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📚𝗠𝗞 Hindi Story ✍ 𝘽𝙊𝙊𝙆𝙎✘✘📚

विधायक ने कहा _ आप पहले थाना से दरोगा साहब को बुलाइए और तुरंत उसकी गुमसूदगी का केस दर्ज कराकर उसकी जोर शोर से तलास कराए।आखिर वो लड़की समाज और गम सबके भलाई के लिए ही अपने घर से आई थी ।अब तक उसने समाज और मानव कल्याण का ही कार्य किया है उसपर ईश्वरीय कृपा है ।ऐसी लड़की कहा गायब हो सकती है या कौन गायब कर सकता है।
सीओ ने तुरंत दारोगा को अपने आवास पर बुलाया और सारी घटना को बताकर कहा _ पदमिनी की मां से आवेदन पर साइन कराले या अंगूठा लगवा ले और उसकी गुंमसुदगी का केस दर्ज कर शीघ्र ही उसकी तलास शुरू करे। हर हाल में वो सुरक्षित मिलनी चाहिए।
विधायक ने कहा _ मैं अभी एसपी साहब डीसी साहब से बात करता हूं ताकि आप लोगो को और भी सहायता मिल सके ।
विधायक ने फोन कर के डीसी और एसपी से फोन पर बात कर पद्मिनी की गायब होने की बात बताकर उसे तलास कराने का अनुरोध किया ।
डीसी को बड़ा ताज्जुब हुआ ।उस लड़की ने उनके बारे में ही भविष्यवाणी की थी ।उन्हे उसकी काफी चिंता होने लगी थी।
उसने एसपी को फोन कर पद्मिनी की तलाश में दो तीन थाना की पुलिस को लगाकर उसे हर हाल में तलास करने का आदेश दिया।
गाड़ी की बीच वाली सीट पर पद्मिनी बैठी थी ।उसके बगल में ओमप्रकाश इसकी पीठ पर रिवाल्वर लगाए बैठा था दोनो खिड़की की तरफ दो और गुंडे हथियार लेकर बैठे थे।
वो एक स्कोर्पियो गाड़ी थी ।तेज रफ्तार से भागी जा रही थी ।
ओम ने कहा_ डरो मत मेरी जान तुमको तो पता है तुमको कितना प्यार करता हूं।तुम्हारा कोई नुकसान नही करूंगा।
पदमिनी ने मुस्कुराते हुए कहा_ नुकसान तो तुमने सिर्फ इतना किया है को मेरे लोगो को परेशान कर दिया है।वे लोग मेरी तलाश में लग गए होंगे ।तुम तो आनंद को जानते ही हो वो मुझे पाताल से भी ढूंढ निकालेगा।लेकिन परेशान तो अब तुम होगे ।तुम बच नहीं पाओगे ।
उसकी बात सुनकर ओम ठहाका मार कर हसने लगा।मेरी मर्जी के बिना वे लोग तुम तक पहुंच भी नही पाएंगे। जहा तुमको ले जा रहा हूं वहा हमारी शादी की पूरी तैयारी है।
तुमसे शादी करके मैं तुमको लेकर कनाडा चला जाऊंगा।कोई हमारी तलाश नही कर पायेगा।
उस दिन ट्रेन में तुम बच गई थी और मेरे लोगो पुलिस से पकड़वा दिया था ।लेकिन अब तुम या तुम्हारा आनंद मेरा कुछ नही कर पायेगा।उसने खूंखार आवाज में कहा।
प्यार करने वाले को इस तरह अपना बनाने का तुन्हारा रास्ता बहुत ही गलत है इसमें तुम कभी कामयाब नही हो पाओगे।पदमिनी ने गंभीर होकर कहा ।तभी उसकी आंखे थोड़ी देर के लिए स्वतः बंद हो गई और उसने देखा _ ओम आतंकियों और नक्सलियों से हाथ मिला रहा है ।वे लोग उसे रूपयो से भरा बैग दे रहा है।
इसका मतलब इसने मेरा अपहरण प्यार के लिए नही बल्कि किसी और उद्देश्य से किया है ।प्यार का सिर्फ नाटक है।ये एक बहुत बड़ा अपराधी लगता है ।ऐसा अपराधी मेरे साथ आश्रम में योग साधना का अभ्यास करने क्यों गया था।उसने मन में सोचा ।
उसने अपनी आंखे बंद कर के ओमप्रकाश के मन की बात सुनने की कोशिश करने लगी ।
उसने ओम की बात सुनी ओम अपने मन में सोच रहा था_ इससे शादी का ढोंग करके गायब कर देंगे ।ये लड़की पुलिस और गुप्तचर एजेंसी से भी ज्यादा खतरनाक है ।हर घटना के बारे में पहले जान लेती है और पुलिस प्रशासन को खबर कर देती है।
मुझे डेम को उड़ाने,डिप्टी कमिश्नर को अपहरण करने और विधायक के चुनाव में हराने के लिए बूथ कैप्चरिंग की जिम्मेवारी दी गई है।इससे मुझे नक्सलियों ,पार्टी और आतंकियों से करोड़ो रुपए मिलेंगे।मैं तो मालामाल हो जाऊंगा।
उसके मन की बात को सुनकर पदमिनी को बड़ा झटका लगा ।ये तो नक्सलियों और आतंकियों से भी बड़ा खतरनाक अपराधी है।इसका समाज में खुलेआम घूमना बहुत ही खतरनाक है ।इसने मेरा अपहरण करके बड़ी भूल किया है।अब तो इसका बचना मुश्किल है ।
चार घंटे के सफर के बाद पद्मिनी को ओम एक बड़े से सुनसान बंगले में में ले गया ।जहा सुख सुविधा की सारी चीजे थी ।वहा शादी की तैयारी थी ।सबसे पहले उसे खाने पीने के लिए भोजन और फल आदि दिया गया ।उसे उसके कमरे में अकेला छोड़कर बाहर से दरवाजा बंद कर दिया ।दरवाजे पर दो हथियार बंद गुंडे लगा दिए गए।
उस बगले में अपराधियो का जमावाड़ा था।
एक से बढ़कर एक आधुनिक हथियार भरे हुए थे।कंप्यूटर,इंटरनेट, और अन्य सारी सुवधाए थी।बंगले के अंदर और बाहर सीसीटीवी कैमरे लगे हुए थे।अंदर एक कमरे में कंट्रोल रूम था जहा हर हरकत और आने जाने वाले पर नजर रखी जा रही थी।
वहा शादी में कई नक्सली और आतंकी सरगना भी मौयुद थे ।ओम प्रकाश एक शातिर अपराधी था ।वो अपराध को बड़ी सफाई से करता था ।पुलिस उसे पकड़ नही पाती थी ।इसलिए उससे बड़े बड़े अपराधी ग्रुप अपना काम करवाते थे।
अपने कमरे में पद्मिनी ध्यान मुद्रा में बैठ गई और वो आनंद के मस्तिस्क में में अपना संदेश भेजने का प्रयास करने लगी ।

शेष अगले भाग _ 27 में

लेखक _ श्याम कुंवर भारती
बोकारो, झारखंड
मोब.9955509286

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कहानी _ भविष्य दर्शन

भाग _ 23

लेखक_ श्याम कुंवर भारती

उसे यह देखकर बड़ा आश्चर्य हुआ की इतनी तेज चीख सुनाई देने के बाद भी उस गर्ल्स हॉस्टल में कोई हलचल नहीं हुई।न लाइट जली और न कोई बाहर आया।उसे मामला बड़ा अजीब सा लगा।
उसकी चिंता बढ़ती जा रही थी।पता नही वो कौन लड़किया थी ।उनको जलाना चाहता था ।अभी क्यों चीखी थी।वो किस हाल में और कहा होंगी।
अब तक वो उस हॉस्टल के मुख्य द्वार पर पहुंच चुकी थी।
वहा कोई नहीं था।कमाल है लड़कियों के हॉस्टल में दरबान नही है।उसने मन में सोचा ।अब वो अंदर कैसे जाएगी।
उसने दरवाजे पर आवाज दी _ अरे कोई है क्या। जल्दी दरवाजा खोलो।
लेकिन अंदर से कोई जवाब नही आया।तभी फिर लड़कियों के चीखने की आवाजे आने लगी _ बचाओ _ बचाओ।
अब पद्मिनी की बेचैनी बढ़ने लगी।वो उन लड़कियों को बचाना चाहती थी लेकिन कैसे उसकी समझ में कुछ नहीं आ रहा था।
उसने मुख्य दरवाजे के आसपास निगाह डाली ताकि किसी तरह वो अंदर जा सके। तभी उसकी नजर हॉस्टल के चाहरदीवारी की दीवार थोड़ी टूटी हुई नजर आई उसने बिना देर किए उछल कर उसकी टूटी दीवाल को पकड़ ली और खुद को ऊपर खींच कर उसकी दूसरी तरफ अंदर कूद गई।
कूदते ही वो गिर पड़ी ।लेकिन उसने खुद को संभाला और उठकर खड़ी हो गाई और अंदर की तरफ तेज चाल से जाने लगी।उसके जाते ही उसके पीछे लगा साया भी उसी की तरह टूटी दीवाल के सहारे कूदकर अंदर आ गया।वो अपना मुंह छिपाए हुए था।
अंदर जाते ही पदमिनी ने देखा एक दरवान जमीन पर बेहोश पड़ा हुआ था।उसने उसे आवाज देकर हिलाया डुलाया ।
बड़ी मुश्किल से वो उठा ।सामने एक अनजान लड़की को देखकर वो हड़बड़ा कर उठ बैठा।
तुम ठीक तो है पद्मिनी ने पूछा।
मैं ठीक हूं मैडम लेकिन आप कौन हैं।
वो सब मैं बाद में बताऊंगी।पहले बताओ तुम गेट से आकर यहां कैसे बेहोश हो गए थे।
दरबान ने कहा_ मुझे याद आ रहा है मैडम मैं गेट पर अपनी ड्यूटी कर रहा था तभी दो लड़कियां मेरे पास आई और बोली जल्दी हमारे कमरे में चलिए वहा कोई घुस आया है।इतना सुनते ही मैं लपकर उनके साथ जाने लगा अचानक मुझे चक्कर आने लगा और मैं बेहोश होकर गिरने लगा।वे दोनो लड़किया मुझे बचाने के बजाय हंसती हुई चली गई।उनकी हंसी बड़ी भयानक और डरावनी थी मैडम।
ठीक है अभी चलो मेरे साथ लड़कियों के कमरे की तरफ ले चलो।
कुछ लड़कियों के चीखने चिल्लाने की आवाज आ रही है।उनकी जान को खतरा है।पदमिनी ने कहा
इतना सुनते ही वो दरबान फुर्ती से उठा और कहा _ क्या कह रही हो मैडम ।लेकिन मुझे तो किसी की आवाज नही आ रही है।
तभी पद्मिनी ने महसूस किया कोई उसके आस पास है लेकिन वो दिखाई नही दे रहा था।
उसने अपनी आध्यात्मिक शक्ति से जान लिया यह कोई नकरात्मक ऊर्जा थी।कोई आत्मा थी जो उसके आस पास खड़ी थी।उसने महसूस किया उसे भयंकर गर्मी और जलन होने लगी थी।
उसने जोरदार आवाज में कहा _ देखो तुम जो कोई भी हो चुपचाप मेरे सामने आ जाओ । मैं तुम्हारी दुश्मन नही हूं।इसलिए मुझ पर अपनी जोर आजमाइश मत करो कोई फायदा नहीं होगा तुम्हे ।
दरबान को उसकी बात सुनकर बड़ा आश्चर्य हुआ.ये लड़की किससे बात कर रही है यहां तो कोई नहीं दिख रहा है।उसे थोड़ी घबराहट होने लगी थी।
उसने डरते हुए पद्मिनी से पूछा आप किससे बात कर रही हो मैडम ।
तुम घबड़ाओ मत मैं सब बता रही हूं।
इतने में एक आग का गोला उसकी तरफ लपका जिसे दरबान ने भी देखा।वो भय से कांपने लगा।
पदमिनी ने उस गोले को अपने हाथो में रोक लिया।उसने गुस्से से कहा _ तुम्हे मेरी बात समझ में नही आ रही है क्या।अपनी हरकते बंद करो और अपने वास्तविक रूप में सामने आओ।
लेकिन इस बार उसपर कई आग के गोलों से हमला हुआ उसने उन गोलों को हवा में ही रोक दिया और कहा _ अगर दो मिनट में तुम मेरे सामने नही आए तो मैं इन आग के गोलों से तुमको ही जला दूंगी।
कोई जवाब नही आने पर उसने एक आग के गोले को अपने हाथ से धक्का दिया वो आग का गोला तेजी से एक जगह जाकर रुक गया .वहा वो गोल चक्कर लगाने लगा।
पद्मिनी ने अनुभव किया कोई दर्द से कराह रहा है तभी एक लड़की सामने आ गई उसका चेहरा हाथ और पैर बुरी तरह जला हुआ था।
दरबान ने जैसे ही उस भयानक और डरवानी लड़की को देखा उसकी चीख निकल गई। वो चकरा कर गिरने ही वाला था तभी पद्मिनी ने उसे अपने हाथ से पकड़ लिया।
वो कांपते हुए खड़ा हो गया।
पद्मिनी ने उस लड़की की आत्मा से पूछा _ तुम कौन हो और क्यों ऐसी हरकत कर रही हो ।


