टी के किसी नेता और कार्यकर्ता को पार्टी में शामिल न करे।सभी बूथ कमितीयो को भी सचेत कर दे।आप भी उन्ही के आदमी को चुनकर चुनाव में खड़ा करे जो उन्ही का भोट काट सके।
अपनी पार्टी को सचेत रखे जैसे ही रुपए पैसे शराब और मुर्गा आदि बंटे पहले तो उसे रोके साथ ही चुनाव आयोग को तुरंत सूचित करे ।कोशिश करे की हर गांव में हर भोटर से मिलने की योजना बनाएं।कुछ लोग अपने नेता को इसलिए भी भोट नही देते हैं क्योंकि वो चुनाव में उनसे मिलने नही गया।
आप एक लोकप्रिय और जुझारू नेता हैं।आपने पूरी ईमानदारी से क्षेत्र में जनता का काम किया है।आपको भोट के लिए पैसे देने की जरूरत नही है ।
इसके अलावा आप क्षेत्र की छोटी बड़ी सभी समस्याओं की सूची बनाएं और देखे उनमें से कितने काम करवा सकते है उन्ही को पूरा करने का वादा करे।
चुनाव जीतने के बाद बाकी का भी अपने सरकार की मदद से करवा दिया तो आप अगला चुनाव भी जीत सकते हैं।
साथ ही यह प्रयास रहे की चुनाव के दिन हर मतदाता घर से बाहर निकल कर मतदान केंद्र तक जाए और भोट दे ।अन्यथा आपका विरोधी हथियार के बल पर मतदाताओं को घर से निकलने नही देने वाला है।इसलिए जल्दी चुनाव आयोग और अपनी सरकार से बात कर के सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम करवाए।
वाह वाह पद्मिनी बेटी तुमने तो एक मंजे हुए राजनेता की तरह सुझाव दिया है मैं पूरी कोशिश करूंगा तुम्हारे हैं सुझाव के अमल में लाया जाय।विधायक जी ने खुश होकर कहा।
करीब बीस दिनों के अंदर पद्मिनी और आनंद की परीक्षा पूरी हो गई। सब लोग परीक्षा के परिणाम का इंतजार करने लगे।