शेष अगले भाग _ 24 में

लेखक _ श्याम कुंवर भारती
बोकारो, झारखंड
मोब.9955509286

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कहानी _ भविष्य दर्शन

भाग _ 21

लेखक_ श्याम कुंवर भारती

अपनी योजना के अनुसार आनंद ,पदमिनी,नरेंद्र,चंचल और रेखा सभी दोस्त इस प्राइवेट अस्पताल में पहुंचे।
सबने दो _ दो टीम बना लिया था।एक टीम में आनंद ,पदमिनी और नरेंद्र थे दूसरी में चंचल और रेखा थी।
पदमिनी ने साड़ी पहन रखी थी ।वो आनंद की पत्नी के रूप में थी नरेंद्र उसका देवर बना हुआ था।चंचल और रेखा दोनो सगी बहनें बनी हुई थी।
पदमिनी के पेट में काफी दिनो से असहनीय दर्द हो रहा था और चंचल को बार बार चक्कर आते थे ऐसा सबने इस अस्पताल में बताया।दोनो को भर्ती कर लिया गया।
भर्ती होते ही दोनो के सारे टेस्ट कराने को कहे गए जिनकी जरूरत भी नहीं थी।दोनो के ब्लड,यूरीन,स्टूल, शुगर,ईसीजी और एक्सरे आदि सब टेस्ट कराने पड़े ।पद्मिनी का अल्ट्रासोनोग्राफी भी किया गया।लेकिन जब कोई बीमारी थी ही नहीं तो क्या निकलता लेकिन बेकार में हजारों रुपए केवल जांच में चले गए ।
पदमिनी को डॉक्टर ने कहा _ आपकी बीमारी पकड़ में नहीं आ रही है।बाहर से बड़ा डॉक्टर बुलाना पड़ेगा ।उसका खर्चा अलग से जमा करना पड़ेगा।आनंद ने कहा _ डॉक्टर साहब चाहे जो करना पड़े आप करो लेकिन मेरी पत्नी को जल्दी से जल्दी ठीक कर दीजिए।मैं अपनी पत्नी से बहुत प्यार करता हूं।अगर इसको कुछ हो गया तो मैं जिंदा नही रह पाऊंगा।
उसकी बात सुनकर पद्मिनी मुस्कुराने लगी ।डॉक्टर ने मन ही मन सोचा अच्छा मूल्ला फंसा है ।इनको जबह करने में बहुत पैसा मिलेगा।
पदमिनी ने उसके मन की बात को पढ़ लिया और कहा _ डॉक्टर साहब मुझे जबह करने में कौन पैसा देगा आपको।
डॉक्टर चौंक गया ।उसे समझ में नही आया उसके मन की बात इसे कैसे पता चली ।
उसने संभल कर कहा_ अस्पताल में किसी को काटा थोड़े ही जाता है।भला हमलोग किसी मरीज को क्या जबह करेंगे।
अगर जरूरत पड़ी तो आपका ऑपरेशन करना पड़ सकता है।हो सकता है पेट में ट्यूमर की वजह से आपको दर्द हो रहा हो।
फिर उसने मन में सोचा जवान औरत है ।इसकी किडनी के बहुत ज्यादा पैसे मिलेंगे।ऑपरेशन के बहाने इसकी किडनी निकाल लेंगे।फिर इसे महंगे दाम पर विदेश में बेच देंगे ।किसी को कुछ पता नही चलेगा।
आप गलतफहमी में है डॉक्टर साहब _ सारी दुनिया को पता चल जायेगा।पदमिनी ने कहा ।
डॉक्टर ने हड़बड़ा कर कहा _ क्या पता चल जायेगा।उसे लगा जैसे उसकी साजिश उसे पता तो नही चल गई।
यही की आपके सफल ऑपरेशन को खुश खबरी सबको तो पता चल ही जायेगी।
पद्मिनी ने मुस्कुराते हुए कहा।
डॉक्टर ने राहत की सांस लिया और अपने लोगो से कहा _ इस मरीज के चेक अप के लिए डॉक्टर खुराना को कोल पर बुला लो।वो बहुत बड़े सर्जन है ।उन्होंने सैकड़ों सफल ऑपरेशन किए है।
सफल ऑपरेशन किया है या बकरा हलाल किया है डॉक्टर साहब। डॉक्टर का दिमाग चकरा गया ।अब उसे पद्मिनी से भय लगने लगा था।
आनंद ने बात को सभालते हुए कहा _ इसको मजाक करने की आदत है डॉक्टर साहब।देखिए इतने दर्द के बाद भी इसको मजाक सूझ रहा है।
कोई बात नही ।मरीज का खुश रहना सेहत के लिए अच्छा है।
इतना कहकर डॉक्टर वहा से चला गया।
अपने लोगो को सचेत करते हुए डॉक्टर ने कहा _ जरा इस मरीज से सावधान रहना।बहुत होशियार मालूम पड़ रहे है ।
चंचल के साथ भी वही हुआ ।उसे भी डॉक्टर खुराना से जांच कर ऑपरेशन कराने की बात कही गई।
रेखा ने कहा _ डॉक्टर साहब _ भला चक्कर आने में ऑपरेशन की क्या जरूरत है।
डॉक्टर ने उसे डांटते हुए कहा _ डॉक्टर मैं हूं या तुम ।जब इतनी ही बड़ी डॉक्टर हो तो यहां क्यों ले आई ।खुद ही घर इलाज कर लेना चाहिए था।
थोड़ी देर में ऑपरेशन संबंधी फार्म भरकर सारा पेमेंट कर देना ।
नरेंद्र अपने खुफिया कैमरे से सबकी वीडियो रिकार्डिंग कर रहा था।
अगले दिन पदमिनी ने सोए हुए देखा _ वो ऑपरेशन थियेटर में ऑपरेशन बेड पर बेहोश लेटी हुई है और डॉक्टर खुराना अपने टीम के लोगो से कह रहा था _ इसकी दोनो किडनिया निकाल लेंगे ।बहुत फायदा होगा।
दूसरा डॉक्टर कह रहा था _ लेकिन इससे तो इसके डेथ होने का खतरा हो एकता है।
तो होने दो ।हम लोगो ने इसके पति से एग्रीमेंट पेपर पर साइन करा लिया है कि अगर उसके मरीज की ऑपरेशन के दरम्यान मौत हो जाती है तो हमारी कोई जवाबदेही नही होगी।
फिर पद्मिनी ने देखा दूसरे बेड पर चंचल भी बेहोश पड़ी हुई है।उसके बारे में भी वो डॉक्टर वही बात का रहा था।आज बड़े मौके से हमे दो जवान लड़कियां मिल गई है।इनकी किडानियो की अच्छी कीमत मिल जायेगी। ये सारी बाते उसने आनंद को बता दिया ।आनंद का चेहरा गुस्से से लाल हो उठा था।
उसने कहा _ तुम चिंता मत करो ये लोग तुम्हारा बाल भी बांका नहीं कर पाएंगे। बस तुम अपनी योजना के अनुसार करती जाओ।

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उमर की ऐसी की तैसी
****
घर चाहे कैसा भी हो...
उसके एक कोने में..
खुलकर हंसने की जगह रखना..
सूरज कितना भी दूर हो..
उसको घर आने का रास्ता देना..
कभी कभी छत पर चढ़कर..
तारे अवश्य गिनना.....
हो सके तो हाथ बढ़ा कर ......
चाँद को छूने की कोशिश करना......
अगर हो लोगों से मिलना जुलना.......
तो घर के पास पड़ोस ज़रूर रखना..
भीगने देना बारिश में...
उछल कूद भी करने देना..
हो सके तो बच्चों को...
एक कागज़ की किश्ती चलाने देना..
कभी हो फुरसत, आसमान भी साफ हो.....
तो एक पतंग आसमान में चढ़ाना..
हो सके तो एक छोटा सा पेंच भी लड़ाना..
घर के सामने रखना एक पेड़....
उस पर बैठे पक्षियों की..
बातें अवश्य सुनना.
घर चाहे कैसा भी हो.........
घर के एक कोने में...
खुलकर हँसने की जगह रखना....
चाहे जिधर से गुज़रिये..
मीठी सी हलचल मचा दीजिये..
उम्र का हर एक दौर मज़ेदार है
अपनी उम्र का मज़ा लीजिये...
ज़िंदा दिल रहिए जनाब ..........
ये चेहरे पे उदासी कैसी..
वक्त तो बीत ही रहा है.
*उम्र की ऐसी की तैसी..

Atal Bihari Vajpayee

💞💞🙏💞💞

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🌺🙏🌺

      *कहाँ गुम हो गए संयुक्त परिवार*
         

*एक वो दौर था* जब पति,
*अपनी भाभी को आवाज़ लगाकर*
घर आने की खबर अपनी पत्नी को देता था । 
पत्नी की *छनकती पायल और
खनकते कंगन*
बड़े उतावलेपन के साथ
पति का स्वागत करते थे ।

बाऊजी की बातों का.. *”हाँ बाऊजी"* 
*"जी बाऊजी"*' के अलावा
दूसरा जवाब नही होता था ।

*आज बेटा बाप से बड़ा हो गया,
रिश्तों का केवल नाम रह गया*

ये *"समय-समय"* की नही,
*"समझ-समझ"* की बात है

बीवी से तो दूर, बड़ो के सामने
अपने बच्चों तक से बात नही करते थे
*आज बड़े बैठे रहते हैं
हम सिर्फ बीवी* से बात करते हैं!

दादाजी के कंधे तो मानो,
पोतों-पोतियों के लिए
आरक्षित होते थे, *काका* ही
*भतीजों के दोस्त हुआ करते थे ।*

आज वही दादू - दादी 
*वृद्धाश्रम* की पहचान है,
*चाचा - चाची* बस
*रिश्तेदारों की सूची का नाम है ।*

बड़े पापा सभी का ख्याल रखते थे
, अपने बेटे के लिए जो खिलौना खरीदा
वैसा ही खिलौना परिवार के
सभी बच्चों के लिए लाते थे ।

*'ताऊजी'*
आज *सिर्फ पहचान* रह गए
और,......
*छोटे के बच्चे*
पता नही *कब जवान* हो गये..??

दादी जब बिलोना करती थी,
बेटों को भले ही छाछ दे
पर *मक्खन* तो
*केवल पोतों में ही बाँटती थी।*

*दादी ने*
*पोतों की आस छोड़ दी*,
क्योंकि,...
*पोतों ने अपनी राह*
*अलग मोड़ दी ।*

राखी पर *बुआ* आती थी,
घर मे नही
*मोहल्ले* में,
*फूफाजी* को
*चाय-नाश्ते पर बुलाते थे।*

अब बुआजी,
बस *दादा-दादी* के
बीमार होने पर आते है,
किसी और को
उनसे मतलब नही
चुपचाप नयननीर बरसाकर
वो भी चले जाते हैं ।

शायद *मेरे शब्दों* का
कोई *महत्व ना* हो,
पर *कोशिश* करना,
इस *भीड़* में
*खुद को पहचानने की*,

*कि*,.......

*हम "ज़िंदा है"*
या
*बस "जी रहे" हैं"*
अंग्रेजी ने अपना स्वांग रचा दिया,
*"शिक्षा के चक्कर में*
*संस्कारों को ही भुला दिया"।*

बालक की प्रथम पाठशाला *परिवार*
पहला शिक्षक उसकी *माँ* होती थी,
आज
*परिवार* ही नही रहे
पहली *शिक्षक* का क्या काम...??

"ये *समय-समय* की नही,
*समझ-समझ* की बात है!

कुछ साल बाद
हम दो ,हमारे दो के चक्कर में
परिवार खत्म हो जाएगा ।
मामा रहेगा, तो मौसी नही होगी
मौसी होगी तो मामा नही होगा
चाचा होगा तो बुआ नही होगी
बुआ होगी तो चाचा नही होगा ।

*काका ,काकी ,बड़े पापा बड़े मम्मी*
*बुआ ,फूफा ,मामा मामी*
*मौसी मौसा ,ताऊ ताई जी*
*न जाने ऐसे कितने रिश्तों के*
*संबोधन के लिए तरसेंगे ।।*

   *🙏सादर अभिनंदन🙏*

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अक्ल बाटने लगे विधाता,

             लंबी लगी कतारी ।

सभी आदमी खड़े हुए थे,

            कहीं नहीं थी नारी ।


सभी नारियाँ कहाँ रह गई,

          था ये अचरज भारी ।

पता चला ब्यूटी पार्लर में,

          पहुँच गई थी सारी।


मेकअप की थी गहन प्रक्रिया,

           एक एक पर भारी ।

बैठी थीं कुछ इंतजार में,

          कब आएगी बारी ।


उधर विधाता ने पुरूषों में,

         अक्ल बाँट दी सारी ।

ब्यूटी पार्लर से फुर्सत पाकर,

        जब पहुँची सब नारी ।


बोर्ड लगा था स्टॉक ख़त्म है,

        नहीं अक्ल अब बाकी ।

रोने लगी सभी महिलाएं ,

        नींद खुली ब्रह्मा की ।


पूछा कैसा शोर हो रहा है,

         ब्रह्मलोक के द्वारे ?

पता चला कि स्टॉक अक्ल का

         पुरुष ले गए सारे ।


ब्रह्मा जी ने कहा देवियों ,

          बहुत देर कर दी है ।

जितनी भी थी अक्ल वो मैंने,

          पुरुषों में भर दी है ।


लगी चीखने महिलाये ,

         ये कैसा न्याय तुम्हारा?

कुछ भी करो हमें तो चाहिए,

          आधा भाग हमारा ।


पुरुषो में शारीरिक बल है,

          हम ठहरी अबलाएं ।

अक्ल हमारे लिए जरुरी ,

         निज रक्षा कर पाएं ।


सोचकर दाढ़ी सहलाकर ,

         तब बोले ब्रह्मा जी ।

एक वरदान तुम्हे देता हूँ ,

         अब हो जाओ राजी ।


थोड़ी सी भी हँसी तुम्हारी ,

         रहे पुरुष पर भारी ।

कितना भी वह अक्लमंद हो,

         अक्ल जायेगी मारी ।


एक औरत ने तर्क दिया,

        मुश्किल बहुत होती है।

हंसने से ज्यादा महिलाये,

        जीवन भर रोती है ।


ब्रह्मा बोले यही कार्य तब,

        रोना भी कर देगा ।

औरत का रोना भी नर की,

        अक्ल हर लेगा ।


एक अधेड़ बोली बाबा,

       हंसना रोना नहीं आता ।

झगड़े में है सिद्धहस्त हम,

       खूब झगड़ना भाता ।


ब्रह्मा बोले चलो मान ली,

       यह भी बात तुम्हारी ।

झगड़े के आगे भी नर की,

       अक्ल जायेगी मारी ।


ब्रह्मा बोले सुनो ध्यान से,

       अंतिम वचन हमारा ।

तीन शस्त्र अब तुम्हे दिए,

       पूरा न्याय हमारा ।


इन अचूक शस्त्रों में भी,

       जो मानव नहीं फंसेगा ।निश्चित समझो,

       उसका घर नहीं बसेगा ।


कहे कवि मित्र ध्यान से,

       सुन लो बात हमारी ।

बिना अक्ल के भी होती है,

      नर पर नारी भारी।

         💞🙏🏻💞

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एक बार एक सुनार से लक्ष्मी जी रूठ गई, उन्होंने जाते वक्त सुनार से बोला मैं जा रही हूँ और मेरी जगह नुकसान (हानि) आ रहा है, तैयार  हो जाओ।

लेकिन मै तुम्हे अंतिम भेट जरूर देना चाहती हूँ मांगो जो भी इच्छा  हो।

सुनार बहुत समझदार  था उसने विनती की नुकसान आए तो आने  दो लेकिन  उससे कहना की मेरे परिवार  में आपसी  प्रेम  बना रहे बस मेरी यही इच्छा है। लक्ष्मी जी ने तथास्तु कहा और चली गईं।

कुछ दिन के बाद :-

सुनार की सबसे छोटी बहू खिचड़ी बना रही थी। उसने नमक आदि डाला और अन्य काम करने लगी। तब दूसरे लड़के की बहू आई और उसने भी बिना चखे नमक डाला और चली गई।

इसी प्रकार तीसरी, चौथी बहुएं आई और नमक डालकर  चली गई फिर उनकी सास ने भी ऐसा किया।

शाम को सबसे पहले सुनार आया। जैसे ही पहला निवाला मुह में लिया, देखा बहुत ज्यादा नमक है। लेकिन वह समझ गया नुकसान (हानि) आ चुका है। चुपचाप खिचड़ी खाई और चला गया।

इसके बाद बङे बेटे का नम्बर आया। पहला निवाला मुह में लिया। पूछा पिता जी ने खाना खा लिया क्या कहा उन्होंने ?

सभी ने उत्तर दिया- "हाँ खा लिया, कुछ नही बोले।"

अब लड़के ने सोचा जब पिता जी ही कुछ नही बोले तो मै भी चुपचाप खा लेता हूँ।

इस प्रकार घर के अन्य  सदस्य  एक -एक आए। पहले वालो के बारे में पूछते और चुपचाप खाना खा कर चले गए।

रात को नुकसान (हानि) हाथ जोड़कर सुनार से कहने लगा  - "मै जा रहा हूँ।"

सुनार ने पूछा - क्यों ?

तब नुकसान (हानि ) कहता है, "आप लोग एक किलो तो नमक खा गए"

लेकिन बिलकुल भी झगड़ा नही हुआ। मेरा यहाँ कोई काम नहीं।"

सीख 👇

झगड़ा कमजोरी, हानि, नुकसान की पहचान है।
जहाँ प्रेम है, वहाँ लक्ष्मी  का वास है।

सदा प्यार -प्रेम  बांटते रहे। छोटे -बङे  की कदर करे ।
जो बङे हैं, वो बङे ही रहेंगे ।
चाहे आपकी कमाई उनकी कमाई से अधिक  हो।  

                   💞🙏🏻💞

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बिलकुल वही तो तुम्हारा जीवन साथी भी होगा ।लेकिन इतना आसान नहीं होगा उससे विवाह करना ।बहुत सारी बाधाये आएगी लेकिन अंततः होगी।
उससे तुम्हे चार संताने होगी जो बहुत ही प्रतिभावान और अपने कार्य क्षेत्र में महान होंगे ।उनको सारी दुनिया जानेगी और मानेगी।
पदमिनी को उसकी हर बात पर विस्मय होता जा रहा था।आज उसे अपने जीवन के रहस्यों से पर्दा उठता जा रहा था।
तभी उस दिव्यात्मा ने उसे एक तरफ दिखाते हुए कहा _ देखो उस वृक्ष के नीचे सुंदर दिव्य पुरुष को ध्यान मुद्रा में और पहचानो ।
पदमिनी ने कौतूहल वस बड़ी शीघ्रता से उधर देखा ।उस दिव्य आत्मा पर उसकी नजर पड़ते ही उसकी आंखे आश्चर्य से खुली रह गई ।
उसके मुख से निकल गया _ अरे यह तो मेरा दोस्त और कॉलेज का सहपाठी आनंद है ।


शेष अगले भाग _ 19 में

लेखक _ श्याम कुंवर भारती
बोकारो, झारखंड
मोब.9955509286

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आनंद और उनके साथियों को काफी निराशा हुई की ट्रेन आनेवाली है मगर वे लड़कियां कही नजर नही आई।
इसके बाद डेढ़ घंटे बाद एक ट्रेन आने वाली थी ।
लड़के और लड़कियां अलग अलग ग्रुप में स्टेशन पर चाय पानी करते हुए चलकदमी करते रहे मगर सतर्क भी थी।
ठीक आधे घंटे बाद कुछ लड़कियों का झुंड स्टेशन पर आया.। उनके साथ पांच लोग भी थे।
वे सभी स्टेशन पर आकर अपना अपना झोला रखकर जमीन पर बैठ गए और झोले में से खाना निकालकर खाने लगे।
पदमिनी और उसकी सहेलियां धीरे धीरे चलते हुए उनके पास बैठ गई और आपस में बात करने लगी।भगवान करे मुझे जल्दी से कोई नौकरी मिल जाती तो मेरे घर का गुजारा हो पाता।
चंचल ने कहा वही मैं भी सोच रही हूं सखी ।तीसरी ने कहा_मेरे घर में तो खाने के लाले पड़े हैं मैं तो कोई भी काम कर लूंगी ।चाहे झूठे बर्तन ही क्यों मांजने पड़े।
बाकी लड़किया उन तीनो की बाते सुन रही थी ।एक लड़की ने पूछा _ क्या तुम तीनो भी नौकरी के लिए बाहर जा रही हो ।मेरे साथ जो भैया लोग है वे लोग लड़कियों को शहर में नौकरी लगवाने का काम करते है।अगर तुम बोलो तो मैं उनसे बात करवाती हूं।
क्या सही में जल्दी बात करवाओ ।मैं तुम्हारा बहुत आभारी रहूंगी अगर मुझे नौकरी लगवा दोगी बहन तो।
पदमिनी ने हाथ जोड़कर कहा।
उस लड़की ने एक आदमी को बुलाया और उन तीनो लड़कियों के बारे में बताया और कहा _ भईया इन तीनो को भी नौकरी चाहिए आप इनके बारे में भी किसी कंपनी में बात कर दो न।
उस आदमी ने पद्मिनी सुर उसकी दोनो सुंदर और जवान सहेलियों को देखा ।उसकी आंखे चमक उठी ।
उसने खुश होते हुए कहा_ अरे क्यों नही मेरा तो काम ही यही है।मैं तुम तीनो को भी अच्छी नौकरी लगवा दूंगा।तुम तीनों भी मेरे साथ दिल्ली चलो ।
चंचल ने हाथ जोड़कर कहा _ भईया हम बहुत मजबूर और गरीब है ।आपकी बड़ी कृपा होगी अगर हमे कोई काम दिला दोगे।
आनंद फोन पर लगातार किसी से बात कर रहा था।तभी विधायक जी कई ऑफिसर के साथ स्टेशन पहुंच गए।
आनंद लपकर उनके पास पहुंचा ।उसने इशारे से उन्हे लड़कियों के बारे में बताया दिया।
विधायक सीधे स्टेशन मास्टर के पास पहुंच गए और तुरंत जीआरपी थाना के इंचार्ज को पूरे दल बल के साथ बुलाने के लिए बोला.।स्टेशन मास्टर ने थाना इंचार्ज को तुरंत बुलाया।
विधायक के साथ वीडीओ,सीओ, कल्याण पदाधिकारी, डीएसपी साहब (सिविल ड्रेस में ) उनके पुलिस के जवान भी सिविल ड्रेस में थे ।ताकि किसी को कानों कान खबर न हो ।
साथ में बाल कल्याण पदाधिकारी आदि पूरी टीम के साथ पहुंच गए थे।
थोड़ी ही देर में कुछ एनजीओ और मीडिया के लोग भी पहुंच गए।
अचानक सबने इन लड़कियों और तस्करो को चारो तरफ से घेर लिया।
वे लोग पद्मिनी और उसकी सहेलियां से बात करने में इतना व्यस्त थे की उन्हे कुछ भी पता नही चला ।
जीआरपी और पुलिस ने उन पांचों को गिरफ्तार कर लिया।
बाकी बारह लड़कियों को कल्याण पदाधिकारी का बयान लेकर कल्याण पदाधिकारी को सौंप कर विधायक ने वीडीओ से कहा_सबसे पहले इन लड़कियों को इनके घर सुरक्षित पहुंचा दिया जाय और इनके पूरे परिवार को सभी सरकार की लाभकारी योजनाओं से जोड़कर मुझे सूचित करे।।
उन पांचों महिला तस्करों ने अपना गुनाह कबूल कर लिया उन्हे गिरफ्तार कर उन्हें पुलिस को सौप दिया गया।
विधायक ने पदमिनी की भविष्यवाणी की बहुत तारीफ किया। उनके सूझ बूझ और बहादुरी के लिए सबको बधाई दिया।डीएसपी ने थाना प्रभारी को बुलाकर कड़ी फटकार लगाई और कहा _ तुम्हे अगर खबर मिली थी तो कम से कम जांच तो जांच तो कर लिए रहते।
लडको ने अगर सूझ से काम नहीं लिया रहता तो आज बारह लड़कियों जा जीवन बरबाद हो जाता।
तुम्हारी लापरवाही के लिए तुम्हे एक सप्ताह के अंदर सस्पेंड किया जाता है।
मीडिया वाले सबका फोटो लेने और वीडियो बनाने में बिजी हो गए थे।
अगले दिन पदमिनी की सटीक भविष्यवाणी और आनंद के साथ सभी दोस्तों की फोटो सहित खूब तारीफ की गई थी। विधायक और अधिकारियों की भी सराहना की गई थी ।अखबार और टीवी में न्यूज आने के बाद सरकार ने इस मामले को गंभीरता से लिया और सभी विभागों को सतर्क रहने और ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार बढ़ाने का आदेश दिया ।साथ ही लड़कियों की तस्करी की रोकथाम हेतु ठोस कार्रवाई करने की योजना बनाने को कहा।
कुछ ही दिनों में उन बारह लड़कियों के परिवारों को प्राथमिकता के आधार पर सभी सरकारी योजनाओं से जोड़ कर लाभ दिलाया गया।उन लड़कियों ने भी पद्मिनी और उसके साथियों का आभार व्यक्त किया।

शेष अगले भाग _ 18 में

लेखक _ श्याम कुंवर भारती
बोकारो, झारखंड
मोब.9955509286

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कहानी _ भविष्य दर्शन

भाग _ 15

लेखक_ श्याम कुंवर भारती

उस औरत के शरीर में मौजूद आत्मा को पद्मिनी की शक्ति का अंदाजा नहीं था।उसने गुर्राकर उसकी तरफ देखा और चीखने चिल्लाने लगी।लोग काफी भयभीत होने लगे।किसी ने कहा _ लाओ रस्सी लाओ इसे बांधो और पागल खाने ले चलो वरना सबको घायल कर देगी।
पदमिनी ने कहा किसी को कुछ करने की जरूरत नहीं है।यह पागल नही हुई है।इसके शरीर में एक शक्तिशाली आत्मा का वास है।वही यह सब करवा रही है।
उसकी बात सुनकर सभी आश्चर्य से कभी उसकी तरफ कभी उस औरत को देखने लगे।आनंद को भी बड़ा आश्चर्य हुआ।
पदमिनी इस औरत के सामने जाकर खड़ी हो गई ।आनंद ने उसे रोकने की कोशिश किया लेकिन वो नहीं मानी।
सब लोग अपनी सांसे रोके उसे देखने लगे।किसी ने कहा _ उसके सामने मत जाओ बेटी वो तुम्हारा नुकसान कर सकती हैं।लेकिन पदमिनी ने सबकी बातो को अनसुनी कर दिया और उस औरत की आंखो में आंखे डालकर बोली तो तुम मुझसे जोर आजमाइश करना चाहते हो।
मैंने तुम्हे समझाया था शांति से इस औरत को छोड़ दो मैं तुम्हे मुक्ति दिला दूंगी लेकिन तुमने मेरी बात नही माने।अब देखो मैं तुम्हारे साथ क्या करती हु।
इतना कहकर उसने अपनी निगाहे उस औरत की आंखो में डाल दिया।थोड़ी ही देर में वो औरत दर्द से चीखने चिल्लाने लगी और बोलने लगी _ मुझे छोड़ दो मुझे छोड़ दो मेरा शरीर जल रहा है।धीरे धीरे उसकी चीख बढ़ने लगी ।
बोलो छोड़ते हो की नही इस औरत को ,पदमिनी ने गुस्से से कहा।
छोड़ दूंगा ।
छोड़ दूंगा नही जल्दी छोड़ो और दुबारा कभी इसकी तरफ पलटकर देखना भी नहीं।पदमिनी ने डांट कर कहा ।
तभी वो औरत बड़ी जोर से छटपटाई और फिर शांत हो गई।चुपचाप वो निढाल होकर जमीन पर बैठ गई।अचानक भीड़ में एक औरत जोर जोर से चीखने चिल्लाने लगी सब लोग हैरत से उधर देखने लगे।लेकिन पदमिनी निश्चिंत हो आराम से खड़ी रही ।
वो औरत भागते हुए पद्मिनी के पास आई और उसके पैर पर गिरकर माफी मांगते हुए कहा _ मुझे माफ करो।मेरी ही गुलाम आत्मा मुझे ही मरना चाहती है मुझे बचा लो ।
पदमिनी ने कहा _ क्यों अब खुद पर बन आई है तो बहुत तकलीफ हो रही है।अपनी जान की गुहार लगा रही हो।
मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई।अब दुबारा ऐसा नहीं करूंगी।मुझे बचा लो।
उस औरत ने गिडगिड़ाते हुए कहा।
सोचो तुम लोग छोटी छोटी बात पर किसी के पूरे परिवार को तबाह करने का घिनौना काम करती हो। अगर इस औरत को कुछ हो जाता तो इसके दो छोटे छोटे बच्चो और बाकी परिवार को कौन संभालता।
क्या इसलिए तुम लोग जादू टोना और तंत्र मंत्र सिखती हो ।पदमिनी ने गुस्से से कहा।
वो औरत कुछ नही बोली।
मैं तुम्हे सबके सामने नही लाना चाहती थी लेकिन तुम मेरे संदेश को नही मानी ।तुम्हे अपनी शक्ति पर बड़ा गुमान था।

इसलिए मेरे समझाने के बाद भी तुमने अपनी गुलाम आत्मा को वापस नहीं बुलाई और बेचारी राजमुमिया काली को तड़पते देख मजा ले रही थी।इसलिए तुम्हारी ही गुलाम आत्मा को तुम्हारे पास भेज तुम्हे सबक सिखाने के लिए।
चूंकि अब तुमने अपनी गलती मान लिया और दुबारा ऐसी गलती नही करने की बात कही हो तो मैं तुम्हे भी इस शैतान से मुक्ति दिलाती हूं।
इतना कहकर उसने उस औरत के सिर के बाल पकड़कर अपनी ओर खींचा और खड़ा किया और कहा _ अब तुम आजाद हो जाओ इसक्रो छोड़कर फिर कभी इसके पास मत आना ।
उसने जैसे ही यह बात कही वो औरत शांत हो गई और खुश होकर बोली बेटी तुमने मेरी आंखे खोल दिया है।अब मैं भी भलाई का काम करूंगी ।
गांव वाले हैरत से पदमिनी को देख रहे थे। राजमुनियां कर परिवार वाले हाथ जोड़ कर पदमिनी के सामने खड़े हो गए और बोले बेटी तुमने आज मेरे परिवार को बरबाद होने से बचा लिया।हम सब तुम्हारे जिंदगी भर आभारी रहेंगे।राजमुनिया भी हाथ जोडकर इसके सामने खड़ी थी और उसकी आंखो से झर झर आंसू बह रहे थे।
गांव के बाकी लोगो ने कहा _ हम सबको खुशी है कि पदमिनी जैसी लड़की हमारे गांव की बेटी है।
आनंद को पदमिनी की इस शक्ति का अंदाजा ही नही था।वो बहुत प्रभावित हुआ उससे।
तभी उसे कॉलेज की याद आई ।उसने पदमिनी का हाथ पकड़ कर कहा _ अरे चलो जल्दी कॉलेज के लिए देर हो रही है।
पदमिनी ने कहा _ हा चलो इतना कहकर वो आनंद की बाइक पर पीछे बैठ गई ।

शेष अगले भाग _ 16 में

लेखक _ श्याम कुंवर भारती
बोकारो, झारखंड
मोब.9955509286

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आप चलिए अंकल मैं आनंद को लेकर आती हूं।
टीटी और बिरेंद्र चले गए।
अगला स्येशन आने वाला था।पदमिनी ने अपने मोबाइल में देख लिया था आधे घंटे में ट्रेन अगले स्टेशन पर पहुंचने वाली थी।उसने आनंद को जगाया लेकिन वो गहरी नींद में खर्राटा लेता रहा ।जैसे घोड़े बेचकर सो रहा हो।पदमिनी चिंतित होने लगी आनंद उठ ही नही रहा था।
उसने अपने वाटर बोतल से पानी निकालकर उसके चहेरे पर फेंक दिया ।वो हड़बड़ा कर उठ बैठा।क्या हुआ तुम मुझे पानी से क्यों भींगा रही हो ।भला अभी मजाक करने का कोई समय है ।कितनी अच्छी नींद में सो रहा था।तुम्हारे साथ सपने में झील में नाव पर सैर सपाटा कर रहा था।लेकिन पदमिनी ने उसकी बात को अनसुनी करते हुए कहा जल्दी उठो हमे दूसरे कोच में बिरेंद्र के बर्थ पर चलना है।
लेकिन क्यों हमारी बर्थ तो हमारे स्टेशन तक है ।फिर क्यों अपनी सीट छोड़े ।आनंद ने आश्चर्य से पूछा।
सवाल मत करो जितना मैं कह रही हो करो।जल्दी उठो और सारा सामान लेकर चलो यहां से ।
पदमिनी ने झुंझला कर कहा ।
ठीक है बाबा तुम नाराज मत हो पहले मुझे बाथरूम से आने दो फिर चलता हूं।
आनंद ने अपनी चप्पल पहनते हुए कहा।
बाथरूम उस कोच में भी है वही कर लेना चलो ।लेकिन आनंद नही माना वो लपकता हुआ बाथरूम की ओर भाग खड़ा हुआ ।
इधर पदमिनी परेशान होकर उसका इंतजार कर रही थी।तब तक ट्रेन ने अपनी रफ्तार कम करनी शुरू कर दी थी । अगला स्टेशन आने वाला था।
पदमिनी और चिंतित नजर आने लगी थी ।उसे आनंद की काफी चिंता हो रही थी।
उसका दिल तेजी से धड़कने लगा था।जैसे जैसे आनंद को आने में देर हो रही थी उसकी बेचैनी बढ़ती जा रही थी।तब तक ट्रेन ने प्लेटफार्म से गुजरना शुरू कर दिया था और गति कम होने लगी थी ।
पद्मिनी को अब आनंद पर बहुत गुस्सा आने लगा था।बहुत जिद्दी लड़का है ।अगले बर्थ में टॉयलेट जाता तो क्या होता।ट्रेन रुकते ही ओम के गुंडे ट्रेन में चढ़ जायेंगे। फिर पता नही उसके साथ क्या करेंगे । मेरा अपहरण भी करना चाहते है।
तभी ट्रेन ने झटका दिया और रुक गई ।लोग ट्रेन पर चढ़ने और उतरने की आपाधापी करने लगे ।अब पदमिनी के बर्दास्त से बाहर होने लगा था।तभी टॉयलेट की तरफ से बहुत जोर का शोर सुनाई देने लगा।
पदमिनी का दिल धक धक करने लगा।वो बिना एक पल गवाए टॉयलेट की तरफ भागती चली गई।उसकी जान हलक में अटक गई थी।भगवान न करे आनंद को वो गुंडे ढूंढ और पहचान पाए हो।

शेष_अगले भाग _12 में

लेखक _ श्याम कुंवर भारती
बोकारो, झारखंड
मोब.9955509286

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जरूर पढ़िए 😁😁😁

35 साल रेलवे में टीटी की नौकरी करने के बाद रिटायर हुए। घर पर रहने लगे।
एक महिने बाद ही पत्नी ने पति से कहा डाक्टर के पास जाना है, मुझे थोड़ा सा चैकअप कराना है।
😉
शाम पत्नी को डाक्टर के पास ले जाकर पति ने कहा जाइए दिखाईये,,
उसने रोनी सी सूरत बनाकर कहा आप आगे आईये
मेरा तो बहाना था
दरअसल आपको दिखाना था
🙄
डाक्टर साब , ये पिछले 35 साल रेलवे में टीटी रहे,
सप्ताह में केवल दो दिनों के लिये घर आते थे, बाकी दिन बाहर रहते थे।
लगातार "रेल यात्रा के वातावरण" को सहते थे।
🙄
अब रिटायरमेंट के बाद घर आते ही कमाल कर दिया है,
चार फीट चौड़े पलंग को काट कर दो फीट का कर दिया है,
अटैची को सांकल से बांध कर ताला लगाते हैं,
तकिये में हवा भरते हैं और चप्पलें सिरहाने रखते हैं,
कमरे का ट्यूब लाइट अलग हटा दिया है और
उसकी जगह जीरो वाट का वल्ब लगा दिया है,
😉
टेप रिकार्डर से फिल्मी गानों का कैसेट निकाल कर,,
रेल्वे एनाउंसमेंट,
गाड़ी चलने की ध्वनि,
घंटी की घनघनाहट,
और
गरम चा,,इय समोसा की कर्कश आवाज का केसेट लगाते हैं,
मूंगफली के छिलके,और बीड़ी सिगरेट के टुकड़े पलंग के चारों ओर फैलाते हैं ,
😉
मैं तो रात भर जागती हूँ
और ये आराम से सो जाते हैं
पता नहीं कैसी जिंदगी जीते हैं
कप में चाय दो, तो कुल्हड़ में पीते हैं ,
😉
एक रात मेहमान आये तो मैंने इन्हें जगाया,
इन्होने करवट बदली और मेरे हाथ में ट्रेन का टिकट और सौ रुपये का नोट थमाया।
🙄
मैने कहा ये क्या है,तो बोले रसीद नही बनाना
इंदौर आये तो ख्याल से उठाना
🙄
पिताजी से,दहेज में मिला सोफासेट आधे दामों में बेंच आये है,
बदले में दो सीमेंट की ब्रेंच खरीद लाये है,
🙄
बेडरूम में लगीं पेंटिग्स को अलग कर दिया है,
उनकी जगह,
भारतीय रेल आपकी अपनी सम्पत्ति है,
जंजीर खींचना मना है😁
लिखवा दिया है,
😉
एक रात इनके पास आकर बैठी
इन्होने पांव मोड़े और कहा आइए
आइए आराम से बैठिये
😉
डाक्टर साब बताने में शर्म आती है पर आपसे क्या छिपाना है
इन्होने ने मुझसे पूंछा
बहन जी आपको कहाँ जाना है
😘
डायनिंग टेबिल पर खाना खाने से मना करते हैं
पूड़ियां मिठाई के डिब्बे में और सब्जी को प्लास्टिक की थैली में भरते हैं,
🙄
एक रात मेरे भाई और पिताजी आये
दोनों इनकी हरकत से बहुत लजाये
रात में भाई ने इनकी अटैची जरा सी खिसकाई
ये गुस्से में बोले जंजीर खींचू चोरी करते शर्म नहीं आई
🙄
सुबह सुबह बूढ़े पिताजी जल्दी उठ कर नहाने जा रहे थे
बालकनी पर इनके पास वाली खिड़की से आ रहे थे
उन्होंने खिड़की से हाथ डाल कर इन्हें जगाया
इन्होने गुस्से में कहा इस तरह से मत जगाओ
यहाँ कुछ नहीं मिलेगा,
🙄 बाबा ,आगे जाओ
पिताजी आगे गये तो उन्हें वापस बुलाया
😉
उन्हें एक रुपये का सिक्का दिया और पूंछा कौन सा स्टेशन आया
😉
इनका अजीब कारनामा है
एक पर एक हंगामा है
अभी कबाड़ी के यहाँ से एक पुराना टेबिल फेन मंगवाया
छत पर लटके अच्छे खासे सीलिंग फेन को उतार कर उसकी जगह टेबिल फेन लटकाया
🙄
उसे चालू करने विचित्र तरीका अपनाते हैं
जेब से कंघी निकाल कर पंखा घुमाते हैं
😉
सुबह मंजन ब्रश साबुन निकाल कर बाथरूम की ओर जाते हैं,
मैं कहतीं हूँ बेटा गया है
तो वहीं लाइन लगाते हैं
🙄
समझाती हूँ आ जाओ, तो रोकते हैं
हर दो मिनट के बाद बाथरूम का दरवाजा ठोकते हैं
🙄
इन्होने पूरे घर को सिर पर उठा लिया है
घर को वेटिंग रूम और बैडरूम को ट्रेन का कम्पार्टमेंट बना दिया है
🙄
इनके साथ बाकी जिंदगी कैसे कटेगी हम यह सोच कर डरते हैं
और ये सात जनम की बात करते हैं
हम तो एक ही जनम में पछताते हैं 🧐
😛😛😛😛😛....

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एक ऐसी कहानी,
जो आपको भावुक कर देगी😢

एक अट्ठाइस साल की बहुत ही बदसूरत और काली लड़की थी, उसके दाँत भी निकले थे, पर उसे अपने रंग और बदसूरती का जरा भी अफ़सोस नही था | हमेशा खुश रहती और एक नंबर की पेटू और पढ़ने लिखने में महाभोंदू भी थी |

पेटू होने की वजह से शरीर भी बेडौल हो गया था | एक खूबी उसमें यह भी थी की जहाँ रहती, हो-हो-हो कर हस्ती मुस्कुराते रहती और सबको भी हँसाते रहती |
उस नेक दिल लड़की का एक शौक भी था |
खाना बनाने का, वह खूब मन से खाना बनाती और बड़े चाव से मसाला पिसती |
खाना बनाने की किताबे खूब ध्यान लगा कर पढ़ती | टीवी रेडियो पे भी पाक कला के प्रोग्राम को बड़े मनोयोग से देखती सुनती |

जब भी उसे कोई खाना बनाना होता तो वह बड़े प्रेम से बनाती | आटा गूँथती, बड़े प्यार से गीत गुनगुनाते हुए कम आँच पे पूड़ियाँ तलती |
सब्जी चटनी खीर हो या मटर पनीर सब कुछ लाजबाब बनाती | जो भी उसके खाने को टेस्ट करता बिना तारीफ किये ना रहता | उसने पाक कला में अद्भुत और असाधारण प्रतिभा हासिल कर ली थी |

पर वह मनहूस थी उसके काले रंग और बदसूरत होने से कोई उसे प्यार न करता था पर माँ उसे बहुत प्यार करती थी | आज तक माँ ने उसे डाँटा तक नही था और वह भी माँ से बहुत प्यार करती थी |

हर बार की तरह इस बार भी आज सुबह उसकी शादी के लिए जो लोग लड़की देखने आये थे उन सबो ने खाने की बहुत तारीफ की लेकिन लड़की को देखकर नाक मुँह सिकोड़कर चले गए |

वह लड़की भी तैयार होकर किसी को बिना कुछ बताये कहीं चली गयी | शाम में जब वो लौटी तो घर का माहौल बहुत गरम था |

पिता जी माँ पे बहुत गुस्सा थे बोल रहे थे पता नही कौन से पाप के बदले ये मनहूस लड़की मिली | पिता से प्रायः यह सुब सुनती थी उससे उसे कोई असर न होता था |
वह बहुत खुश खुश माँ को कुछ बताने गई और कहा " बड़ी भूख लगी है कुछ खाने को दो पहले" !

उसके हाथों में एक सर्टिफिकेट और एक चेक भी था, पर माँ भी आज बहुत गुस्से में सब्जी काट रही थी उसके तरफ देखे बिना ही बोली "तू सचमुच मनहूस है काश पैदा होते ही मर जाती तो आज ये दिन ना देखना पड़ता |
पचासों रिश्तों आये किसी ने तुझे पसंद न किया " |

उस मनहूस लड़की को माँ से ऐसी आशा ना थी उसका दिल बैठ गया और उसकी ख़ुशी उड़ गई और उदास होकर माँ से बोली " मैं सचमुच मनहूस हूँं माँ क्या मैं मर जाऊँ ?" बोलते बोलते उसका गला रुंध गया और चेहरा लाल हो गया |

माँ ने भी गुस्से में कहा "जा मर जा सबको चैन मिले" |
तभी उस मनहूस लड़की ने अपने कमरे में जाकर दरवाजा बंद कर लिया | थोड़ी देर बाद जैसे ही माँ को अपनी गलती का अहसास हुआ वो दौड़ती हुई उसके कमरे के तरफ गयी | आवाज़ देने पर भी दरवाजा जब नही खुला तो माँ ने जोर का धक्का दिया |
तेज धक्के से जैसे ही दरवाज़ा खुला माँ ने देखा सामने दुपट्टे के सहारे जीभ बाहर निकले उस मनहूस काली लड़की की लाश झूल रही थी |
वही पर एक चिट्ठी, सर्टिफिकेट और एक लाख का चेक रखा था |

चिट्ठी में लिखा था" माँ मैंने आज तक तुम्हारा कहना माना है | आज तुमने मरने को बोला ये भी मान रही | अब तुम मनहूस लड़की की माँ नही कहलाओगी |
मैंने पढ़ने की बहुत कोशिश की पर मेरे दिमाग मे कुछ जाता है नहीं, पर भगवान ने मुझे ऐसा बनाया इसमें मेरा क्या कसूर माँ ?😢
मुझे सबने काली मनहूस भोंदू सब कहा, मुझे बुरा न लगा पर तुम्हारे मुँह से सुनकर मुझे बहुत बुरा लगा 😢
मेरी प्यारी माँ और हां आज नेशनल लेवल के खाना बनाने वाली प्रतियोगिता में मुझे फर्स्ट प्राइज और एक लाख रूपए का चेक मिला और साथ में फाइव स्टार होटल में मास्टर शेफ की नौकरी भी |😢

और पता है माँ आज मेरी जिंदगी की सबसे खुशी का दिन था क्योंकि पहली बार वहाँ सबने मुझे कहा था
देखो ये है कितनी भाग्यशाली लड़की है 😢😢😢...

नोट- बेटी है तो कल है | उसका सम्मान करे |
उसे ताकत दे,
उत्साहित करें,
माँ बाप का नाम,
देश का नाम रोशन करेगी |

       💞🙏🏻💞

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बच्चो मानव के अंदर पांच ज्ञानेंद्रियां और दस कर्मेंद्रीयां होती है।जैसे त्वचा,जीभ,आंख,कान और नाक।
त्वचा से छूकर,जीभ से चखकर,आंख से देखकर,कान से सुनकर और नाक से सूंघकर हम अनुभव करते है।उसी प्रकार हाथ,पैर ,आदि से कर्म करते है।यह सामान्य रूप से सभी इंसानों में पाया जाता है।लेकिन जब हम योग साधना से अपनी कुंडली को जागृत कर लेते हैं,या छटी इंद्री या तीसरी आंख को जागृत कर लेते है तब बिना ज्ञानेंद्रियों और कर्मेंद्रियो की सहायता के हम सारे कार्य कर सकते है ।जैसे दूर बैठे किसी आवाज को सुनना,किसी दृश्य को देखना, भविष्य में होने वाली घटना को पहले देख लेना यानी पूर्वाभ्यास होना,किसी के मन की बात को जान लेना, नकारात्मक और सकारात्मक ऊर्जा का ज्ञान होना आदि कई अदभूत शक्तियों को प्राप्त किया जा सकता है।यह असंभव नहीं संभव है।
इतना ही नहीं व्यक्ति बिलकुल शुद्ध विचार,सत्यवादी,शांतचित और प्रसन्नचित हो जाता है। उसे अपने मृत्यु का भी आभास हो जाता है।उसकी स्मरण और सहन शक्ति सामान्य व्यक्तियों से काफी ज्यादा हो जाती है ।इस साधना को साधने में वर्षो लग जाते है। कोई तो मरते दम तक नही साध पाता है ।कोई कुछ महीनों में साध लेता है
उसके लिए जरूरी है दृढ़ इक्षा शक्ति, विश्वाश,कठिन साधना और कड़े नियमो जा पालन।
लेकिन पदमिनी इन सबसे अलग है। ईश्वरीय शक्ति है।या पिछले जन्मों का अभ्यास का फल है जी इतनी जल्दी इसकी कुंडलिनी जागृत हो रही है ।
अभी यह जाग रही है तभी तो कही की किसी की पूर्व घटना देख पाती है । पूर्णतः जागृत होने पर मनवांछित भविष्यवाणी कर सकती है।
आप सभी छात्र है ।आप को योग साधना से पठन पाठन में अदभुत लाभ मिल सकता है ।
मनुष्य में कुल सात चक्र होते है ।जैसे मूलाधार और सहश्रत्रार आदि ।
सभी चक्र यौनांगो और मलद्वार के बीच से प्रारंभ होकर रीढ़ की हड्डी,भाभी ,हृदय,गला ,मस्तक और सिर के ऊपरी भाग में आवष्ठित होता है।साधक को एक एक कर हर चक्र को जागृत करते हुए उपर की ओर बढ़ना पढ़ता है।
यह साधना योग किया यानी भौतिक विज्ञान,शरीर विज्ञान और आध्यात्मिक ज्ञान भी है । इससे हम असाध्य रोगों को भी ठीक कर सकते है।
आज मैं बस इतना ही आप सबको योग साधना के बारे में बताना चाहता हूं ।इसलिए आप सबसे अनुरोध है मैने जितना योग क्रिया आप सबको सिखाया है उसका नित्य अभ्यास जरूर करें।इससे आपके शिक्षण और भावी जीवन में काफी लाभ मिलेगा।
बाकी पदमिनी को अगर इनके माता पिता की सहमति मिली तो इसे मैं अपने आश्रम ले जाकर बाकी साधना को साधने में मदद करूंगा।
इसके बाद योग गुरु ने अपना व्यक्तित समाप्त किया ।

शेष अगले भाग _9 में

लेखक _ श्याम कुंवर भारती
बोकारो, झारखंड
मोब.9955509286

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मां का तोहफा एक मर्मस्पर्शी कहानी

एक मर्मस्पर्शी कहानी, अवश्य पढ़ें🙏

एक दंपती दीपावली की ख़रीदारी करने को हड़बड़ी में था। पति ने पत्नी से कहा, "ज़ल्दी करो, मेरे पास टाईम नहीं है।" कह कर कमरे से बाहर निकल गया। तभी बाहर लॉन में बैठी *माँ* पर उसकी नज़र पड़ी।

कुछ सोचते हुए वापस कमरे में आया और अपनी पत्नी से बोला, "शालू, तुमने माँ से भी पूछा कि उनको दिवाली पर क्या चाहिए?

शालिनी बोली, "नहीं पूछा। अब उनको इस उम्र में क्या चाहिए होगा यार, दो वक्त की रोटी और दो जोड़ी कपड़े....... इसमें पूछने वाली क्या बात है?

यह बात नहीं है शालू...... माँ पहली बार दिवाली पर हमारे घर में रुकी हुई है। वरना तो हर बार गाँव में ही रहती हैं। तो... औपचारिकता के लिए ही पूछ लेती।

अरे इतना ही माँ पर प्यार उमड़ रहा है तो ख़ुद क्यों नहीं पूछ लेते? झल्लाकर चीखी थी शालू ...और कंधे पर हैंड बैग लटकाते हुए तेज़ी से बाहर निकल गयी।

सूरज माँ के पास जाकर बोला, "माँ, हम लोग दिवाली की ख़रीदारी के लिए बाज़ार जा रहे हैं। आपको कुछ चाहिए तो..

माँ बीच में ही बोल पड़ी, "मुझे कुछ नहीं चाहिए बेटा।"

सोच लो माँ, अगर कुछ चाहिये तो बता दीजिए.....

सूरज के बहुत ज़ोर देने पर माँ बोली, "ठीक है, तुम रुको, मैं लिख कर देती हूँ। तुम्हें और बहू को बहुत ख़रीदारी करनी है, कहीं भूल न जाओ।" कहकर सूरज की माँ अपने कमरे में चली गईं। कुछ देर बाद बाहर आईं और लिस्ट सूरज को थमा दी।......

सूरज ड्राइविंग सीट पर बैठते हुए बोला, "देखा शालू, माँ को भी कुछ चाहिए था, पर बोल नहीं रही थीं। मेरे ज़िद करने पर लिस्ट बना कर दी है। इंसान जब तक ज़िंदा रहता है, रोटी और कपड़े के अलावा भी बहुत कुछ चाहिये होता है।"

अच्छा बाबा ठीक है, पर पहले मैं अपनी ज़रूरत का सारा सामान लूँगी। बाद में आप अपनी माँ की लिस्ट देखते रहना। कहकर शालिनी कार से बाहर निकल गयी।

पूरी ख़रीदारी करने के बाद शालिनी बोली, "अब मैं बहुत थक गयी हूँ, मैं कार में A/C चालू करके बैठती हूँ, आप अपनी माँ का सामान देख लो।"

अरे शालू, तुम भी रुको, फिर साथ चलते हैं, मुझे भी ज़ल्दी है।

देखता हूँ माँ ने इस दिवाली पर क्या मँगाया है? कहकर माँ की लिखी पर्ची ज़ेब से निकालता है।

बाप रे! इतनी लंबी लिस्ट, ..... पता नहीं क्या - क्या मँगाया होगा? ज़रूर अपने गाँव वाले छोटे बेटे के परिवार के लिए बहुत सारे सामान मँगाये होंगे। और बनो *श्रवण कुमार*, कहते हुए शालिनी गुस्से से सूरज की ओर देखने लगी।

पर ये क्या? सूरज की आँखों में आँसू........ और लिस्ट पकड़े हुए हाथ सूखे पत्ते की तरह हिल रहा था..... पूरा शरीर काँप रहा था।

शालिनी बहुत घबरा गयी। क्या हुआ, ऐसा क्या माँग लिया है तुम्हारी माँ ने? कहकर सूरज के हाथ से पर्ची झपट ली....

हैरान थी शालिनी भी। इतनी बड़ी पर्ची में बस चंद शब्द ही लिखे थे.....

*पर्ची में लिखा था....*

"बेटा सूरज मुझे दिवाली पर तो क्या किसी भी अवसर पर कुछ नहीं चाहिए। फिर भी तुम ज़िद कर रहे हो तो...... तुम्हारे शहर की किसी दुकान में अगर मिल जाए तो *फ़ुरसत के कुछ पल* मेरे लिए लेते आना.... ढलती हुई साँझ हूँ अब मैं। सूरज, मुझे गहराते अँधियारे से डर लगने लगा है, बहुत डर लगता है। पल - पल मेरी तरफ़ बढ़ रही मौत को देखकर.... जानती हूँ टाला नहीं जा सकता, शाश्वत सत्‍य है..... पर अकेलेपन से बहुत घबराहट होती है सूरज।...... तो जब तक तुम्हारे घर पर हूँ, कुछ पल बैठा कर मेरे पास, कुछ देर के लिए ही सही बाँट लिया कर मेरे बुढ़ापे का अकेलापन।.... बिन दीप जलाए ही रौशन हो जाएगी मेरी जीवन की साँझ.... कितने साल हो गए बेटा तुझे स्पर्श नहीं किया। एक बार फिर से, आ मेरी गोद में सर रख और मैं ममता भरी हथेली से सहलाऊँ तेरे सर को। एक बार फिर से इतराए मेरा हृदय मेरे अपनों को क़रीब, बहुत क़रीब पा कर....और मुस्कुरा कर मिलूँ मौत के गले। क्या पता अगली दिवाली तक रहूँ ना रहूँ.....

पर्ची की आख़िरी लाइन पढ़ते - पढ़ते शालिनी फफक-फफक कर रो पड़ी.....

*ऐसी ही होती हैं माँ.....*

दोस्तो, अपने घर के उन विशाल हृदय वाले लोगों, जिनको आप बूढ़े और बुढ़िया की श्रेणी में रखते हैं, वे आपके जीवन के कल्पतरु हैं। उनका यथोचित आदर-सम्मान, सेवा-सुश्रुषा और देखभाल करें। यक़ीन मानिए, आपके भी बूढ़े होने के दिन नज़दीक ही हैं।...उसकी तैयारी आज से ही कर लें। इसमें कोई शक़ नहीं, आपके अच्छे-बुरे कृत्य देर-सवेर आप ही के पास लौट कर आने हैं।।

💞🙏🏻💞

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कहानी _ भविष्य दर्शन

भाग _ 26

लेखक _ श्याम कुंवर भारती

पद्मिनी को घर से गए हुए काफी देर हो गई ।जब वो अपने घर नही पहुंची उसकी मां चिंतित होने लगी ।उसने मन में सोचा मेरी बेटी इतनी देर बिना बताए कही नही रुकती थी ।आखिर कहा रह गई।उसने उसके मोबाइल पर फोन किया लेकिन उसका मोबाइल स्विच ऑफ था।वो घबड़ा गई ।उसने आनंद को फोन लगाया ।उसका फोन लग गया ।उसका फोन लगते ही उसने उसे पदमिनी के घर नही आने के बारे में बताया।सुनकर आनंद भी चिंतित हो गया।उसने पद्मिनी की मां से कहा _ चिंता मत करो काकी मैं उसका पता लगाता हूं।
उसने अपना मोबाइल देखा उसमे पद्मिनी का दो दो मिस काल था।उसने तुरंत उसे फोन लगाया।लेकिन उसका फोन स्विच ऑफ था ।अब उसकी घबड़ाहट बढ़ने लगी ।उसे अफसोस भी हो रहा था की अगर उसने मोबाइल बंद नहीं किया होता तो उससे पदमिनी से बात हो गई रहती ।
उसने तुरंत नरेंद्र को फोन किया ।नरेंद्र से पद्मिनी के बारे में पूछा ।नरेंद्र ने बताया अरे हां यार उसका मुझे भी फोन आया था लेकिन मैं उस समय फोन चार्ज में लगाकर खेतो में काम कर रहा था।पापा के साथ धान का बीज लगा रहा था।इसलिए उसका फोन उठा नही सका।
लेकिन हुआ क्या है ।
पद्मिनी काफी देर से घर से गायब है ।उसकी मां का फोन आया था।वो वीडियो से मिलने उनके आवास पर शहर गई थी । बीस मिनट जाने और बीस मिनट आने में मान लो उनसे मिलने में भी बीस मिनट लगा होगा ।कुल एक घंटा लगना चाहिए लेकिन तीन घंटे हो चुके है ।वो घर नही लौटी है ऊपर से उसका फोन भी बंद बता रहा ।मुझे तो बड़ी घड़ाहट हो रही है।पता नही वो कहा और किस हाल में होगी।
आनंद ने चिंतित होकर कहा।
सच मे ये तो बड़ी चिंता वाली बात है।नरेंद्र ने कहा तुम जल्दी से वीडियो साहब के घर पहुंचो मैं भी वही आता हूं ।ठीक है जल्दी आओ । आनंद ने नरेंद्र का फोन काटकर तुरंत विधायक जी को लगाया और उनको भी पद्मिनी के गायब होने के बारे में बताया।
विधायक ने कहा _ उसने मुझे तीन घंटे पहले फोन किया था कुछ बताना चाहती थी लेकिन उस समय मैं मुख्य मंत्री जी के साथ चुनाव की तैयारी के संबंध में मीटिंग में बिजी था ।इसलिए उससे एक घंटा बाद फोन करने को कहा था।
आनंद को खुद पर गुस्सा आने लगा था आखिर उसने अपना फोन क्यों बंद किया था।क्या बात थी जो वो हम संको बताना चाहती थी ।
उसने विधायक जी से कहा _ मैं वीडीओ साहब के आवास पर जा रहा हूं आप वही आइए।
विधायक ने कहा तुम पद्मिनी की मां या उसके पिता को भी साथ में लेते आना हो सकता पुलिस में उसकी गुमसुदगी का केस दर्ज कराना पड़े ।
मैं भी राजधानी से निकल चुका हूं एक घंटे में पहुंच जाऊंगा।
आनंद ने कहा ठीक है मैं उसकी मां को लेकर आता हूं।उसने तुरंत पदमिनी की मां को फोन को तैयार रहने को कहा और वो अपनी बाइक लेकर निकल गया ।उसकी बहन अंशिका को जब पद्मिनी के गायब होने की खबर मिली तो वो। भी काफी चिंतित हुई ।
एक घंटे बाद सभी वीडियो साहब के आवास पर बैठे थे । वहा सीओ भी मौयूद थे।उनको विधायक जी ने बुला लिया था।
सीओ ने बताया कि पदमिनी ने बहुत ही बड़ी और डरावनी भविष्यवाणी की थी ।इसलिए वो खुद मुझे बताने के लिए मेरे आवास पर आई थी ।साथ में वीडीओ साहब भी थे।
सीओ ने बताया कि उसने तीन तीन भविष्यवाणियां की थी।
पहली की उसके गांव के पास जो बड़ा पानी का डेम बना हुआ हैं वो टूट गया है जिसके पानी से कई गावों में बाढ़ के हालात बन गए।दूसरा घटना में डिप्टी कमिश्नर साहब के साथ मेरा और वीडीओ साहब का अपहरण नक्सलियो ने कर लिया है अपने साथियों को जेल से रिहा कराने के लिए जब हम लोग आदिवासियों के लिए जंगल क्षेत्र में कई भवनों का उद्धघाटन डिप्टी कमिश्नर से कराने के लिए जाने वाले थे उसमे आप भी आमंत्रित हैं।
तीसरी घटना आपके बारे में थी की चुनाव में आपको हराने के लिए आपके विरोधी जंगल क्षेत्र में बूथ कैप्चरिंग करने की योजना बना रहे थे ।
सीओ की बात सुनकर सब लोग आश्चर्य से उछल पड़े ।
विधायक ने कहा तभी उसने मुझे फोन किया था।आनंद और नरेंद्र को भी बड़ा अफसोस हुआ उसका फोन नही उठाने को लेकर ।
बिलकुल आनंद मुझे भी बड़ा दुख हो रहा है काश मैंने उससे उसी समय बात कर लिया होता तो उसे अपने घर से दूर सीओ और वीडीओ साहब के आवास पर नही आना पड़ता।
आनंद ने बताया _ आप लोगो से मिलकर पता नही वो कहा गायब हो गई है उसका फोन भी नही लग रहा है ।पदमिनी की मां भी वही थी वो रोने लगी ।
विधायक ने उन्हे ढांढस देते हुए कहा _ आप रोए नहीं हमलोग है उसे हर हाल में ढूंढ कर कर लायेंगे।
वीडीओ ने कहा हमलोगो के पास वो मुश्किल से पच्चीस मिनट रही होगी ।उसके बाद वो अपने घर जाने के लिए निकल गई थी ।शायद वो मेन रोड पर ऑटो रिक्शा पकड़ने गई होगी ।

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उस दिन शाम को चार बजे वही सब हो रहा था जो पद्मिनी ने अपनी बंद आंखो से भविष्य की घटना को देखा था।
लेकिन वे सब इस बात से अंजान थे की दोनो लड़कियों की दाहिनी बांह में माइक्रो चीफ लगा हुआ था जिसमे बहुत ही शक्ति शाली माइक्रोफोन लगा हुआ था जिससे वहा हो रही सारी बाते आनंद और नरेंद्र बाहर सावधानी से रिकार्ड कर रहे थे।रेखा बाहर फोन पर लगी हुई थी ।
थोड़ी ही देर में सिविल सर्जन,एसपी , डिप्टी कमिश्नर,पुलिस के टीम, स्वस्थ विभाग के बड़े अधिकारी , विधायक और मीडिया की टीम पहुंच गई। सब लोग लपकते हुए ऑपरेशन थियेटर के पास पहुंचे और दरवाजा खोलने को कहा।
लेकिन दरवाजा नहीं खुला ।एसपी ने दरवाजा तोड़ने का आदेश अपने पुलिस के जवानों को दिया।
दरवाजा टूटते ही सभी आश्चर्य से वहा देखते रह गए।पूरा थिएटर खाली था। वहा पदमिनी और चंचल नही थी।और न कोई डॉक्टर और मेडिकल स्याफ था।
आखिर सब कहा गायब हो गए।आनंद ने कहा _ थोड़ी देर पहले पदमिनी और चंचल को इसी ऑपरेशन थियेटर में लाया गया था।आखिर उनको कहा गायब कर दिया गया।
तभी आनंद की नजर एक टीवी स्क्रीन पर गई वहा मेन गेट का सारा दृश्य सीसीटीवी कैमरे से दिखाई दे रहा था।
सिविल सर्जन ने कहा _ शायद उन लोगो ने हमलोगो को अंदर आते ही देख लिया था इसलिए गायब हो गए।लेकिन इतनी जल्दी कहा गायब हो सकते है।
डिप्टी कमिश्नर ने कहा _ हो सकता है कोई गुप्त तहखाना होगा जहा वे लोग चले गए हो।
एसपी ने कहा _ हो सकता है।
नरेंद्र ने अपने टैब में देखते हुए कहा _ उन दोनो के बॉडी में जो चीफ लगा हुआ है उसके हिसाब से दोनो लड़किया यही कही आस पास है।
एसपी ने अपनी टीम से कहा चारो तरफ चेक करो और कुछ लोग बाहर जाकर हॉस्पिटल के कुछ स्टाफ को पकड़कर लाओ और उनसे कड़ाई से पूछताछ करो।
तभी आनंद ने एक बड़ी अलमारी के पास खड़ा हो कर चिल्याया मिल गया वो खुफिया रास्ता ।
सबलोगो ने देखा उस अलमारी के पीछे बड़ा सा दरवाजा था जिसके अंदर से स्ट्रेचर सहित आने जाने का का रास्ता था।
थोड़ी ही देर में सब लोग उस कमरे तक पहुंच गए थे।जहा उन दोनो के पेट का ऑपरेशन शुरू हो चुका था।दोनो बेहोशी की हालत में थी।सिविल सर्जन ने खुराना से कहा _ अभी तुरंत ऑपरेशन को रोक दो दो और जितना किया है उसे जल्दी स्टिच कर दो(सिलाई) कर दो ।तुम सब पुलिस की हिरासत में हो ।
उन दोनो की हालत देख कर आनंद दुख से पागल हो गया था।
दो घंटे के बाद दोनो को होश आ गया था।
आनंद ने राहत की सांस लिया था।
अगले दिन सभी अखबारों में पदमिनी ,आनंद और बाकी साथियों की बहादुरी की चर्चा के साथ उस अस्पताल की अंगो की तस्करी की खबर भी छपी थी।सभी संबंधित अपराधियो पर केस दर्ज कर जेल भेज दिया गया ।





शेष अगले भाग _ 22 में

लेखक _ श्याम कुंवर भारती
बोकारो, झारखंड
मोब.9955509286

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:: आधुनिक दादा पोता संवाद::
😂😂😂😂
पोता,  दादाजी से ......

'पत्नी' और 'प्रेमिका' में क्या अंतर है?


दादाजी ने एक मिनट सोचा और इस तरह स्पष्टीकरण को सरल बनाया;

सुनो बेटा,

पत्नी एक टीवी की तरह है और प्रेमिका एक मोबाइल की तरह .....

घर पर  टीवी  मनोरंजन का मुख्य साधन है....और बाहर मोबाइल ।

कभी-कभी आप  टीवी का आनंद लेते हैं, लेकिन अधिकांश समय, आप अपने मोबाइल के साथ  व्यस्त रहते हैं....

टीवी मुफ्त (एंटिना)है, लेकिन मोबाइल के लिए, यदि आप  भुगतान नहीं करते हैं, तो सेवाएं  समाप्त हो जाएंगी।

टीवी  बड़ा है, भारी है और  पुराना है
लेकिन मोबाइल  प्यारा है, पतला-सुडौल है और पोर्टेबल है.....

टीवी के लिए परिचालन लागत अक्सर "स्वीकार्य" होती है
लेकिन मोबाइल के लिए, यह अक्सर  "उच्च"  होती है...

टीवी में एक  रिमोट  भी होता है,लेकिन मोबाइल में नहीं

सबसे महत्वपूर्ण बात, मोबाइल एक  टू-वे कम्युनिकेशन  है (आप बात करते हैं और सुनते हैं), लेकिन टीवी के साथ, आप केवल सुनो  (चाहे आप चाहते हों या नहीं)!

Last but not least,

फिर भी टीवी बेहतर हैं क्योंकि टीवी में  वायरस की सम्भावना ना के बराबर होती है, लेकिन मोबाइल में अक्सर ऐसी सम्भावना पायी जाती हैं, और मोबाइल को आसानी से हैक या चुराया जा सकता है, जबकि टीवी को नहीं

ख्याल रखें और केवल टीवी से चिपके रहें।

                  💞🙏🏻💞

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*अच्छे व्यक्ति* के साथसंबंध,
*उस *"गन्ने "* के समान है
*जिसे आप *तोड़ो :मरोड़ो* :
*काटो या फिर कुचल दो*
*आपको उससे…*
*मीठा रस* *ही मिलेगा*
* *अच्छे लोगों की परीक्षा कभी मत लेना*
*क्योंकि वे पारे की तरह होते है,*
*जब आप उन पर चोट करते है तो*
*वे टूटते नही है लेकिन फिसलकर चुपचाप*
*आपके जीवन से दूर निकल जाते है*

*इस जगत मे प्रत्येक मनुष्य*
*अपनी योग्यता के अनुसार चमकता है .....*
*इच्छा के अनुसार नहीं ......*

*अतः आप अपनी योग्यता मे अभिवृद्धि करें .....*
*इच्छाओं मे नहीं*

**जिंदगी का रास्ता कभी बना- बनाया*
*नही मिलता है ,*
*स्वयं को बनाना पड़ता है ,*
*जिसने जैसा मार्ग बनाया*
*उसे*
*वैसी ही मंजिल मिलती है*

▭▭▭▭❖▭▭▭▬💗▭▭▭▭❖▭▭▭▬
*खिलखिलाती सुबह..*
*ताजगी से भरा सवेरा है..*
*फूलों और बहारों ने आपके..*
*लिए रंग बिखेरा है..*
*सुबह कह रही है जाग जाओ..*
*आपकी मुस्कुराहट के बिना सब अधूरा है!!*


💞 सुप्रभात 💞

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💗 सभी महिलाओं को समर्पित 💗

रसायनशास्त्र से शायद ना पड़ा हो पाला
पर सारा रसोईघर प्रयोगशाला

दूध में साइटरीक एसिड डालकर पनीर बनाना या
सोडियम बाई कार्बोनेट से केक फूलाना
चम्मच से सोडियम क्लोराइड का सही अनुपात तोलती
रोज कितने ही प्रयोग कर डालती हैं
पर खुद को कोई  वैज्ञानिक नही
बस गृहिणी ही मानती हैं

रसोई गैस की बढ़े कीमते या सब्जी के बढ़े भाव
पैट्रोल डीजल महँगा हो या तेल मे आए उछाल
घर के बिगड़े हुए बजट को झट से सम्हालती है
अर्थशास्त्री होकर भी
खुद को बस गृहिणी ही मानती हैं

मसालों के नाम पर भर रखा
आयूर्वेद का खजाना
गमलो मे उगा रखे हैं
तुलसी गिलोय करीपत्ता
छोटी मोटी बीमारियों को
काढ़े से भगाना जानती है
पर खुद को बस गृहिणी ही मानती हैं।

सुंदर रंगोली और मेहँदी में
नजर आती इनकी चित्रकारी
सुव्यवस्थित घर में झलकती है
इनकी कलाकारी
ढोलक की थाप पर गीत गाती नाचती है
कितनी ही कलाए जानती है पर
खुद को बस गृहिणी ही मानती हैं

समाजशास्त्र ना पढ़ा हो शायद
पर इतना पता है कि
परिवार समाज की इकाई है
परिवार को उन्नत कर
समाज की उन्नति में
पूरा योगदान डालती है
पर खुद को बस गृहिणी ही मानती हैं।

मनो वैज्ञानिक भले ही ना हो
पर घर में सबका मन पढ लेती है
रिश्तों के उलझे धागों को
सुलझाना खूब जानती है
पर खुद को बस गृहिणी ही मानती हैं।

योग ध्यान के लिए समय नहीं है
ऐसा अक्सर कहती हैं
और प्रार्थना मे ध्यान लगाकर
घर की कुशलता मांगती है
खुद को बस गृहिणी ही मानती हैं।

ये गृहणियां सच में महान है
कितने गुणों की खान है
सर्वगुण सम्पन्न हो कर भी
अहंकार नहीं पालती है
खुद को बस गृहिणी ही मानती हैं।

              🙏🙏🙏

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एक बार श्रीकृष्ण
एक भक्त के घर स्वयं
पधारे। भक्त से कृष्ण
ने
पूछा- ये घर किसका है ?
भक्त-"प्रभु आपका"
श्रीकृष्ण - "ये गाड़ी
किसकी है?"
भक्त- "आपकी "

फिर श्रीकृष्ण ने हर
एक वस्तु के बारे में पूछा।
भक्त का एक ही उत्तर मिलता 'आपकी । यहाँ तक
घर के सभी सदस्यों के लिए भी पूछा भक्त का फिर
वही जबाब 'आपके। पूछा तेरा शरीर किसका ?
भक्त- " आपका "
फिर घर के पूजा स्थान पर जाकर श्रीकृष्ण जी
अपनी तस्वीर की ओर इशारा करते हुये पूछते हैं ये
किसकी है ?
अब भक्त की भक्ति की पराकाष्ठा देखिये ! भक्त
आँखों में आँसू लिए बोला- सिर्फ ये ही मेरे हैं बाकि
सब आपका है भगवान्।

💞🙏🏻💞

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*इच्छापूर्ति*

एक घने जंगल में एक *इच्छा पूर्ति वृक्ष* था, उसके नीचे बैठ कर कोई भी इच्छा करने से वह तुरंत पूरी हो जाती थी। यह बात बहुत कम लोग जानते थे क्योंकि उस घने जंगल में जाने की कोई हिम्मत ही नहीं करता था।

एक बार संयोग से एक थका हुआ व्यापारी उस वृक्ष के नीचे आराम करने के लिए बैठ गया उसे पता ही नहीं चला कि कब उसकी नींद लग गयी।

जागते ही उसे *बहुत भूख लगी*, उसने आस पास देखकर *सोचा- 'काश कुछ खाने को मिल जाए!' तत्काल स्वादिष्ट पकवानों से भरी थाली हवा में तैरती हुई उसके सामने आ गई।*

व्यापारी ने भरपेट खाना खाया और भूख शांत होने के बाद सोचने लगा..

*काश कुछ पीने को मिल जाए.. तत्काल उसके सामने हवा में तैरते हुए अनेक शरबत आ गए।* शरबत पीने के बाद वह आराम से बैठ कर सोचने लगा- कहीं मैं सपना तो नहीं देख रहा हूँ। हवा में से खाना पानी प्रकट होते पहले कभी नहीं देखा न ही सुना..

जरूर *इस पेड़ पर कोई भूत रहता है जो मुझे खिला पिला कर बाद में मुझे खा लेगा ऐसा सोचते ही तत्काल उसके सामने एक भूत आया और उसे खा गया।*

इस प्रसंग से आप यह सीख सकते है कि *हमारा मस्तिष्क ही इच्छापूर्ति वृक्ष है आप जिस चीज की प्रबल कामना करेंगे वह आपको अवश्य मिलेगी।*

अधिकांश लोगों को जीवन में बुरी चीजें इसलिए मिलती हैं... क्योंकि वे बुरी चीजों की ही कामना करते हैं।
*इंसान ज्यादातर समय सोचता है- कहीं बारिश में भीगने से मै बीमार न हों जाँऊ.. और वह बीमार हो जाता हैं..!*

*इंसान सोचता है - मेरी किस्मत ही खराब है .. और उसकी किस्मत सचमुच खराब हो जाती हैं ..!*

*इस तरह आप देखेंगे कि आपका अवचेतन मन इच्छापूर्ति वृक्ष की तरह आपकी इच्छाओं को ईमानदारी से पूर्ण करता है..! इसलिए आपको अपने मस्तिष्क में विचारों को सावधानी से प्रवेश करने की अनुमति देनी चाहिए।*

*विचार जादूगर की तरह होते है, जिन्हें बदलकर आप अपना जीवन बदल सकते है..! इसलिये सदा सकारात्मक सोचिए*

*बाहर की दुनिया बिलकुल वैसी है, जैसा कि हम अंदर से सोचते हैं। हमारे विचार ही चीजों को सुंदर और बदसूरत बनाते हैं। पूरा संसार हमारे अंदर समाया हुआ है, बस जरूरत है चीजों को सही रोशनी में रखकर देखने की।*

♥️🙏♥️

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कहानी _ भविष्य दर्शन

भाग _ 18

लेखक_ श्याम कुंवर भारती

अब धीरे धीरे पदमिनी अपने भविष्यवाणी को लेकर काफी चर्चा में आ चुकी थी।उसका सभी सम्मान करने लगे थे।आनंद उसका सबसे अच्छा दोस्त था।वो हर मौके पर उसका साथ देता आ रहा था।धीरे धीरे उसके घर में सभी सरकारी सुविधाओं का लाभ मिलने लगा था।उसके पिया अक्षय लाल दास एक कंपनी में विधायक जी की पैरवी से चपरासी की नौकरी करने लगे थे।जिससे घर में पैसे की किल्लत कम होने लगी थी।उसके माता पिता को अपनी बेटी पर नाज होता था।पदमिनी जितनी सुंदर थी उतनी ही गुणवती भी थी ।मगर पढ़ाई लिखाई में पहले जैसे ही कमजोर थी।
इस कमजोरी से पद्मिनी बहुत ही आहत थी।
वो इस कमी को दूर करना चाहती थी ताकि परिक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त कर सके।
एक दिन शाम को उसने संध्या आरती पूजन करने के बाद ध्यान मुद्रा में बैठ गई और ध्यान साधना करने लगी ।उसने जैसे ही ध्यान लगाया उसे एक दिव्य प्रकाश दिखा ।धीरे धीरे वो उस प्रकाश में नहा गई ।उसे खुद का आभास खत्म होने लगा ।उसका शरीर बिलकुल हल्का महसूस होने लगा।
उसे ऐसा महसूस हुआ जैसे वो अब असमान में विचरण कर रही हो।उसे झिंगुरो की आवाज,फिर घंटा घड़ियाल शंख आदि की आवाज सुनाई देने लगी थी ।उसे बहुत ही आनंद और शांति महसूस होने लगी थी।असमान में विचरण करती हुई अब वो अपने आश्रम में पहुंच गई और अपने गुरु से संपर्क किया।उसने अपने गुरु को प्रणाम किया और कहा गुरुदेव आपके आशीर्वाद और ईश्वर की कृपा से बहुत सारी शक्तियां प्राप्त हुई हैं लेकिन मैं पढ़ने में कमजोर क्यों हूं ।
गुरु ने कहा_ बेटी यह तुम्हारी भूल है।तुम अब वो नही हो जो पहले थी ।तुम्हारी स्मरण शक्ति और कुशाग्रता बढ़ चुकी हो ।तुम ध्यान साधना से अपने मन को केंद्रित कर अपने मस्तिष्क में स्मरण शक्ति को जगाओ । फिर देखना एक बार जो भी पढ़ोगी, लिखोगी,सुनोगी या देखोगी वो हमेशा के लिए तुम्हारे मस्तिष्क मैं सदा के लिए अंकित हो जायेगा।
तुम पर ईश्वरीय कृपा है तभी तो तुममें पहले से भविष्य में होने वाली घटनाएं दिख जाती हैं।
तुम एक असाधारण, प्रतिभावान और दिव्य शक्तियों से ओत प्रोत हो । तुम्हारा जन्म जन कल्याण और राष्ट्र सेवा के लिए हुआ है।
अपनी साधना को बढ़ाते जाओ तुम्हे बहुत शीघ्र ही दिव्य आत्माओं का भी आशीर्वाद प्राप्त हो जायेगा।सभी देवी देवताओं का दर्शन और उनकी कृपा प्राप्त हो सकती है।
तुम्हे जब भी जरूरत पड़े तुम मुझे याद कर सकती हो ।मैं हर समय तुम्हारा मार्ग दर्शन करने के लिए तैयार रहूंगा।
गुरु की बात सुनकर पद्मिनी को बड़ी राहत महसूस हुई और खुशी भी हुई की अब वो अपनी कमजोरी को दूर कर सकती है।
गुरु को पुनः प्रणाम कर फिर ध्यान में डूबती चली गई।तभी उसे लगा वो हिमालय के दिव्य क्षेत्र में पहुंच गई है। वहा उसे दिव्य ऋषि मुनियों और की दिव्य आत्माओं का दर्शन हुआ ।उसने सबको प्रणाम किया। उन दिव्य आत्माओं ने उसका स्वागत किया ।उसे कई दिव्य ज्ञान प्रदान किए और आशीर्वाद दिए।
सबने एक स्वर में कहा _ बेटी तुम्हे आगे बहुत बड़े बड़े काम करना है।हम सब तुम्हारे साथ है। जन कल्याण,राष्ट्र निर्माण और इसकी सुरक्षा में हमारा सहयोग हमेशा तुम्हे मिलेगा।कोई भी मुशीबत आने पर तुम्हे घबड़ाना नही है।चाहे वो देवी देवता हो या ऋषि मुनि या संत महात्मा मनुष्य योनि में सबको संघर्ष करना पड़ता है तभी सफलता मिलती है।
पदमिनी सबकी बातो को बड़े ध्यान से देखने रही थी ।तभी उसकी नजर एक सुंदर स्त्री पर पड़ी जो उज्ज्वल सफेद वस्त्र पहन कर ध्यान मुद्रा में बैठी हुई थीं।ध्यान से देखने पर वो चौंक गई ।उस तो उसी का हु बहु रूप है।
उसने सवाल के रूप में उन दिव्य आत्माओं की ओर देखा।
एक ने कहा _ तुम्हारा सवाल सही है ।यह तुम ही हो बेटी ।तुम्हे कई जरूरी काम करने के लिए मानव जन्म लेने के लिए भेजा गया है तुम्हारा काम समाप्त होते ही तुम्हे फिर इस दिव्य क्षेत्र में आ जाना है।तब तक तुम्हारा यह दिव्य शरीर इसी ध्यान मुद्रा में रहेगा।
बड़े कार्यों को सिद्ध करने के लिए समय समय पर यहा की दिव्य आत्माओं को भारतवर्ष में मानव रूप में ईश्वर की आज्ञा पर मानव रूप में जन्म लेना पड़ता है।उसी तरह तुम भी एक दिव्य आत्मा हो ।तुम्हे विशेष कार्य हेतु नारी के रूप में जन्म लेना पड़ा है।
और एक बात तुम्हारी सहायता हेतु एक दिव्य आत्मा और जन्म ले चुकी है।लेकिन वो दिव्य शक्तियों का प्रयोग नहीं करेगा केवल सामान्य मानव के रूप में तुम्हारा साथ देता रहेगा।
पदमिनी उस दिव्य आत्मा की वाणी को बड़े शांत और गंभीरता से सुन रही थी।
उसने उस दिव्यात्मा से कौतूहल वस प्रश्न किया _ हे दिव्यात्मां मेरा साथ देनेवाली कौन सी दिव्यात्मां है क्या मैं उसके बारे मे जान सकती हूं।

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कहानी _ भविष्य दर्शन

भाग _ 17

लेखक_ श्याम कुंवर भारती

आनंद ने लोकल थाना के दरोगा को फोन किया और पदमिनी की भविष्यवाणी के बारे में बताया ।उसने कहा_ दरोगा जी पद्मिनी ने सही समय तो नही बताया है लेकिन यह घटना जरूर घटित होगी ।इसलिए मेरा अनुरोध है आप अपनी पुलिस दल को अतिशीघ्र रेलवे स्टेशन भेज दे ताकि वे बारह लड़किया किसी ट्रेन से महिला तस्करों के साथ क्षेत्र से बाहर जाने पाए वरना उनका सही सलामत अपने घर वापस आना मुश्किल हो जाएगा।
दारोगा उसकी खबर सुनकर चौंक गया। यह कैसे संभव है।हम कैसे तुम्हारी दोस्त की भविष्यवाणी पर विश्वास कर ले ।अगर खबर झूठी निकली तो बिना मतलब की परेशानी होगी ।पुलिस थाना में और भी जरूरी काम है ।
मान लीजिए अगर भविष्यवाणी सच्ची हुई तो आपकी जानकारी के बाद भी उन निर्दोष लड़कियों का जीवन बरबाद हो जायेगा।आनंद ने दारोगा के समझाने की बहुत कोशिश किया लेकिन वो नहीं माना और फोन काट दिया।
आनंद को उसकी इस हरकत पर बहुत गुस्सा आया।उसने अपने साथियों को उसकी इस लापरवाही पूर्ण हरकत के बारे में बताया।
नरेंद्र ने कहा_ बाकी बड़े पुलिस ऑफिसर को फोन करने से बेहतर है पहले हमे यह पता करना चाहिए की हमारे स्टेशन से आज कौन कौन ट्रेन कितने बजे जाने वाली है।
पदमिनी ने कहा _ यह तो हमलोग नेट से भी पता कर सकते है।
आनंद ने अपने मोबाइल में रेलवे के वेबसाइट पर जाकर अपने स्टेशन से आज की तारीख में गुजरने वाली ट्रेनों के बारे में सर्च किया।
थोड़ी ही देर में उसे जवाब मिल गया ।आज तीन एक्सप्रेस ट्रेनें गुजरने वाली थी और एक पैसेंजर ट्रेन थी ।
पेसेजेंजर ट्रेन अब से थोड़ी ही देर में जाने वाली है बाकी ट्रेनें तीन घंटे बाद यानी चार बजे शाम से लेकर रात में आठ बजे तक जाने वाली है।
नरेंद्र ने कहा _ वे लोग पैसेंजर ट्रेन से तो नही जाएंगी।वे सब एक्सप्रेस ट्रेनो से शाम चार बजे से रात्रि आठ बजे वाली ट्रेनों से ही जाएंगी क्यों की ये सब दिल्ली ,मुंबई और कोलकाता आदि बड़े शहरों में जाती हैं।
सबने उसकी बात का समर्थन किया।
आनंद ने कहा _ कॉलेज में दो घंटे क्लास चलेगा ।एक घंटे में हमलोग अपने घर जाकर तैयार हो जायेंगे।
फिर हमलोगो में छ लोग बाजार के गांधी चौक पर मिलेंगे। जिसमे तीन लड़कियां और तीन लड़के रहेंगे।लडको में मैं ,नरेंद्र और बिनोद रहेंगे ।लड़कियों में पदमिनी, प्रिया और चंचल रहेंगी ।पहली ट्रेन के आने से एक घंटे पहले हमलोग स्टेशन पहुंच जायेंगे।अगर वहा पदमिनी की भविष्यवाणी सत्य साबित हुई तो हम लोग उसके आगे की योजना अभी बना लेते हैं ।फिर उसने लड़कियों को तस्करी से बचाने की योजना बनाई। तब तक क्लास शुरू होने की सूचना मिली । सबलोग अपने क्लास में चले गए। शाम को आनंद पदमिनी के घर अपनी बाइक से गया।वो तैयार होकर उसका इंतजार कर रही थी।उसने अपनी मां को आज की योजना के बारे में बता दिया था।उसकी मां ने कहा था_ काम तो अच्छा कर रही बेटी लेकिन अपना ख्याल रखना।
पदमिनी ने अपने हाथो से चाय बनाकर आनंद को पिलाई ।
आनंद ने उसकी मां से पूछा_ काकी विधायक जी ने जो योजनाओं का फार्म आपका भरवाया था उसमे कुछ हुआ या नही ।
उसकी मां ने कहा _ बेटा वृद्धा पेंशन , उज्जवला गैस सिलेंडर,बिजली पानी और लाल कार्ड का तो काम बहुत जल्दी होने वाला है।आयुष्मान कार्ड भी मिल जायेगा जिसमे पांच लाख रुपए तक इलाज हेतु सहायता राशि मिलती हैं वो भी हो जायेगा।
लेकिन प्रधानमंत्री आवास योजना में मुखिया जी बीस हजार रुपए मांग रहे हैं।अब अगर उनको इतना रुपया दे देंगे तो बोलो बेटा हमारा घर कैसे बनेगा।
आप चिंता मत करी काकी मैं विधायक जी और मुखिया जी से बात कर लूंगा।आपका भी घर बनेगा।
सरकार ने गरीबों के लिए ही तो यह सब योजनाएं चला रही है।आप सबको इसका भरपूर लाभ उठाए।
अगर इसमें कोई भी बाधा पहुंचाने की कोशिश करेगा उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी।आनंद ने गुस्से में कहा।
अपना माथा ठंडा करो और चाय जल्दी पिओ।हमारे बाकी साथी हमारा इंतजार करते होंगे चलो जल्दी।पदमिनी ने मुस्कुराते हुए कहा।
थोड़ी देर में दोनो बाइक से गांधी चौक पर पहुंच गए।
वहा नरेंद्र और उसके बाकी साथी उनका इंतजार कर रहे थे।सबलॉग एक साथ रेलवे स्टेशन की ओर निकल गए।
स्टेशन पहुंचकर लड़किया बाथरूम में चली गई और गरीब लड़कियों की तरफ कपड़े पहनकर स्टेशन पर उन लड़कियों की तलाश में इधर उधर घूमने लगी । दिखावा ऐसा जैसे कोई मजदूर लड़किया रोजगार की तलाश में
बाहर जाने के लिए आई हो।
बाकी तीनों लड़के उनके अगल बगल में घुमते रहे और वे भी उन लड़कियों के आने का इंतजार करते रहे ।
तभी चार बजे आने वाली सुपर फास्ट ट्रेन के आने की सूचना हुई।

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एक ससुर ऐसे भी

"बेटा तू बच्चों का नाश्ता बना इतने मैं इन्हे तैयार कर देता हूं फिर तू वत्सल का लंच लगा दियो मैं इन्हे बस तक छोड़ आऊंगा!" नरेश जी अपनी बहू दिव्या से बोले।

" नहीं नहीं पापा जी मैं कर लूंगी आप बैठिए मैं बस अभी आपकी चाय बनाती हूं!" दिव्या बोली।

" अरे बेटा बन जाएगी चाय मुझे कौन सा कहीं जाना है तू पहले इन सब कामों से फ़्री हो तब तक मैं इन शैतानों को रेडी करता हूं!" नरेश जी हंसते हुए बोले।

दिव्या हैरान थी जो पापा जी मां के रहने पर एक ग्लास पानी खुद नहीं लेते थे आज उनके जाने के पंद्रह दिन बाद ही उसकी हर काम में मदद कर रहे हैं।

असल में दिव्या के परिवार में दिव्या के पति , सास - ससुर और दो बच्चे छः साल का काव्य और तीन साल की आव्या थे। जबसे दिव्या शादी होकर आई उसकी सास ने उसे बेटी की तरह रखा घर के कामों में सहयोग दिया यूं तो दिव्या के ससुर नरेश जी भी बहुत प्यार करते थे उसे पर उसने कभी अपने ससुर को खुद से कोई काम करते नहीं देखा।अभी पंद्रह दिन पहले दिव्या की सास का अचानक हृदय गति रुकने से देहांत हो गया था तब बच्चो की छुट्टियां थी और दिव्या के पति वत्सल ने अवकाश लिया था आज सभी वापिस से जा रहे थे। क्योंकि वत्सल का ऑफिस दूर था तो उसे जल्दी निकलना पड़ता था। और नरेश जी रिटायर हो चुके थे तो घर में ही रहते थे।

" लाओ बेटा बच्चो का दूध दो !" नरेश जी बच्चों को तैयार करके बोले।

बच्चों का दूध और टिफिन दे दिव्या वत्सल का खाना पैक करने लगी साथ साथ उसका नाश्ता भी तैयार कर रही थी और एक गैस पर चाय चढ़ा दी उसने।

" लो वत्सल तुम्हारा नाश्ता पापाजी आपकी चाय... आप नाश्ता तो अभी देर से करोगे!" दिव्या बोली।

" दे ही दो बेटा तुम्हारा भी काम निमटे वरना दुबारा रसोई चढ़ानी पड़ेगी!" नरेश जी बोले।

नरेश जी रोज दिव्या की ऐसे ही मदद करने लगे दिव्या को कभी कभी बुरा भी लगता और वो मना करती पर वो प्यार से उसे कहते कोई बात नहीं बेटा।

"सुनो आप पापाजी से बात करो ना कोई बात है जो उन्हें परेशान कर रही!" एक रात दिव्या वत्सल से बोली।

" क्यों कुछ हुआ क्या पापा ने कुछ कहा तुम्हे!" वत्सल बोला।

" नहीं पर जो इंसान एक ग्लास पानी भी नहीं लेता था खुद से वो मेरे साथ इतने काम कराए कुछ तो गड़बड़ है!" दिव्या बोली।

"अरे तुम्हे कोई परेशानी हो तो तुम खुद पूछ लो ना !" वत्सल बात टालता हुआ बोला।

वत्सल तो सो गया पर दिव्या को नींद नहीं आ रही थी वो उठ कर बाहर आई तो देखा पापा के कमरे की लाईट जल रही है।

" पापाजी आप सोए नहीं अब तक तबियत तो ठीक है आपकी!" दिव्या कमरे का दरवाजा खटखटा कर बोली।

" अरे दिव्या बेटा अंदर आ जाओ ... क्या बात है तुम इस वक़्त जाग रही हो आओ बैठो!" नरेश जी बोले।

" मुझे नींद सी नहीं आ रही थी तो सोचा थोड़ा टहल लूं पर आप क्यों जगे हैं!" दिव्या बोली।

" बस ऐसे ही बेटा मुझे भी नींद नहीं आ रही थी!" नरेश जी बोले।

" पापा आपसे एक बात पूछनी थी!" दिव्या हिचकते हुए बोली।

" हां बेटा बोली संकोच क्यों कर रही हो!" नरेश जी बोले।

"पापाजी मुझसे कोई गलती हुई है क्या आप मुझसे नाराज़ हैं या मेरी कोई बात बुरी लगी आपको ?" दिव्या बोली

" नहीं तो बेटा पर क्यों पूछ रही तुम ऐसा!" नरेश जी हैरानी से बोले।

" पापा जी इतने दिन से देख रही हूं आप मेरी हर काम में मदद करते हैं जबकि मम्मीजी के सामने आप एक ग्लास पानी भी नहीं लेकर पीते थे!" दिव्या सिर नीचा कर बोली।

" हाहाहा तो तुम्हे लगा मैं तुमसे नाराज़ हूं... देखो बेटा जब तक तुम्हारी सास थी वो तुम्हारी मदद को थी अब वो नहीं है तो मुझे दोहरी जिम्मेदारी निभानी है मेरे लिए जैसे वत्सल वैसे तुम जैसे मैं उसकी सुख सुविधाओं का ध्यान रखता हूं तुम्हारा रखना भी मेरा फर्ज है!" नरेश जी प्यार से बोले।

," पापा जी!" दिव्या आंखों में आंसू भर केवल इतना बोली।

" हां बेटा अब मां और बाप दोनों की जिम्मेदारी मुझे उठानी है तुम्हे सुबह इतने काम होते वत्सल भी मदद नहीं कर पाता है तो मेरा फर्ज है कि मैं अपनी बेटी की थोड़ी मदद कर उसकी कुछ परेशानी तो हल कर सकूं, समझी बुद्धू मैं नाराज़ नहीं हूं तुमसे!" नरेश जी प्यार से दिव्या का सिर पर हाथ फेरते बोले।

दिव्या अपने ससुर के गले लग गई आज उसमे अपने ससुर में अपने मृत पिता नजर आ रहे थे। सच में पिता पिता ही होता फिर चाहे ससुर के रूप में क्यों ना हो।

💞🙏💞

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कहानी _ भविष्य दर्शन

भाग _ 11

लेखक_ श्याम कुंवर भारती

रात को पदमिनी और आनंद खाना खाकर अपने अपने बर्थ पर सो गए।कुछ ही घंटे बीते होंगे ट्रेन अपनी पूरी रफ्तार में भागी जा रही थी।दोनो को सुबह अपने शहर के स्टेशन पहुंचना था।फिर बस द्वारा उन्हें अपने गांव जाना था।
तभी अचानक पदमिनी अपने बर्थ पर नींद से उठ कर बैठ गई।उसने सामने वाली नीचे की बर्थ पर देखा आनंद गहरी नींद में खर्राटे ले रहा था।पदमिनी को उसका चेहरा बड़ा प्यारा लगा।वो हमेशा उसके हर काम में सहयोग करता था।लेकिन पदमिनी आनंद की मां को लेकर काफी चिंतित हो गई।उसने देखा कि उसकी मां काफी गंभीर रूप से बीमार है।इधर ओम प्रकाश ने कुछ गुंडों को आनंद पर हमला करने के लिए अगले स्टेशन पर भेजा है।उसने साफ साफ उनकी बाते सुनी है।उसने गुंडों को रुपया देते हुए कहा है _ जाओ ट्रेन में आनंद का हाथ पैर मारकर तोड़ दो।उसने किसी तरह हम दोनो बर्थ नंबर पता लगा लिया था।
खुद मेरा अपहरण करने को बोला था।
तभी उसे टीटी की बात याद आई।उसने अपना नंबर देकर जरूरत पर फोन करने को कहा था। तबतक टीटी ने बिरेंद्र अग्रवाल के बता दिया था कि पदमिनी की वजह से ही ट्रेन लुटेरों द्वारा लुटने से बच गया था।
चिंता से उसकी नींद उड़ गई थी ।हालांकि लुटेरे पकड़ लिए गए थे फिर भी वो काफी डरा हुआ था।उसके पास काफी महंगे गहने और समान थे।वो पदमिनी से मिलकर उसका आभार व्यक्त करना चाहता था।इसलिए जब नींद नहीं आई तो अपनी पत्नी को जगाकर समान की देख भाल करने हेतु बोल कर टीटी द्वारा बताए गए कोच और बर्थ नंबर पर पदमिनी से मिलने पहुंच गया।
उसने देखा पदमिनी अपने बर्थ पर चिंतित बैठी दिखाई दी।
उसने उसको नमस्कार किया और आभार व्यक्त करते हुए कहा _ आज तुम्हारी वजह से मैं लूटने से बच गया। मेरा नंबर रख लो कभी मेरी जरूरत पड़े मुझे जरूर याद करना ।मैं तुम्हारा एहसान कभी नही भूलूंगा बेटी।लेकिन तुम चिंतित क्यों लग रही हो ।कोई समस्या है तो बताओ।
तबतक पदमिनी ने टीटी को फोन लगा चुकी थी ।थोड़ी देर में टीटी चार जीआरपी गार्ड को लेकर उसके पास आया।
पद्मिनी ने उसे सारी बात बताई और कहा मुझे अपनी चिंता नहीं है लेकिन आनंद को कुछ हो गया तो मैं खुद को काफी माफ नही कर पाऊंगी।क्योंकि यह मेरे ही लिए मेरे साथ आया था।
टीटी ने कहा_ देखिए मैडम मैने दो जीआरपी गार्ड अग्रवाल जी को निगरानी में लगा रखा है।ताकि आगे कोई लूटपाट इनके साथ न होने पाए।
एक काम कर सकता हूं आप दोनो को एसी फर्स्ट क्लास में भेज देता हूं । वहा आप दोनो सुरक्षित रहेंगे।अगले स्टेशन पर मैं फोन कर देता हूं चार जीआरपी गार्ड और बुला लेता हूं सारी बात बताकर।
आप एसी का जो किराया है वो दे दे मैं उस कोच के टीटी को बोलकर आपका बर्थ कन्फर्म करवा देता हूं।
उसकी बात सुनकर पद्मिनी सोच में पड़ गई।
उसे चुप देख कर बिरेंद्र अग्रवाल ने कहा _ बेटी शायद तुम किराया को लेकर सोच में पड़ गई हो ।लेकिन तुम चिंता मत करो मैं हूं न ।जो भी किराया लगेगा मैं तुम दोनों का दे दूंगा ।
मैं चाहता तो एसी फर्स्ट क्लास में सफर कर सकता था ।लेकिन सोचा स्लीपर क्लास में कोई हमारे बारे में सोचेगा भी नही की हम महंगे गहने और समान लेकर चल रहे है।
फिर उसने टीटी से कहा _ टीटी साहब अगला स्टेशन आने से पहले चलिए एसी कोच में इन दोनों का बर्थ कंफर्म करते है ।
टीटी ने दो गार्ड को पदमिनी की निगरानी में लगाकर बिरेंद्र और दो जीआरपी गार्ड को लेकर एक कोच की ओर दौड़ पड़ा ।
एसी कोच के टीटी से बात करने पर उसने अपने टैब में बर्थ की पोजिशन देखकर कहा_ दो स्टेशन बाद दो बर्थ खाली होने वाली है।मैं दो स्टेशन बाद से टिकट बना देता हूं । आप दो बर्थ का सात हजार रुपए दिला दे।
पहले वाले टीटी ने कहा _ मैडम बहुत जानकार है उन्हे भविष्य दिखता है और भी बहुत कुछ जानती है उनसे आपको आगे फायदा हो सकता है इसलिए अपना हिस्सा छोड़कर बताए कितना रुपए दिलवा दूं।दूसरे टीटी ने कहा _ ऐसी बात है तो एक हजार रुपए छोड़कर दिलवा दे।
बिरेंद्र अग्रवाल ने कुल छः हजार रुपए निकालकर उस टीटी को दे दिए।उसने दो बर्थ कन्फर्म कर टिकट दे दिया ।दोनो का नाम लिख लिया ।
लेकिन दो स्टेशन तक दोनों कहा रहेंगे ।पहले वाले टीटी ने पूछा ।
तब तक दोनो मेरे बर्थ पर बैठ सकते है ।बिरेंद्र ने कहा _ मेरे दो बच्चे इनके बर्थ पर सो जायेंगे।
तब ठीक है पहले वाले टीटी ने कहा।

पदमिनी को आकार सबने बताया दो स्टेशन बाद आप दोनो एसी फर्स्ट क्लास के कोच में बर्थ नंबर ग्यारह और बारह पर चले जाना ।
तब तक आप दोनो मेरे बर्थ पर चले जाओ ।आपकी बर्थ पर मेरे बच्चे सो जायेंगे।बिरेंद्र ने कहा ।चलो बेटी मैं तुम्हारा सामान लेकर चलता हूं उसने पदमिनी से कहा।

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बहुत ही सटीक विश्लेषण
*नदी से* - पानी नहीं , रेत चाहिए
*पहाड़ से* - औषधि नहीं , पत्थर चाहिए
*पेड़ से* - छाया नहीं , लकड़ी चाहिए
*खेत से* - अन्न नहीं , नकद फसल चाहिए

*उलीच ली रेत, खोद लिए पत्थर,*
*काट लिए पेड़, तोड़ दी मेड़*

रेत से पक्की सड़क , पत्थर से मकान बनाकर लकड़ी के नक्काशीदार दरवाजे सजाकर,

*अब भटक रहे हैं.....!!*

*सूखे कुओं में झाँकते,*
*रीती नदियाँ ताकते,*
*झाड़ियां खोजते लू के थपेड़ों में,*
*बिना छाया के ही हो जाती सुबह से शाम....!!!*
और गली-गली ढूंढ़ रहे हैं *आक्सीजन*

*फिर भी सब बर्तन खाली l सोने के अंडे के लालच में , मानव ने मुर्गी मार डाली !!!,*

🙏🏻🙏🏻

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दुनिया का सबसे शक्तिशाली इंसान

एक पिता ने अपने पुत्र की बहुत अच्छी तरह से परवरिश की ! उसे अच्छी तरह से पढ़ाया, लिखाया, तथा उसकी सभी महत्वाकांक्षाओं की पूर्ती की !

कालान्तर में वह पुत्र एक सफल इंसान बना और एक मल्टी नैशनल कंपनी में सी.ई.ओ. बन गया !

उच्च पद ,अच्छा वेतन, सभी सुख सुविधांए उसे कंपनी की और से प्रदान की गई !

समय गुजरता गया उसका विवाह एक सुलक्षणा कन्या से हो गया,और उसके बच्चे भी हो गए । उसका अपना परिवार बन गया !

पिता अब बूढा हो चला था ! एक दिन पिता को पुत्र से मिलने की इच्छा हुई और वो पुत्र से मिलने उसके ऑफिस में गया.....!!!

वहां  उसने देखा कि..... उसका पुत्र एक शानदार ऑफिस का अधिकारी बना  हुआ है, उसके ऑफिस में सैंकड़ो कर्मचारी  उसके अधीन कार्य कर रहे है... !

ये सब देख कर पिता का सीना गर्व से फूल गया !

वह बूढ़ा पिता बेटे के चेंबर में  जाकर उसके कंधे पर हाथ रख कर खड़ा हो गया ! और प्यार से अपने पुत्र से पूछा...

"इस दुनिया का सबसे शक्तिशाली इंसान कौन है"? पुत्र ने पिता को बड़े प्यार से हंसते हुए कहा "मेरे अलावा कौन हो सकता है पिताजी "!

पिता को इस जवाब की  आशा नहीं थी, उसे विश्वास था कि उसका बेटा गर्व से कहेगा पिताजी इस दुनिया के सब से शक्तिशाली इंसान आप हैैं, जिन्होंने मुझे इतना योग्य बनाया !

उनकी आँखे छलछला आई ! वो चेंबर के गेट को खोल कर बाहर निकलने लगे !

उन्होंने एक बार पीछे मुड़ कर पुनः बेटे से पूछा एक बार फिर बताओ इस दुनिया का सब से शक्तिशाली इंसान कौन है ???

पुत्र ने  इस बार कहा "पिताजी आप हैैं, इस दुनिया के सब से शक्तिशाली इंसान "!

पिता सुनकर आश्चर्यचकित हो गए उन्होंने कहा "अभी तो तुम अपने आप को इस दुनिया का सब से शक्तिशाली इंसान बता रहे थे अब तुम मुझे बता रहे हो " ???

पुत्र ने हंसते हुए उन्हें अपने सामने बिठाते  हुए कहा "पिताजी उस समय आप का हाथ मेरे कंधे पर था, जिस पुत्र के कंधे पर या सिर पर पिता का हाथ हो वो पुत्र तो दुनिया का सबसे शक्तिशाली इंसान ही होगा ना,,,,,
बोलिए पिताजी"  !

पिता की आँखे भर आई उन्होंने अपने पुत्र को कस कर के अपने गले लग लिया !

सच है जिस के कंधे पर या सिर पर पिता का हाथ होता है, वो इस दुनिया का सब से शक्तिशाली इंसान होता है !

      सदैव बुजुर्गों का सम्मान करें!!!!
     हमारी सफलता के पीछे वे ही हैं..

हमारी तरक्की उन्नति से जब सभी लोग जलते हैं तो केवल माँ बाप ही हैं जो खुश होते हैं ।

                        💞🙏🏻💞

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कहानी _ भविष्य दर्शन

भाग _ 8

लेखक_ श्याम कुंवर भारती

थोड़ी देर में वीडियो साहब अपनी टीम के साथ आ गए। विधायक जी ने उनको पदमिनी के परिवार को सरकार की सभी योजनाओं से जोड़ने का निर्देश दिया और कहा गांव के बाकी लोगो को भी सभी संबंधित योजनाओं का लाभ दिलाने का प्रयास करे।इसके बाद वे आने पिए को वही छोड़कर आनंद से बोले _ तुम थोड़ा समय देकर सबका फार्म भरवा दो । मेरा पिए भी यही रहेगा।फिर वे अपने काफिले के साथ वहा से चले गए।
उनके जाने के बाद आनंद ने पदमिनी से पूछा तुमने विधायक जी को उनके हारने की बात क्यों कही ।उनको दुख लगा होगा।फिर उनके चुनाव हारने के बाद भी उनको मंत्री कैसे बनाया जा सकता है।
पदमिनी ने कहा _ तुमको तो पता है आनंद मैं कुछ भी अपने मन से नही कहती हूं।जो दिखता है वही कहती हूं।
अब आगे क्यों और कैसे होगा वो मैं नही जानती।
चलो कोई बात नही ।तुम अपने पिता जी और मां का आधार कार्ड और भोटर कार्ड सब मांग कर दो मैं मुखिया जी को बुलाकर उनको सौप देता हूं ।वे वीडीओ साहब के साथ मिलकर सारा फार्म भरवा देंगे।
तुम जल्दी से तैयार होकर चलो कॉलेज के लिए देर हो रही है।इसके बाद आनंद ने मुखिया जी को बुलाकर सब उनको समझा दिया और पदमिनी को लेकर कॉलेज की ओर चल दिया।
विधायक जी कुछ ही दूर गए होंगे की उनका मोबाइल बजने लगा।उन्होंने देखा मुख्य मंत्री जी का फोन था।उन्होंने तुरंत फोन उठाया।
दुआ सलाम के बाद मुख्य मंत्री जी ने उनका हाल चाल पूछा।विधायक जी ने कहा _ सर अभी एक गांव के सारे लोगो को सरकार की सभी लाभकारी योजनाओं का लाभ दिलाने हेतु वीडीओ साहब को लगाकर आ रहा हूं ।अब मैं पार्टी की जिला स्तरीय बैठक में भाग लेने जिला पार्टी कार्यालय जा रहा हूं।
तुम बहुत अच्छा काम कर रहे मुझे तुम्हारी खबर मिलते रहती हैं।लेकिन तुम्हारे पीछे विपक्ष के लोग हाथ धोकर पड़े हुए हैं।मुझे खबर मिली है कि तुम्हारे ऊपर नक्सली हमला हुआ था जिसमे तुम बाल बाल बच गए।इसमें भी विपक्ष का ही हाथ है।
वे लोग तुमको हराने के लिए कई तरह के हथकंडे अपनायेंगे।माफियाओं और असामाजिक तत्वों से मिलकर कई जगह चुनाव बहिस्कार करवाएंगे।और तुम्हारे खिलाफ मतदान करवाएंगे।
लेकिन तुम जीतो या हारो तुम्हारा रिकार्ड बहुत ही अच्छा है मेरी नजर में।
इसलीये अगर मेरी पार्टी फिर से सत्ता में आई तो इस बार तुम जरूर मंत्री बनोगे। तुम्हे मंत्री बनाने के बाद फिर कही से चुनाव लड़वाना पड़ेगा नियमानुसार।
फिर भी तुम होशियार हरना और अपना काम इसी तरह ईमानदारी से करते रहना।जब राजधानी आओ तो मुझसे एक बार जरूर मिल लेना ।
उधर से मुख्य मंत्री जी ने कहा।
जी जरूर सर मैं जल्दी ही आपसे आकार मिलूंगा।प्रणाम सर ।
फोन काटने के बाद विधायक जी को पदमिनी की भविष्यवाणी याद आई ।उसने बिलकुल सही कहा था।गजब
की लड़की है वो।

करीब एक सप्ताह के अंदर कॉलेज में प्रिंसिपल साहब ने योग गुरु को बुलवाकर पदमिनी से मिलवाया और उन्हें उसके बारे में भविष्यवाणी करने की अश्चर्जनक रूप से शक्ति प्राप्त करने के बारे में बताया।
योग गुरु ने पदमिनी को बड़े ध्यान से देखा ।उससे कई सवाल किए।फिर उन्होंने कहा_ पदमिनी की कुंडलिनी जागृत हो रही है।उसे छठी इंद्री या तीसरी आंख खुलना भी कह सकते हैं।अगर इसे एक महीने का योग साधना मेरे आश्रम में अन्य विशिष्ठ साधकों की देखरेख में कराया जाय तो इसमें और भी अद्भुत शक्तियां जागृत हो सकती हैं।यह लड़की सबसे अलग हटकर है।मैंने कई स्कूलों और कॉलेजों में योगाभ्यास करवाया लेकिन इसके जैसा इतनी जल्दी योग साधना में सिद्ध होने वाली पहली योग साधक है ।
मैं कल आपके कॉलेज के सभागार में कुंडलिनी जागरण और इसके लाभ के बारे में सबको बताना चाहता हूं। कृपया आप इसकी व्यवस्था करवा दे ।साथ ही एक सप्ताह के अंदर पदमिनी को मेरे आश्रम में भेजने की भी सहमति दे।अगर इस लड़की ने योग साधना के साध लिया तो यह कई अद्भुत शक्तियां प्राप्त कर सकती है जिससे आम जनता,समाज और राष्ट्र को काफी लाभ मिल सकता है।
प्रिंसिपल साहब ने कहा जी गुरु जी कल आप अपना व्याख्यान दे सकते हैं।मैं इसका इंतजाम करवा दूंगा।
पदमिनी को आपके आश्रम में एक महीने के लिए भेजने हेतु इसके माता पिता से सहमति लेकर आपको सूचित करता हूं।

अगले दिन कॉलेज का सभागार छात्र छात्राओं और प्रोफेसर से खचाखच भरा हुआ था।स्टेज पर योग गुरु ,प्रिंसिपल और पदमिनी बैठे हुए थे।योग गुरु ने कहा_ मैं बहुत खुश हूं की मेरी योग साधना अभ्यास से आपके कॉलेज की छात्रा पदमिनी ने आश्चर्य रूप से अदभुत शक्ति प्राप्त कर ली है। यह मेरे लिए और कॉलेज के लिए भी बड़े ही गर्व की बात है ।

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समाज के लिए क्या किया

एक बार जब एक टेलीफोन साक्षात्कार में नाइजीरियाई अरबपति फेमी ओटेडोला से रेडियो प्रस्तुतिकर्ता ने पूछा,

"सर आपको क्या याद है कि आपको जीवन में सबसे अधिक खुशी कब मिली"?

फेमी ने कहा:

"मैं जीवन में खुशी के चार चरणों से गुजरा हूं, और आखिरकार मुझे सच्चे सुख का अर्थ समझ में आया।"

पहला चरण धन और साधन संचय करना था।

लेकिन इस स्तर पर मुझे वह सुख नहीं मिला जो मैं चाहता था।

फिर क़ीमती सामान और वस्तुओं को इकट्ठा करने का दूसरा चरण आया।

लेकिन मैंने महसूस किया कि इस चीज का असर भी अस्थायी होता है और कीमती चीजों की चमक ज्यादा देर तक नहीं रहती।

फिर आया बड़ा प्रोजेक्ट मिलने का तीसरा चरण।  वह तब था जब नाइजीरिया और अफ्रीका में डीजल की आपूर्ति का 95% मेरे पास था।

मैं अफ्रीका और एशिया में सबसे बड़ा पोत मालिक भी था। लेकिन यहां भी मुझे वो खुशी नहीं मिली जिसकी मैंने कल्पना की थी.

चौथा चरण वह समय था जब मेरे एक मित्र ने मुझे कुछ विकलांग बच्चों के लिए व्हीलचेयर खरीदने के लिए कहा।

लगभग 200 बच्चे।
दोस्त के कहने पर मैंने तुरंत व्हीलचेयर खरीद ली।

लेकिन दोस्त ने जिद की कि मैं उसके साथ जाऊं और बच्चों को व्हीलचेयर सौंप दूं। मैं तैयार होकर उसके साथ चल दिया।

वहाँ मैंने इन बच्चों को अपने हाथों से ये व्हील चेयर दी। मैंने इन बच्चों के चेहरों पर खुशी की अजीब सी चमक देखी। मैंने उन सभी को व्हीलचेयर पर बैठे, घूमते और मस्ती करते देखा।

यह ऐसा था जैसे वे किसी पिकनिक स्पॉट पर पहुंच गए हों, जहां वे जैकपॉट जीतकर शेयर कर रहे हों।

मुझे अपने अंदर असली खुशी महसूस हुई। जब मैंने छोड़ने का फैसला किया तो बच्चों में से एक ने मेरी टांग पकड़ ली।

मैंने धीरे से अपने पैरों को छुड़ाने की कोशिश की, लेकिन बच्चे ने मेरे चेहरे को देखा और मेरे पैरों को कस कर पकड़ लिया।

मैं झुक गया और बच्चे से पूछा: क्या तुम्हें कुछ और चाहिए?

इस बच्चे ने मुझे जो जवाब दिया, उसने न केवल मुझे झकझोर दिया बल्कि जीवन के प्रति मेरे दृष्टिकोण को भी पूरी तरह से बदल दिया।

इस बच्चे ने कहा:

*"मैं आपका चेहरा याद रखना चाहता हूं ताकि जब मैं आपसे स्वर्ग में मिलूं, तो मैं आपको पहचान सकूं और एक बार फिर आपका धन्यवाद कर सकूं।"*

उपरोक्त शानदार कहानी का मर्म यह है कि हम सभी को अपने अंतर्मन में झांकना चाहिए और यह मनन अवश्य करना चाहिए कि, इस जीवन और सारी सांसारिक गतिविधियों
को छोड़ने के बाद *आपको किस लिए और क्यो याद किया जाएगा?*

आपके पास पैसा बहुत है अच्छी बात है परंतु अपने समाज और लोगों के लिए क्या किया है ये काफी चिंतनीय विषय है ।जिसपर हर इंसान का ध्यान नही जाता है ।
क्या कोई आपका चेहरा फिर से देखना चाहेगा  ,   यह सब मायने रखता है ?

               💞🙏🏻💞

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